मिश्रित फसल चक्र की सार्थकता

मिश्रित फसल चक्र की सार्थकता

डॉ0 आर. एस. सेंगर

कृषि भारत में विकास की रीड है। कृषि की प्रगति एवं विकास में उन्नतशील प्रजातियों के बीज कृषि की नवीनतम विधियो का प्रचार प्रसार सामायिक एवं पर्याप्त सिंचाई, अच्छी खाद एवं कीटनाशकों का संतुलित उपयोग और आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। परंतु वर्तमान समय में कृषि के क्षेत्र में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। अतः इस अथाह उर्वरकों के इस्तेमाल से बचने के लिए तथा भूमि जलवायु तथा अन्य सुविधाओं को दृष्टिगत रखते हुए समय अनुसार उपयुक्त फसल चक्र को अपनाए जाने की नितांत आवश्यकता है।

मिश्रित फसल चक्र को मिश्रित खेती भी कहा जाता है, जिसके अन्तर्गत एक निश्चित क्षेत्र में निश्चित समय में एक बार में दो या इससे अधिक फसलों की बुआई की जा सकती है। इस विधि में कृषि संबंधी अन्य क्रियाएं जैसे निराई-गुड़ाई एवं सिंचाई आदि समयबद्ध एवं आवश्यकता अनुसार संपन्न होती है। विभिन्न प्रयोगों मिश्रित फसल चक्र में भूमि की उर्वरक शक्ति नमी की मात्रा एवं खनिज लवण आदि संतुलित मात्रा में बने रहते हैं। अतः मिश्रित फसल चक्र के रूप में खेती भारत जैसे विकासशील देश जहां खाद्यान्न समस्या विकराल रूप धारण किए हैं के लिए वरदान स्वरुप है अस्तु किसी के बदलते प्रवेश एवं जनसंख्या की विस्फोटक वृद्धि को देखते हुए आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान के आधार को मजबूत करते हुए अधिक उपज देने वाली रोग रोधी किट रोधी किस्म के विकास के साथ-साथ उपयुक्त फसल चक्र में अपने जाने पर विशेष बोल देना होगा ताकि उत्पादन की बुनियाद शक्तिशाली बनी रहे।

खरीफ फसलों का क्षेत्रफल बढ़ा, इस बार बंपर होगा उत्पादन

                                                                        

खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई का रकबा 15 जुलाई 2024 तक बढ़कर 575 लाख हेक्टेयर पहुंच गया। जबकि वर्ष 2023 के खरीफ सीजन में केवल 521.5 हेक्टेयर में बुवाई की गई थी। इस तरह खरीफ फसलों की बुवाई में 54 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है। तिलहन में बुवाई का रकबा 15 जुलाई तक 1 साल पहले के 115.008 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 140.43 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है तो वहीं दलहनी फसलों में सबसे अधिक अरहर की दाल का रकबा बढ़ा है। इस फसल में इस बार किसानों ने गहरी रुचि ली है और इसी के कारण इस साल यह 28.5 हेक्टेयर है। उड़द दाल की बुवाई का रकबा 13.5 हेक्टेयर पहुंच गया है, मूंगफली की बुवाई का रकबा 28.20 लाख हेक्टेयर है, जो कि वर्ष 2023 के 28.27 लाख हेक्टेयर से भी कम रहा था।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।