कृषि के विविधीकरण से प्राप्त लाभ      Publish Date : 23/03/2025

                 कृषि के विविधीकरण से प्राप्त लाभ

                                                                                                           प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु

कृषि में विविधीकरण के बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ निम्न प्रकार से हो सकते हैं:

(i) भिन्न-भिन्न प्रकार की फसलों के लिए मृदा के अलग-अलग प्रकार की उवर्रता की स्थिति की आवश्यकता होती है। फसलों का समायोजन या उनमें उचित फेर बदल करने से मृदाओं के सभी गुणधर्मों की एक फसल संकेंद्रण की अपेक्षा अधिक उपयोग होने की आशा की जाती है। उदाहरण के लिए, अनाज को बहुत अधिक नाइट्रेट, गोभी में अधिक सल्फेट, लौंग में आधिक चूना और कंदवर्गीय फसलों को फास्फेट की अधिक आवश्यकता होती है। यदि भिन्न-भिन्न फसलों की अनुक्रमिक उगाई की जाती है तो पहले की फसल के द्वारा प्रयुक्त तत्वों को बहाल करना संभव हो जाएगा।

                                                 

(ii) फसलों की हेर-फेर करने से खरपतवार का न्यूनीकरण आसान होता है क्योंकि इससे भिन्न-भिन्न समय पर खेतों की सफाई होती रहती है। इस प्रकार वर्ष दर वर्ष यह क्रिया खरपतवारों के पोषण और फैलाव को कम करती है।

(iii) विविधीकरण से उसी खेत में वर्ष में एक से अधिक फसल उगाना संभव हो पाता है जबकि उसी फसल को दोबारा लगाना और बोना असंभव होता है। इससे पशुधन का पोषण भी आसान होता है (जो फसल/घास के अवशिष्टों को खाते हैं)। इसलिए यह किसानों को मांस, दूध, ऊन या ईंधन के रूप में आय का एक अतिरिक्त स्रोत भी प्रदान करती है।

(iv) फसलों का विविधीकरण कर भिन्न-भिन्न फसल उगाने से पूरे वर्ष भर श्रमिकों की भी आवश्यकता होती है।

(v) फसलीय विविधीकरण किसानों और उनके परिवार के लिए अलग-अलग किस्म के खाद्यान्न का उपभोग कर पाना भी संभव बनाता है।

(vi) फसलों के विविधीकरण से किसान अपने जोखिम को भी कम कर सकते हैं। ऐसे में यदि किसान किसी एक ही फसल/उत्पाद पर निर्भर रहता है तो उस फसल के खराब होने या उसकी कीमत गिर जाने पर किसान बर्बाद हो सकता है, जबकि इसकी संभावना बहुत कम होती है कि एक वर्ष में विभिन्न फसलें/उत्पाद एक साथ ही विफल हो जाएं। 

(vii) फसलों के विविधीकरण से किसान की आय अधिक नियमित होती है क्योंकि इससे फसलें और पशु उत्पादों का विक्रय पूरे वर्षभर ही चलता रहता है।

(viii) विविधीकरण से कम कीमत वाली फसलों के स्थान पर से अधिक कीमत वाली फसलों का उत्पादन किया जा सकता है। इससे न केवल फार्म उत्पादों के लिए बदलती हुई मांग की आपूर्ति की जा सकती है बल्कि इससे किसानों की आय भी बढ़ती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।