नवरात्र विशेष : ऊर्जा के लिए शक्ति की उपासना Publish Date : 15/04/2024
नवरात्र विशेष : ऊर्जा के लिए शक्ति की उपासना
शक्ति की उपासना भगवान भी करते हैं और देवता भी करते हैं और संत महात्मा भी करते हैं। शक्ति की पूजा अर्चना सभी मानव करते हैं, सभी विवेकवान करते हैं, सभी बुद्धिमान करते हैं और सभी चरित्रवान करते हैं। शक्ति की आराधना सैनिक करते हैं, सेनानायक करते हैं, व्यापारी करते हैं, श्रमिक करते हैं, छात्र करते हैं और राष्ट्रभक्त करते हैं। इस शक्ति की भक्ति प्रकृति का अभिनंदन है, नमन है और स्वागत है।
शक्ति की स्थिति से मानव जीवन का कल्याण पथ प्रशस्त होता है। इस शक्ति का रहस्य बहुत गहरा है, जिसकी कोई थाह नहीं है। शक्ति वस्तुतः मां स्वरूप होती है। जिस प्रकार प्रकृति मां चराचर जगत की सृजक है, ठीक इस तरह ही मातृशक्ति जीव की सर्जना है। इसलिए परमेश्वरी भी परमेश्वर की शक्ति है। मानव के अंदर भी शक्ति का प्रवाह होता है तो वही शरीर के बाहर शक्ति का संचालन होता है।
शक्ति के प्रभाव और संचालन का केंद्र हमारा आत्म जो कि परमात्मा का ही एक अंश होता है।
अतः अपनी आत्मा को शक्ति जानिए, शरीर को नही। इसके बावजूद भी अपनी आत्मा की पूजा कोई नहीं करता, उल्टे हम सब अपने शरीर की पूजा करने में ही लगे रहते हैं। कहा भी गया है कि जो शक्ति की नहीं पूजा नही करता वह किसी मृतक के समान ही है।
इसलिए जीवन में शक्ति को धारण करना मानव का परम कर्तव्य है। प्राणी मात्र श्क्ति के स्रोत, ऊर्जा के उद्गम और चेतना के प्रवाह से ही स्थिर है। शक्ति की उपस्थिति से ही धरती पर जीवन का अस्तित्व है। अतः शक्ति है तो हम हैं, यह जगत है, सूर्य है, चंद्रमा है और तारामंडल है।
कृषि, जीविका, धन, संपत्ति, स्वास्थ्य और विद्या का प्रत्येक अंश शक्ति का रूपांतरण ही है। संपूर्ण सकारात्मक कर्मभूमि के अन्तर्गत शक्ति का केंद्र रहता है, जो कि योग रूप में प्रकट होता है। माया भी शक्ति की ही छाया है और काया को शक्ति की दया ही मानिए। जब ज्ञान रूपेण माता समक्ष हो तब कुछ भी रहस्य शेष नहीं है। यह लोग पारलोकिक शक्ति का दर्शन है। अतः शक्ति के माता रूप को भजने से मानव को सिद्धि प्राप्त होगी इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।