तुलसी के पौधे के गुण एवं उसके उपयोग      Publish Date : 17/10/2024

                  तुलसी के पौधे के गुण एवं उसके उपयोग

                                                                                                                                                  डॉ0 सुशील शर्मा एवं मुकेश शर्मा

आयुर्वेद में तुलसी का बहुत बड़ा स्थान प्राप्त है और यही कारण है कि इसे सभी जड़ी बूटियां की देवी कहा जाता है। तुलसी के पत्तों का रस शहद और अदरक के साथ मिलाकर पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, इन्फ़्लुएंज़ा, खांसी और सर्दी में आदि में लाभकारी होता है।

                                                              

आयुर्वेद और हिन्दु धर्म में तुलसी का बहुत बड़ा स्थान है। सुबह सवेरे महिलाएं इसकी पूजा अर्चना करती हैं तो युवा व बुजुर्ग इसके पत्तों को चबाकर स्वस्थ रहते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में तुलसी का पौधे को पवित्र पौधा माना जाता है। घर के आंगन में इस पौधे को लगाना सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। महिलाएं घर के आंगन में तुलसी की पूजा करती हैं। हिन्दुओं के पुरातन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों और इसकी महिमा का वर्णन विस्तुत रूप से उपलब्ध है। आयुर्वेद के अनुसार तुलसी का पौधा बहुत उपयोगी पौधा है। तुलसी का पौधा झाड़ी के रूप में उगता है और इसकी पत्तियां बैंगनी आभा लिए हुए हल्के हरे रंग की होती हैं।

धर्म विशेषज्ञ बताते हैं कि तुलसी पूर्वजन्म में एक राक्षस थी. उस समय उसका नाम वृंदा हुआ था, जो भगवान विष्णु की परम भक्त थी। राक्षसी वृंदा के पति के वध करने के बाद वह अपने पति के साथ सती हो गई और उसकी राख से तुलसी का पौधा प्रकट हुआ। भगवान विष्णु ने वृंदा से प्रसन्न होकर उन्हें तुलसी के रूप में पूजे जाने का वरदान दिया था।

तुलसी के औषधीय गुण

                                                              

आयुर्वेदिक डॉक्टर सुशील शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में तुलसी का बहुत बड़ा स्थान प्राप्त है और इसीके चलते इसे सभी जड़ी बूटियां की देवी कहा जाता है। तुलसी के पत्तों का रस शहद और अदरक के साथ मिलाकर पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, इन्फ़्लुएंज़ा, खांसी और सर्दी में लाभकारी होता है। इसके अलावा तुलसी के तेल का प्रयोग कान के दर्द को दूर भगाने में किया जाता है।

वहीं तुलसी के चूर्ण का उपयोग मुंह के छालों के उपचार के लिए भी किया जाता है। तुलसी के चूर्ण का उपयोग करने से मुंह के छालों में राहत मिलती है। तुलसी के पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फ़ंगल गुण मौजूद रहते हैं, जो बेहद गुणकारी होते हैं। इसके अलावा तुलसी में मौजूद कैम्फ़ीन, सिनेओल और यूजेनॉल छाती में ठंड और जमाव को कम करने में मदद करते हैं।

घर में इस तरह लगाए तुलसी का पौधा

                                                            

घर में तुलसी का पौधा लगाने के लिए सबसे पहले पौधे के लिए एक ऐसी जगह चुनें, जहां पौधे को पर्याप्त धूप मिले, तुलसी को रोजाना 6 से 8 घंटे धूप की आवश्यकता होती है और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का चयन करें। तुलसी को बीज या पौधे दोनों के रूप में लगाया जा सकता है, यदि इसके लिए आप बीज का उपयोग कर रहे हैं, तो उन्हें मिट्टी में 0.5 से 1 इंच गहराई पर बोएं और अगर पौधा है, तो उसे सावधानी से गड्ढे में लगाएं और मिट्टी से ढक दें।

पौधे लगाने के बाद पौधे को अच्छी तरह पानी दें और नियमित रूप से पानी देते रहें, लेकिन मिट्टी ज्यादा गीला न करें। तुलसी के पौधे को नियमित रूप से पानी दें और समय-समय पर उसकी पत्तियों की छटाई करते रहें, ताकि वह घना और स्वस्थ बना रहे।

लेखकः डॉ0 सुशील शर्मा, पिछले तीस वर्षों से जनपद मेरठ के कंकर खेड़ा क्षेत्र में एक आयुर्वेदिक चिकित्सक के रूप में प्रेक्टिस कर रहे हैं।