उपज बढ़ाने में सहायता करेगा एग्रीटेक Publish Date : 01/05/2023
उपज बढ़ाने में सहायता करेगा एग्रीटेक
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा
मार्च, 2022 में तीव्र गर्मी के कारण गेंहूँ के उत्पदन में लगभग 20 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई और जलवायु परिवर्तन के चलते फसलों के उत्पादन में आगे भी कमी आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसे में नीति आयोग का मानना है कि एग्रीटेक (कृषि सम्बन्धी सॉल्यूशन्स उपलब्ध कराने वाली एक टेक्नोलॉजी कम्पनी) जलवायु परिवर्तन और मौसम के चलते फसल उत्पादन में कमी को रोकने में सक्षम है।
वैसे भी भरत के लिए तो एग्रीटेक और भी आवश्यक है, क्योंकि भारत में 85 प्रतिशत से अधिक किसानों की जोत का आकार काफी कम हैं नीति आयोग का मानना है कि एग्रीटेक से जहाँ एक ओर किसानों को सहायता प्रात् होगी, वहीं दूसरी ओर भारत में एग्रीटेक के कारोबार की व्यापक सम्भावानाएं विद्यमान हैं।
वर्तमान समय में, एग्रीटेक कारोबार मात्र 20.4 करोड़ डॉलर का है जबकि इस कारोबार को 24 अरब डॉर के आकार तक ले जाया जा सकता है। आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, एगीटेक कम्पनियां उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों के माध्यम से क्षेत्र विशेष अथवा खेत विशेष में लगाई गई फसल पर नजर रखती है।
आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भूमि का समस्त डाटा डिजिटल होने के पश्चात् एगीटेक कम्पनियां किसी भी जमीन की फसल के बारे में जानकारी प्राप्त कर फसल के जोखिमों को लेकर उसके स्वामी को सतर्क कर सकेंगी। इससे बीमा कम्पनियों को भी फसलों का बीमा करने में उल्लेखनीय सहायता प्राप्त होगी। क्योंकि जोत का आकार छोटा होने के चलते किसानों को भी अपनी फसलों का बीमा लेने में दिक्कत आती हैं
फसल की कटाई के उपरांत होने वाली हानियों से बचाने में मिलेगी सहायताः आयोग की रिपोर्ट के अनुसार एग्रीटेक से उपज में बढ़ोत्तरी के लिए, कृषि सलाह के साथ कीटनाशक प्रबन्धन और फसल के लिए आवश्यक अन्य कारकों की सप्लाई आदि में भी सहायता प्राप्त होने की सम्भावना है।
एग्रीटेक के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के चलते होने वाली हानियों से बचने के उपयों जैसे कि मृदा की क्षमताओं में वृद्वि करने के तरीकों से लेकर फसल के पैटर्न में क्या बदलाव सम्भव हैं, आदि के बारे में पर्याप्त सहायता प्राप्त हो सकती है।
जबकि एग्रीटेक की मदद से फसलों की कटाई के उपरांत होने वाले नुकसानों से भी पार पाया जाना सम्भव होगा। एग्रीटेक के आर्टिफिशियल इंटेलीजजेंस की मदद से किसानों को यह भी पता चल सकता है कि उनके उत्पाद की माँग कितनी रहने वाली है और किस बाजार से उन्हें उस उत्पाद की कितनी मिल सकती है।
क्ई राज्यों ने एग्रीटेक कम्पनियों की सेवा लेना किया आरम्भः पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश एवं तमिलनाडु जैसे राज्यों ने अपने यहाँ के किसानों के लिए विभिन्न एग्रोटेक कम्पनियों की सेवा प्राप्त करनी आरम्भ कर दी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार टाटा ट्रस्ट कंपनी की सहायता से आईआईटी कानपुर में एग्रीटेक इंक्यूबेशन सेंटर की स्थापना कर रही है, और इसी प्रकार के प्रयास अन्य सभी राज्य सरकारों के द्वारा भी किए जा रहे हैं।
ग्राम पंचायतों को जवाबदेह बनाएगा निर्णय एप
ग्राम सभा की खानापूर्ति कर निर्णयों या संकल्पों को फाइल्स में दफन करना अब सम्भव नही होगा। अब ग्रामीणों को भी यह पता होगा कि ग्राम सभा में क्या-क्या मुद्दे उठायेगा अथवा क्या-क्या निर्णय लिए गए। अब उन्हें इसके लिए पंचायत कार्यालय के अधिकारियों या बाबुओं से दस्तावेजी सुबुतों के लिए चक्कर लगाने की आवश्यकता नही पड़ेगी। अब इसके लिए उन्हें अपने स्मार्टफोन में ‘निर्णय’ नामक एप डाउनलोड करना होगा।
यह एप पंचायत की पूरी कार्यवाहियों की सरल भाषा में विडियो के माध्यम लानकारी प्रदान करेगा। इस पारदर्शी व्यवस्था से ग्राम पंचायतों की जवाबदेही तय करने प्रयास किया जा रहा है, जिससे कि ग्रामीण पंचायतों के निर्णय पालन आदि के सम्बन्ध में प्रश्न कर सकें।
केन्द्रीय सरकार ग्रामों के समग्र विकास के लिए पंचायतों को पारदर्शी बनाने के प्रयास कर रही है। इस प्रयास को अधिक सार्थक बनाने के लिए पंचायती राज्य मंत्रालय के द्वारा डिजिटल तकनीक को माध्यम बनाया है।
हाल ही में ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री गिरिराज सिंह ने नेशनल इनिशिएटिव फॉर रूरल इंडिया टू नेविगेट, इनोवेट एण्ड रिजाल्व पंचायत डिसिजन (निर्णय) एप का उद्घाटन किया था। भारत सरकार चाहती है कि ग्रामों के समग्र विकास के जो तय लक्ष्य हैं उन्हें प्राप्त करने के लिए उसमें ग्रामीण भी भागीदार बनकर उसकी निगरानी कर सकें और ग्राम पंचायतों के ढुलमुल रवैये को समाप्त किया जा सके।
मंत्रालय के उपसचिव अरूण कुमार मिश्रा ने बताया कि निर्णय एप का लॉगिन-पासवर्ड पंचायत सचिव और ब्लॉक सचिव को प्रदान किया जा रहा है। अभी तक लगभग 2.5 लाख लॉगिन-पासवर्ड बनाए जा चुके हैं। ग्राम पंचायत के लिए एक वर्ष में कम से कम 6 ग्राम सभाएं अनिवार्य रूप से करना आवश्यक है।
जेनेटिक थेरेपी के माध्यम से टाउ प्रोटीन का उत्पादन कम किया जाना सम्भव
शोधकर्ताओं के द्वारा पहली बार जीन थेरेपी का उपयोग किया गया है, जो इस रोग के लिए उत्तरदायी टाउ प्रोटीन को सुरक्षित तरीके से कम करने में सक्षम हैं। यह ट्रॉयल सलाहाकार न्युरोलॉजिस्ट डॉ0 कैथरीन ममेरी (यूसीएल क्वीन स्क्वायर इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी एण्ड द नेशलन हॉस्पिटल फॉर न्यूरोलॉजी एण्ड न्यूरोसर्जरी) के नेतृत्व में किया गया है।
इस ट्रॉयल के दौरान डिमेशिया एवं अल्जाईमर रोग में जीना साइलेन्सिंग को अपनाया गया था। शोधकर्ताओं ने एक दवा का उपयोग किया, जिसका प्रयोग प्रोटीन का उत्पादन करने वाले आरएनए को बाधित करने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही टाउ प्रोटीन के लिए जीन कोडिंग करने में सहायक होता है और यह उसके उत्पादन को भी कम देने में सक्षम हैं।
प्रतिदिन अखरोट का सेवन करने से किशोरवय में बढ़ती है एकाग्रता
पढ़ाई एवं कैरियर के क्षेत्र में दिन प्रति दिन प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है और इसमें बेहतर प्रदर्शन करने के लिए पूरी मेहनत के साथ ही एकाग्रता का होना भी उतना ही आवश्यक है। आपके बच्चों की एकाग्रता में वृद्वि करने के लिए अखरोट सहायता कर सकता है।
एक शोध में सामने आया है कि प्रतिदिन एक मुट्ठी भर या फिर प्रति सप्ताह कम से कम तीन अखरोट को सेवन करने से किशोरों में एकाग्रता तेजी के साथ बढ़ती है। स्पेन के शोधकर्ताओं के द्वारा यह अध्ययन किया गया है।
इस शोध का प्रकाशन जर्नल ई-क्लीनिकल मेडिसिन ने किया है। इस अध्ययन के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि किशोरों में ज्ञान सम्बन्धित कौशल में वृद्वि पाने के लिए उन्हे प्रतिदिन अखरोट का सेवन करना चाहिए और इसी के साथ यह किशोरों कीमनोवैज्ञानिक परिपक्वता में वृद्वि करने में भी सहायक है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि पिछले अध्ययनों के अतर्गत मासिक स्वास्थ्य पर बादाम कोसेवन करने से होने वाले प्रभावों के बारें में बताया गया था। शोधकर्ताओं का दावा है कि किशोरावस्था में ज्ञान के विकास के सम्बन्ध में इन पदार्थों के सेवन से होने वाले प्रभावों की जांच कभी नही की गई। बताया कि अखरोट अल्फा-लिनोलेनिक फैटी एसिड से भरपूर होते हैं।
यह एक प्रकार का ओमेगा-3 होता है, जो कि विशेषरूप से किशोरावस्था के दौरान मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इस शोध में 700 किशोरों को शामिल किया गया था।
शोध में शामिल किशोरों को प्रतिदिन सेवन करने के लिए लगभग 3 ग्राम अखरोट दिया गया जिससे इन किशोरों की एकाग्रता में व्यापक सुधार पाया गया।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर में प्रोफेसर एवं कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष हैं तथा लेख में प्रस्तुत विचार उनके स्वयं के हैं ।