रिले क्रॉपिंग के तहत एक खेत में एक साथ करें 2 सब्जियों की खेती      Publish Date : 27/08/2024

रिले क्रॉपिंग के तहत एक खेत में एक साथ करें 2 सब्जियों की खेती

                                                                                                                                                   प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

अगर आप भी एक साथ कई सब्जियों की खेती करके कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाली है। आज हम सब्जियों की खेती से जुड़ी एक ऐसी खास विधि के बारे में आपको बताने जा रहे है, जिसका उपयोग करके किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। इस खास तकनीकी के जरिए खेती करने वाले किसान एक साथ कई सब्जियों की खेती आसानी से कर सकते हैं, जिससे उन्हें कम लागत में बेहद अच्छा मुनाफा मिल सकता है।

                                                             

सरदार वल्लभभाईं पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय मेरठ के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर बताते हैं कि “रिले क्रॉपिंग” एक कृषि तकनीक है, जिसमें एक ही खेत में एक फसल की कटाई से पहले दूसरी फसल की बुवाई कर दी जाती है। इसका उद्देश्य खेत का अधिकतम उपयोग करना और फसल उत्पादन को बढ़ाना है। रिले क्रॉपिंग में फसलों को इस तरह उगाया जाता है कि एक फसल की वृद्धि और विकास के साथ ही दूसरी फसल उगाई जा सकती है, जिससे भूमि का उपयोग निरंतर बना रहता है।

विशेष फसलों की खेती एक साथ

                                                   

डॉ0 सेंगर बताते हैं कि रिले क्रॉपिंग विधि का उपयोग करके भिन्न-भिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती एक साथ की जा सकती है। इस विधि में फसलों का संयोजन और समय प्रबंधन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस विधि से कुछ खास सब्जियों की खेती एक साथ की जा सकती है जिनमे प्रमुख रूप से निम्न को शामिल किया जा सकता है-

1. टमाटर और धनियाः इसके तहत किसान पहले टमाटर की बुवाई करें. जब टमाटर की फसल पकने लगे, तब खेत में धनिया की बुवाई कर दें। धनिया जल्दी उगता है और टमाटर की कटाई होते-होते पकने के लिए तैयार हो जाता है।

2. मूली और पालकः मूली की फसल जल्दी तैयार हो जाती है। मूली के साथ पालक की बुवाई की जा सकती हैं और मूली के तैयार होने तक पालक की पौध भी विकसित हो जाती है।

3. बैंगन और मिर्चः बैंगन की फसल का जीवन चक्र लंबा होता है, इसे मिर्च के साथ उगा सकते हैं। इसके लिए पहले बैंगन की बुवाई करें और जब बैंगन की पौध तैयार हो जाए, तो इसके उपरांत खेत में मिर्च की बुवाई करें।

4. प्याज और गाजरः प्याज की फसल के साथ गाजर की बुवाई, गाजर की जड़ें प्याज की फसल को नुकसान नहीं पहुंचातीं हैं और दोनों फसलों की बुवाई और कटाई के समय का अच्छा तालमेल बैठता है।

5. लहसुन और टमाटरः इस पद्वति में किसान पहले लहसुन की बुवाई करें और जब लहसुन की पौध अच्छी तरह से उग जाए उसके बाद टमाटर की बुवाई करें। लहसुन की जड़ें मिट्टी में नमी बनाए रखती हैं और वह नमी टमाटर की फसल के लिए लाभदायक रहती है।

6. गाजर और मूलीः जैस कि हम सभी जानत है कि गाजर और मूली दोनों ही जल्दी उगने वाली फसलें हैं। इसके लिए आप पहले गाजर की बुवाई कर सकते हैं और गाजर के बढ़ने के साथ-साथ मूली की बुवाई भी कर सकते हैं।

7. भिंडी और लौकीः भिंडी की बुवाई पहले करें और जब भिंडी की फसल तैयार हो जाए, तब लौकी की बुवाई कर दें। लौकी की बेल भिंडी के पौधों को छाया प्रदान कर सकती हैं जिससे दोनों फसलों को लाभ होता है।

8. शिमला मिर्च और धनियाः इस क्रम में किसान भाईं पहले शिमला मिर्च की बुवाई करें और जब शिमला मिर्चं के पौधे अच्छी तरह से स्थापित हो जाएं तो उसके बाद धनिया की बुवाई कर सकते हैं। इस प्रकार धनिया की फसल जल्दी तैयार हो जाती है और शिमला मिर्च की फसल को लाभ पहुंचाता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।