सरसों की कटाई के बाद खेती योग्य फसलें      Publish Date : 19/02/2025

                    सरसों की कटाई के बाद खेती योग्य फसलें

                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

खेती से सम्बन्धित पूरी जानकारी का होना किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। आज के अपने प्रस्तुत लेख में हम कुछ ऐसी फसलों के बारें में जानकारी प्रदान करने जा रहें है, जिनकी खेती करके किसान भाई कम समय में अधिक मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। यदि आपकी सरसों की फसल कटाई करने की अवस्था में आ चुकी है तो इसके बाद आपको अपने खेत में कुछ ऐसी फसलों की बुआई करनी चाहिए, जो केवल 60 से 70 दिनों में पककर तैयार हो जाए और साथ ही आपको अच्छा मुनाफा भी दे सकें।

इस सिलसिले में आप कुछ परंपरागत फसलों की ओर रूख कर सकते हैं, जिनके माध्यम से आप कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

सरसों की कटाई करने के बाद खेत में ऐसी फसलों को उगाने का लाभ यह है कि इस प्रकार की फसलें खेत की उर्वरता को बनाए रखती हैं और आमदनी का एक अतिरिक्त माध्यम भी हो सकती हैं। अतः हम आपको कुछ ऐसी ही फसलों के बारे में जानकारी प्रदान करने जा रहें है, जिनकी खेती कर आप कम समय में अच्छी आय प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं। ऐसी फसलों की खेती को करने से न केवल किसानों की आय में वृद्वि होती है, बल्कि उनके खेत की उर्वरता भी अच्छी बनी रहती है।

तिल की खेती

                                                        

तिल एक ऐसी फसल है जो कम समय में ही पककर तैयार हो जाती है और साथ ही यह फसल किसानों को अच्छा मुनाफा भी देती है। अतः सरसों की कटाई के बाद खाली हुए खेत में तिल की खेती करना एक शानदार विकल्प हो सकता है। तिल की फसल एक ऐसी फसल है जिसमें पानी की अधिक आवश्कता नही होती है और इसकी खेती करना भी आसान है। तिल की फसल जल्द ही पककर तैयार हो जाती है और इसके उत्पाद यानी बीज और तेल बाजार में अच्छे दामों पर बिकते हैं। अतः कम समय में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए तिल की फसल एक अच्छा विकल्प हो सकती है।

मूँग की खेती

                                                          

मूँग की फसल की खेती करना भी सरसों की कटाई के बाद एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है, क्योंकि यह बहुत ही कम समय में तैयार होने वाली एक फसल है जिसे बाजार में आसानी से बेचा जा सकता है। इसके अलावा, मूँग की बुवाई करने से से खेत की उर्वराशक्ति भी बढ़ती है, क्योंकि यह एक नाइट्रोजन फिक्स करने वाली फसल है जो कि भूमि में नाईट्रोजन की उपलब्धता को बढ़ावा देती है।

उड़द की खेती

                                                         

किसान भाईयों, सरसों की फसल को काट लेने के बाद उड़द की बुवाई करना भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। उड़द की फसल भी लगभग 60 से 65 दिनों में ही पककर तैयार हो जाती है औश्र इसके उत्पाद को खाद्य उद्योग में विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। दलहनी फसल होने के चलते उड़द की फसल लेने से आपके खेत की उर्वरता भी बढ़ती है। इसके साथ ही उड़द की फसल को पानी की आवश्यकता भी कम होती है और इसकी खेती करना आसान भी होता है।

मक्का की खेती

                                                                       

सरसों की फसल के काटने के बाद खेत में मक्का की बुवाई भी की जा सकती है, हालांकि इसकी बुवाई जल्द ही कर देनी चाहिए, क्योंकि मक्का की बुवाई जितनी जल्द की जाती है यह उतनी जल्दी ही पककर तैयार हो जाती है। हालांकि बहुत अधिक गर्म या ठंड़े मौसम में मक्का की फसल में पॉलिनेशन की समस्या आ सकती है, परन्तु यदि उचित समय पर ही मक्का की बुवाई कर दी जाए तो यह समस्या भी अपने आप ही कम हो जाती है। बाजार में भी मक्का की अ्रच्छी माँग होने के चलते इसे आसानी से बेचा जा सकता है। मक्का की फसल भी 70 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।

लता वर्गीय विभिन्न फसलें

                                                                      

यदि किसान भाई सरसों की फसल को काटने के बाद सब्जी की खेती करना चाहते हैं तो सरसों की कटाई के बाद वह बेल वर्गीय फसलों जैसे- खीरा, लौकी, तोरई और करेला आदि की खेती भी कर सकते जो कम समय में ही तैयार भी हो जाती हैं। इन सभी फसलों के उत्पादों की गर्मियों के मौसम में अच्छी माँग होती है। लता वर्गीय फसलों की विशेषता यह होती है कि यह सरसों के डंठलों एवं उसके अन्य भागों के ऊपर चढ़कर फैलती हैं जिससे खेत में एक प्राकृतिक शेड तैयार हो जाता है। इसके अतिरिक्त इसका यह लाभ भी है कि इनकी बुवाई के लिए खेत को विशेष रूप से तैयार करने की आवश्यकता नही होती है।

साथ ही बेल वर्गीय फसलें 30 से 40 दिनों में ही बाजार में बेचने के लिए तैयार हो जाती है और बाजार में इनकी अच्छी कीमत भी मिलती है।

धनिया और भिण्ड़ी की खेती

                                 

किसान भाई अगर धनिया की खेती करना चाहते हैं तो वह कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। धनिया की फसल के लिए यह समय सबसे अच्छा होता है। धनिया की बुवाई करने से किसानों को केवल अच्छा मुनाफा ही प्राप्त नही होता बल्कि इससे खेत की उर्वरता की दशा में भी व्यापक सुधार होता है। इसके साथ ही धनिया की खेती करने में मेहनत और खर्च बहुत कम होता है औैर धनिया का उत्पादन भी अच्छा होता है जिससे किसान के लाभ में वृद्वि होती है। 

इसके अतिरिक्त भिण्ड़ी की फसल भी ऐसी होती है जो कि बहुत कम समय में तैयार हो जाती है इसकी बाजार में पूरे वर्ष अच्छी माँग होने के कारण किसानों को लाभ मिलता है। भिण्ड़ी का उत्पादन भी अच्छा होता है और यदि किसान भिण्ड़ी की फसल को सही समय पर बोते हैं तो उन्हें इसका अच्छा लाभ प्राप्त होता है। 

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।