पर्यावरण सुरक्षा में कृषि वानिकी की भूमिका Publish Date : 05/02/2024
पर्यावरण सुरक्षा में कृषि वानिकी की भूमिका
डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं आकांक्षा (शोध छात्रा)
‘‘कृषि वानिकों को कई पारिस्थितिक तंत्र सेवाएं और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करने के लिए म हत्वपूर्ण माना जाता है। अब लोग वैश्विक बेहतरी के लिए इसके लाभों और प्रबंधन करने के महत्व को समझने के लिए अधिक जागरूक होते जा रहे हैं जिसे अतीत और वर्तमान के साक्ष्य स्पष्ट रूप से इंगित भी कर रहें हैं। कृषि वानिकी गरीबी उन्मूलन, आय सृजन, जलवायु परिवर्तन शमन, मृदा स्वास्थ्य सुधार और अन्य पर्यावरणीय लाभों को बढ़ाने के लिए एक व्यावहारिक विकल्प हो सकता है। अतः इस विधि को किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर अपनाने की जरूरत है। कृषि वानिकी एक बहु-कार्यात्मक भूमिका निभा सकती है।’’
कृषि वानिकी एक ऐसी प्रथा है, जहां यह पर्यावरण और सामाजिक आर्थिक लाभ दोनों का ही उपयोग करने के लिए कृषि और वानिकी के मध्य की खाई को पाटने में सक्षम हो सकती है। हाल ही में किए गए शोध यह दर्शातें है कि कृषि वानिकी में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को को कम करने, मृदा स्वास्थ्य में सुधार, स्वच्छ हवा और पानी, कार्बन भंडारण तथा दूसरी ओर मानवजाति के लिए आय और कल्याण करने के लिए पर्याप्त क्षमता उपलब्ध है।
पारिस्थितिकी तंत्र सेवा को मुख्यतः चार वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है, जो इस प्रकार से हैं-
प्रावधान
विनियमन
सांस्कृतिक और
सहायक सेवाएं
कृषि वानिकी विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं जैसे कार्बन भंडारण, स्वच्छ हवा और पानी, मृदा स्वास्थ्य में सुधार, परागण, कीट नियंत्रण, मिट्टी को स्थिरता, कटाव पर नियंत्रण, जैव विविधता, प्राथमिक उत्पादन, बाद शमन, सांस्कृतिक और दवाओं आदि को प्रदान करने में है। वानिकी द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं में कार्बन भंडार को सबसे महत्वपूर्ण सेवा माना जाता है। यह सीधे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने से जुड़ी होती है।
कृषि वानिकी का महत्व
पेड़ वायुमंडलीय Co2 के लिए एक संग्राहक के रूप में कार्य करते हैं और अन्य स्थलीय विकल्पों की तुलना में कृषि वानिकी को जलवायु परिवर्त लिए एक बेहतर विकल्प माना जाता है, क्योंकि इसके अन्य पर्यावरणीय लाभ है। क्षमता में अपनाए गए सुझाव कृषि वानिकी के प्रकार, पर्यावरण, पेड़ों की का चयन, आदि पर निर्भर करते हैं। दक्षिण पूर्व एशिया में, कृषि वन के उष्णकटिबंधीय भूमि में 12-228 Mg और शुष्क तराई में संग्रहित करने की क्षमता रखते है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।