गेंहू का खरतनाक गिल्ली डंडा खरपतवार और इसका उपचार Publish Date : 14/12/2024
गेंहू का खरतनाक गिल्ली डंडा खरपतवार और इसका उपचार
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
गिल्ली डंडा नामक खरपतवार, गेहूं की फसल में किसानों के लिए हमेशा से ही एक बड़ी समस्या रहा है। गिल्ली डंडा नाम का यह खरपतवार, गेहूं की फसल का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। इसलिए समय के रहते ही इस खरपतवार पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है नहीं तो गेहूं की पैदावार 70 से 80 प्रतिशत तक कम हो सकती है।
रबी की मुख्य फसल गेहूं की इन दिनों बुवाई हो रही है. गेहूं की फसल में उगने वाला खरपतवार गिल्ली-डंडा के लिए एक बड़ी समस्या है। फसल में गिल्ली डंडा जैसे खरपतवार की वजह से उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि खरपतवारों का बेहतर तरीके से प्रबंधन किया जाए। कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि गेहूं की बुवाई के समय ही अगर किसान कुछ जरूरी उपाय कर लें, तो गेहूं की फसल में खरपतवार नहीं उगेंगे और किसानों को कम लागत में अच्छा उत्पादन मिलेगा।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि खरपतवार पौधों के साथ पोषक पदार्थों और प्रकाश आदि के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे पौधों को मिलने वाला पोषण, पानी और प्रकाश प्रभावित होता है। इससे पौधों की बढ़वार प्रभावित होती है और 30 प्रतिशत तक उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है।
ऐसे में जरूरी है कि किसान बुवाई के समय ही खरपतवारनाशी ‘‘पायरोक्सासल्फोन 85 प्रतिशत डब्ल्यू.जी. (Pyroxasulfone 85% WG) का प्रयोग करें, जिससे खरपतवार को उगने से रोका जा सकता है और अगर खरपतवार उगते भी हैं तो वह सिंचाई के समय यह अपने आप ही मर जाते हैं।
बुवाई के 72 घंटे बाद करें प्रयोग
खरपतवारनाशी पायरोक्सासल्फोन का प्रयोग करने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। गेहूं की बुवाई के बाद पटेला लगाने से 72 घंटे के बाद पायरोक्सासल्फोन 85 प्रतिशत दवा का उपयोग करना चाहिए। दवा का प्रयोग करने के लिए 60 ग्राम पायरोक्सासल्फोन को 250 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल के ऊपर इसका छिड़काव करें।
कैसे करें दवा का छिड़काव?
खरपतवारनाशी पायरोक्सासल्फोन मिट्टी के ऊपर एक परत बना लेता है. जिसके कारण खरपतवार के बीज का जमाव नहीं हो पाता और अगर कोई खरपतवार उग भी आता है, तो वह पहली सिंचाई के दौरान ही वह अपने आप ही मर जाता है। लेकिन यह भी जरूरी है कि मिट्टी के ऊपर बनने वाली दवा की परत टूटने न पाए। खरपतवारनाशी का छिड़काव करते समय किसानों को साइड की ओर चलना चाहिए या फिर पीछे की ओर छिड़काव करते हुए चलें, जिससे किसान के पैर से परत न टूट सके।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।