रबी में बीज शोधन      Publish Date : 12/09/2024

रबी में बीज शोधन
डा. आर. एस. सेंगर
प्रदेश की फसलो में कीटोंध्रोगों एवं खरपतवारों से प्रतिर्वी 7-25 प्रतिशत क्षति होती है जिसमें 33 प्रतिशत खरपतवारों द्वारा, 26 प्रतिशत रोगों, 20 प्रतिशत कीटों द्वारा, 7 प्रतिशत भण्डारण द्वारा, 6 प्रतिशत चूहों द्वारा तथा 8 प्रतिशत अन्य कारण सम्मिलित हैं। उक्त से स्पेंट है कि फसलों को खरपतवारों के बाद सबसे अधिक क्षति रोगों द्वारा होती है। बीमारियों से होने वाली क्षति महामारी का रूप भी ले लती है और प्रकोप से शत-प्रतिशत तक फसल नेंट हो जाती है।रबी फसलों के अनेक रोगों का प्रारम्भिक संक्रमण बीज या भूमि अथवा दोनों माध्यम से होत्ता है। रोग कारक फफूंदी व जीवाणु बीज से लिपटे रहते हैं। फफूँदी बीज की सतह पर, सतह के नीचे या बीज के अन्दर वे निंकिय अवस्था में मौजूद रहते हैं। बीज बोने के बाद फफूंदी अपने स्वभाव से अनुसार नमी प्राप्त होते ही उगते बीज, अंकुर या पौधों के विभिन्न रोगों पर आक्रमण करके रोग उत्पन्न करते हैं। बोने से पूर्व बीज में उपयुक्त फफूँदीनाशक रसायनों से उपचार किया जाता है। रोगों से फसलों को बचाने कि लिए बीज उपचार ही एक मात्र सरल व सस्ता सुरक्षात्मक उपाय है।
उद्देश्य रू बीजशोधन का मुख्य उद्देश्य बीज जनितध्भूमि जनित रोगों को रसायनों एवं बायो पेस्टीसाइड्स से शोधित कर देने से बीजों एवं मृदा में पाये जाने वाले बीमारियों के शाकाणुओंध्जीवाणुओं को नेंट करना होता है। बीजशोधन के लिए फफूँदीनाशक रसायनों एवं बायो पेस्टीसाइड्स को बुवाई के पूर्व सूखा अथवा कभी-कभी संस्तुतियों के अनुसार घोल बनाकर मिलाया जाता है जिससे इनकी एक परत बीजों की बाहरी सतह पर बन जाती है जो बीज के साथ पाये जाने वाले शाकाणुओंध्जीवाणुओं को अनुकूल परिस्थितियों में नेंट कर देती है। साथ ही मृदा में पाये जाने वाले रोग कारकों के संक्रमण के लिए कवच का काम करती है। इस प्रकार बीज जनितध्भूमि जनित रोग से अगली फसल रोग रहित अथवा रोग मुक्त तैयार होती है। यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ फसलों के विशिंट रोग जैसे कण्डुआ रोग का नियंत्रण बीजशोधन से ही संभव है। इस उपचार से कम खर्च में ही भर्विय के अधिक खर्च से बचा जा सकता है।
बीज शोधन से लाम:
 (1) बीज की सड़न कम हो जाती है। 
 (2) बीज उपचार करने से बीज की सतह पर चिपका हुआ रसायन उसके इर्द-गिर्द की मिट्टी में मौजूद             फफूंदी को नैंट कर देता है। 
 (3) बीज का जमाव अच्छा व समान प्रकार से होता है
जब बीज सड़ने से बच जाता है, तो उगने वाला पौधा
स्वस्थ होता है। अंकुर पर आक्रमण करने वाली फफूँदी
की भी संख्या कम हो जाती है जिससे अधिक मात्रा में
अंकुर जमीन के ऊपर आ जाते हैं।
 (4) बीज से फैलने वाली बीमारियों की सम्भावना कम हो जाती है।
 (5) फसल सुदृढ़ व स्वस्थ होती है, जिससे फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है और कॉकों को आर्थिक लाभ होता है।
रबी फसलों के बीजों का उपचार रू
रबी की फसलों में गेहूँ, कठिया गेहूँ, जौ, तोरिया (लाही), राईध्सरसों, अलसी, कुसुम, रबी मक्का, शिशु मक्का, जई, बरसीम, चना, मटर, मसूर, रबी राजमा आदि मुख्य फसलें हैं। इन फसलों के बीजों का बीजशोधन करके ही बोना चाहिए। इन फसलों में बीज उपचार के लिये प्रयुक्त रसायन की मात्रा एवं नाम तथा प्रयोग विधि निम्नानुसार है रू
गेहूँ में बीज शोधन रू बीज जनित एवं भूमि जनित बीमारियों को रोकने के लिये बीजशोधन अवश्य करना चाहिए। इसके लिए जैव कवकनाशी ट्राइकोडर्मा को 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से या कार्बाक्सिल नामक दवा की 2.0-2.5 ग्राम मात्रा को प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन करना चाहिए अथवा 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से कार्बेन्डाजिम नामक दवा से बीज शोधन करना चाहिए।
जौ का बीज का शोधन रू जौ को बीज जनित बीमारियों से बचाने के लिए अन्तःप्रवाही फफूँदीनाशक जैसे कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण या कार्बाक्सिल 75 प्रतिशत घुलनशील की 2.5 मात्रा को प्रति किग्रा. बीज की दर से शोधित करना चाहिए अथवा जैव कवकनाशी ट्राइकोडर्मा 5 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित किया जा सकता है। 
तोरिया लाही का बीज शोधन रू तोरिया में बीज जनित बीमारियों से बचने के लिए बीजशोधन करना आवश्यक होता है। इसके लिये 2.5 ग्राम थीरम प्रति किग्रा. बीज की दर से अथवा 3 ग्राम मैंकोजेब प्रति किग्रा. बीज की दर से या 1.5 ग्राम प्रति किग्रा. मेटालैक्सिल नामक दवा से बीज शोधन करना चाहिए। इस बीज शोधन से सफेद गेरूई एवं तुलासिता रोग से बचाव होता है। राई ध् सरसों का बीजशोधन रू राई ध् सरसों की फसल को सफेद गेरूई एवं तुलासित रोग की रोकथाम के लिए 2.5 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से थीरम या 1.5 ग्राम प्रति किग्रा. बीज दर से मेटालैक्सिल नामक दवा से बीजशोधन करके बुवाई करनी चाहिए।
अलसी में बीज शोधन रू अलसी की फसल को झुलसा तथा उकठा आदि भूमि जनित एवं बीज जनित रोगों को बचाव के बीज शोधन हेतु थीरम या 2 ग्राम कैप्टान अथवा 2 ग्राम कार्बेन्डालिम नामक दवा से प्रति किग्रा. की दर से अलसी के बीज का शोधन करके बुआई करनी चाहिए।
कुसुम में बीज शोधन रू कुसम की फसल को झुलसा तथा उकठा आदि भूमि जनित एवं बीज जनित रोगों से बचाव हेतु 2.5 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कैप्टान अथवा 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम नामक दवा से प्रति किग्रा. की दर से कुसुम के बीज का शोधन करके बुआई करनी चाहिए।
रबी मक्का में बीज शोधन रू रबी मक्का को बीज जनित एवं भूमि जनित बीमारियों से बचाने के लिये 2.5 ग्राम थीरम अथवा 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम दवा को प्रति किग्रा. बीज की दर से शोधित करके बुआई करना चाहिए।
शिशु मक्का में बीज शोधन रू शिशु रबी मक्का को बीज जनित एवं भूमि जनित बीमारियों से बचाने के लिये 2.5 ग्राम थीरम अथवा 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम दवा को प्रति किग्रा. बीज की दर से शोधित करके बुआई करना चाहिए।
जई का बीज शोधन रू जई में बीज जनित बीमारी आवृत कण्डुआ के रोकथाम के लिये प्रति किग्रा. बीज
को 3 ग्राम थीरम अथवा 2.5 ग्राम जिंक मैगनीज कार्बोमेंट से शोधित करके ही बुवाई करनी चाहिए। 
बरसीम की फसल का बीज शोधन रू बरसीम की फसल को बीज जनित रोगों से रोकथाम के लिये 2.5 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से थीरम या 1.5 ग्राम प्रति किग्रा. बीज दर से मेटालैक्सिल नामक दवा से बीज शोधन करके बुवाई करनी चाहिए।
चना का बीज शोधन रू चना को बीज जनित रोगों से बचाने के लिए थीरम 2 ग्राम या मैंकोजेब 3 ग्राम अथवा ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम से प्रति किग्रा. बीज को शोधित करके बुवाई करनी चाहिए अथवा 2 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम को मिलाकर प्रति किग्रा. बीज की दर से शोधित करके बुवाई करनी चाहिए। बीज शोधन के बाद राइजोबियम कल्चर एवं पी.एस.बी. कल्चर द्वारा 20 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से बीज उपचार करना चाहिए।
मटर का बीज शोधन रू मटर को बीज जनित रोगों से बचाने के लिए थीरम 2 ग्राम या मैंकोजेब 3 ग्राम अथवा ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम से प्रति किग्रा. बीज को शोधित करके बुवाई करनी चाहिए अथवा 2 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम को मिलाकर प्रति किग्रा. बीज की दर से शोधित करके बुवाई करनी चाहिए। बीज शोधन के बाद राइजोबियम कल्चर एवं पी.एस.बी. कल्वर द्वारा 20 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से बीज उपचार करना चाहिए।
मसूर का बीज शोधन रू मसूर को बीज जनित रोगों से बचाने के लिए थीरम 2 ग्राम या मैंकोजेब 3 ग्राम अथवा ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम से प्रति किग्रा. बीज को शोधित करके बुवाई करनी चाहिए अथवा 2 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम को मिलाकर प्रति किग्रा. बीज की दर से शोधित करके बुवाई करनी चाहिए। बीज शोधन के बाद राइजोबियम कल्चर एवं पी.एस.बी. कल्चर द्वारा 20 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से बीज उपचार करना चाहिए।
रबी राजमा का बीज शोधन रू रबी राजमा को बीज जनित रोगों से बचाने के लिए थीरम 2 ग्राम या मैंकोजेब 3 ग्राम अथवा ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम से प्रति किग्रा. बीज को शोधित करके बुवाई करनी चाहिए अथवा 2 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम को मिलाकर प्रति किग्रा. बीज की दर से शोधित करके बुवाई करनी चाहिए।