नवरात्र व्रत के दौरान अपने खान-पान और व्यवहार पर रखें विशेष ध्यान Publish Date : 03/10/2024
नवरात्र व्रत के दौरान अपने खान-पान और व्यवहार पर रखें विशेष ध्यान
सरिता सेंगर एवं मीनाक्षी राठौर
नवरात्र प्रारंभ होने जा रहे हैं। नवरात्र आस्था के साथ तन मन में ऊर्जा का संचार करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी होता है। हमारे शरीर में जो कुछ भी विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते है तो उनसे मुक्त करने और ऊर्जावान बने रहने के लिए व्रत से बेहतर और क्या हो सकता है। व्रत की तैयारी अच्छी है, पर कहीं बाजार के आकर्षण में आप फंसकर अपनी सेहत के लिए मुसीबत तो नहीं बुला ले रहे हैं। इस बात का आपको विशेष ध्यान रखना है कि बाजार में उपलब्ध चमकीले चिप्स के पैकेट या आकर्षक डिब्बों में बंद व्रत के आहार में उलझ तो नहीं गए है।
यह सवाल इसलिए क्योंकि व्रत में जहां कैलोरी कम लेने का नियम है, वहीं बाजार में मौजूद सामग्री का सेवन करके पहले से अधिक कैलोरी का अनजाने ही सेवन कर लेते हैं। इससे व्रत का जो भी लाभ आपको मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है। साथ ही आपको इस व्रत से पूर्व अपने शरीर को भी समझाना होता है और यदि आप अपने शरीर के विरुद्ध जाते हैं तो व्रत का असर उल्टा भी हो सकता है, यानी अच्छी अनुभूति कार्य क्षमता बढ़ाने के बजाय आप और आपका अपने आपको शरीर बीमार या थका हुआ महसूस कर सकता हैं। अतः इसके लिए व्रत के दौरान आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है।
हमारा शरीर और व्रत
जब आप व्रत करते हैं तो शरीर में मौजूद ऊर्जा पाचन से हटकर दूसरे कार्यक्रम करने में लग जाती है। इसके कारण ही हमारा पाचन अच्छा होता है, पाचन क्रिया में ऊर्जा की कमी आने से दिमाग की कार्य प्रणाली में सुधार होता है। शरीर की कोशिकाएं भीतर जमा पुराने क्षतिग्रस्त प्रोटीन्स को तोड़ना शुरू कर देती है, जिसे ऑटोफैगी कहा जाता है। यह बीमारी के जोखिम को कम करने के साथ ही बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करने का एक कारगर हथियार है।
वजन कम करने का संकल्प व्रत मे ले तो रहे सावधान
यदि आप अपना वजन काम करने के उद्देश्य से व्रत करने वाले हैं तो आपको क्रेविंग यानी कुछ ना कुछ खाते रहने की आदत को भी रोकना होगा और यदि आप इस पर नियंत्रण कर लेंगे तो इससे आपको वजन कम करने में मदद मिल सकती है। परन्तु व्रत के दौरान यह सुनिश्चित करें कि शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहे। वजन कम करना कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे स्वयं को भूखा रखकर हासिल किया जा सकता है। यह स्वस्थ और समग्र तौर के तरीकों से ही प्राप्त किया जा सकता है।
यह लोग न करें व्रत
- डायबिटीज और हाइपरटेंशन के मरीज
- हाल ही में शरीर में कोई सर्जरी हुई हो
- दिल किडनी फेफड़े और लीवर की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति
- खून की कमी की समस्या से जूझ रहे लोग
- खून में यदि हीमोग्लोबिन की कमी है तब भी ध्यान रखें
व्रत में इन बातों का रखें ख्याल
- भूख लगने पर ही खाएं
- अदरक, सौंफ, इलायची, पुदीना, हरा धनिया, नींबू और जीरा आदि हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए अच्छा काम करते हैं।
- हाइड्रेशन और सफाई बनाए रखने के लिए गर्म पानी पीते रहे
उपवास के दिन कमजोरी और थकान महसूस होना एक सामान्य बात है। नियमों पर चलें तो आप अगले दिन से अपने आपको अधिक ऊर्जावान और सक्रिय महसूस करने लगेंगे।
अधिकतर लोग अपने फलाहार में आलू, चिप्स, साबूदाना के बड़े या खिचड़ी खाते हैं, परन्तु आलू के साथ साबूदाना में भी कैलोरी अधिक होती है। अतः इनका सेवन अधिक मात्रा न करें।
व्रत के दौरान मक्खन या घी तेल का अधिक सेवन तो नहीं कर रहे इसके प्रति भी आपको सचेत रहने की आवश्यकता होती है।
गेहूं की रोटी के स्थान पर रागी, ज्वार या बाजार आदि के आटे की रोटियों का सेवन करें तो यह आपके लिए अधिक बेहतर होगा।
व्रत की थाली मे सभी प्रकार की दालें, अनाज और हरी पत्तेदार सब्जियों का विशेष रूप से समावेश किया जाना चाहिए।
व्रत के दौरान लौकी, भिंडी या टमाटर के साथ छाछ और नारियल या मावे की मिठाई का उपयोग भी कर सकते हैं, लेकिन इनका प्रयोग नियंत्रित मात्रा में ही करे तो यह आपके लिए अच्छा रहेगा।
सभी मौसमी फलों का सेवन करें तो फलों को अपने आहार में शामिल करने से कैल्शियम और पोषक तत्व शरीर में यथावत बने रहेंगे।
पूरे दिन में सिर्फ एक बार फलाहार करते हैं तो ऐसे में फुल डाइट ग्रहण करें। फुल डाइट यानी जिसमें दूध से बने खाद्य पदार्थ, विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल और मेवा आदि सभी शामिल होने चाहिए।
क्या सावधानियां बरतें
व्रत के दौरान अधिक तला या भुना नहीं खाना चाहिए।
कुट्टू के आटे और आलू का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए।
नवरात्र में खुश्की से बचने के लिए पनीर और फुल क्रीम दूध से भी बचकर रहे।
ताजे फलों के जूस का सेवन करते रहें।
तले और अधिक भुनी हुए चीजों से उचित दूरी बनाकर रखें।
व्रत में ओवर डाइटिंग बढ़ा देगी आपकी मुसीबत
व्रत के दौरान आप शरीर को जितना कम खाना देंगे उतना ही शरीर के अंगों को आराम मिलेगा। इस दौरान शरीर को डिटॉक्स करने का आपका उद्देश्य पूरा हो सकता है। शरीर की क्षमता बढ़ जाएगी और आपको काफी अच्छा महसूस होगा। ऐसा करने के लिए आपको व्रत के नाम पर बाजार में बिकने वाली खान-पान की चीजों से दूरी बनाकर रखना होगा। आलू चिप्स, नमकीन आदि में तेल नमक की मात्रा भरपूर होती है अतः इनके प्रति आकर्षण आपको ओवरराइटिंग का शिकार बना सकता है। इन्हें खाकर यदि आप अच्छी कैलोरी लेंगे तो इन्सुलिन रेजिस्टेंस का खतरा रहेगा तो वहीं प्राकृतिक खान-पान अपना कर कैलोरी कम करेंगे तो इंसुलिन सही काम करेगा और आप कमजोरी या थकान महसूस भी नहीं करेंगे। हम जो कुछ भी खाते हैं उसका केवल 75 प्रतिशत ही प्रयोग होता है और बाकी का 25 प्रतिशत शरीर में बचा हुआ ही रह जाता है।
ऐसे में जब आप व्रत के दौरान आप खान-पान पहले की अपेक्षा कुछ काम करते हैं तो शरीर इस बीच हुई ऊर्जा का प्रयोग करता है। अब इसका अर्थ यह नहीं है कि आप लंबा व्रत करें तो अन्न जल को त्याग ही दें। उपवास के दौरान हल्का भोजन करें। उम्र 45 से 50 वर्ष के आसपास होने के साथ-साथ हाइपरटेंशन आदि नहीं है तो आपको व्रत का उचित लाभ मिल सकता है। व्रत की संस्कृति वैज्ञानिक है, यदि व्रत उचित तरीके से करें तो यह हमारी उम्र को भी बढ़ा देता है। आयुर्वेद में उपवास का महत्व है, पर इसके लिए पहले अपने शरीर की सुने और उसी के अनुसार खानपान लेंगे तो शायद व्रत का अच्छा लाभ आपको मिल सकेगा, जिससे आशा भी पूरी होगी और आपके तन और मन को ऊर्जा भी मिलती रहेगी।
व्रत का समापन करने के लिए क्या और कैसे करें
मानव शरीर की प्रकृति ऐसी होती है कि आप अपने शरीर को जितना भोजन देते हैं यह उसी के अनुसार स्वयं को ढाल लेता है। रोज एक रोटी खा रहे हैं तो यह उसी ऊर्जा का उपयोग कर चलता रहता है। व्रत के दौरान भी आपका शरीर इसीके अनुरूप ढल जाता है। इसलिए आप व्रत तोड़ने के लिए अचानक बहुत अधिक या भारी भोजन करते हैं तो इससे आपका पाचन तंत्र बिगड़ सकता है और ऐसे में आपको थकान, सर दर्द और चिड़चिड़ापन आदि के लक्षण महसूस होते है। व्रत के परायण का सबसे अच्छा तरीका है कि आप पहले हल्का भोजन सेवन करें और बाद में धीरे-धीरे मात्रा को बढ़ाएं। फलों का सहारा लें और एक दो दिन दाल चावल लेकर रोटी सब्जी आदि पर धीरे-धीरे आएंगे तो शायद आप अच्छा महसूस कर सकेंगे।