निमोनिक्स आर रिएक्शन चार्ट के माध्यम से सूत्रों को रखें याद Publish Date : 05/12/2023
निमोनिक्स आर रिएक्शन चार्ट के माध्यम से सूत्रों को रखें याद
डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं मुकेश शर्मा
जेईई मेन में फिजिक्स, कैमिस्ट्री एवं मैथ्स सब्जेक्ट्स के विषय में न्यूमेरिकल पर आधारित प्रश्नों के पूछे जाने पर यह परीक्षा अभ्यर्थियों के लिए अधिकत मार्क्स स्कोर करने में चुनौति पेश करता है। इसके सम्बन्ध में जेईई मेन की तैयारी को आसान बनाने के लिए अभ्यर्थी, फिथ्जकस् स्बजेक्ट को फंडामेंटल प्रिंसिपल, लॉ और विजुअलाईजेशन की सहायता से समझाते हुए रिकमेंडेड बक्स से प्रतिदिन 30 से 40 प्रश्नों का अभ्यास करना उचित रहता है।
तो वहीं कार्बनिक के अध्ययन के लिए ऐसे अभिकर्मकों को विशेष रूप से समझा जाना उचित रहता है जिनका उपयोग परिवर्तन प्रक्रिया के महत किया जाता है। इसके अतिरिक्त इनऑर्गेनिक केमिष्ट्रिी के कॉन्सेप्ट को भी गहराई से समझना चाहिए और प्रक्रियाओं को याद रखने के लिए फ्लैशकार्ड, निमोनिक्स और रिएक्शन आदि चार्ट बनाकर उस चार्ट के माध्यम से अभ्यर्थी इनऑर्गेनिक रिएक्शन्स को लम्बे समय तक याद रख सकते हैं।
जबकि मैथ्स के बारे में यदि बात की जाए तो यह एक ऐसा सब्जेक्ट है, जिसके लिए किसी सिद्वॉन्त की आवश्यकता नही होती है। अतः इस सब्जेक्ट में महारत प्राप्त करने के लिए इसका दैनिक अभ्यास और इसके सूत्रों को याद रखने के लिए नई टैक्नीक का उपयोग करना उचित है। इस प्रकार जेईई में अधिकतम स्कोर प्राप्त करने के लिए अभ्यर्थी अपने अनुभवी फैकल्टी के मार्गदर्शन के माध्यम से इस जटिल सब्जेक्ट को समझकर अपने आत्मविश्वास और इसके सम्बन्ध में अपने ज्ञान के दायरे को विस्तृत कर सकते हैं।
छात्रों के लिए वन स्टॉप मंच का महत्व
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी अर्थात आईआईटी, कानपुर की ओर से 13-15 दिसम्बर, 2023 के दौरान वार्षिक ‘ई-समिट’ का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नवाचार से लेकर सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन तथा रचनात्मक रूप से अपने विचारों का कार्यान्वयन करने के लिए छात्रों को वन-स्टॉप मंच प्रदान करना है।
आईआईटी में आयोजित होने वाली इस समिट में आठ से अधिक वर्कशॅप, 25 से अधिक टॉक सेशन्स और 10 से अधिक कॉम्पिटिशन्स का आयोजन किया जाना है, जिनके तहत छात्रों को विभिन्न स्किल्स को सीखने और उनका विकास करने का अवसर प्राप्त होगा।
इसके तहत समिट में भाग लेने वाले प्रत्येक छात्र को एक लाख से लेकर पच्चीस हजार रूपये तक के उपहार जीतने का अवसर भी दिया जायेगा। अतः जो भी छात्र इस समिट में भाग लेना चाहते हैं उन्हें वेबसाईट पर जाकर अपना पंजीकरण ऑनलाईन ही करना होगा।
आधुनिक टैक्नीक से करें परफेक्ट रिवीजन
दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा, जो कि वर्ष 2023 में प्रस्तावित है, की तैयारी करने के लिए स्पेस्ड रिपीटिशन मेथड नामक तकनीक इसमें भाग लेने वाले अभ्यर्थियों के लिण् एक बहुउद्देशीय तकनीक होगी। इस तकनीक को उपयोगी रूप प्रदान करने के लिए इसके प्रथम चरण के दौरान महत्वपूर्ण सब्जेक्ट् का अध्ययन गहराई से करे और फिर अगले 24 घंटे के पश्चात् पुनः उसी सब्जेक्ट का अध्ययन करें।
ध्यान रहे कि स्पेस्ड रिपीटिशन मेथड के दूसरे चरण से पूर्व अपने अन्य सब्जेक्ट्स पर भी पूरा ध्यान केन्द्रित करे। अब इस तकनीक के दूसरे चरण अर्थात 7वें दिन इसी सब्जेक्ट का पुनः रिवीजन करें और इसके बाद इसी क्रम को दोहराते हुए अपनी इच्छा के अनुसार कुछ गैप के बाद महीने के 16वे या फिर 35वें दिन पढ़ें गये सब्जेक्ट का दोबारा से रिवीजन करें। स्पेस्ड रिपीटिशन विषय मैथड को समझकर उससे सम्बधित कॉन्सेप्ट को लम्बे समय तक याद रखने में अभ्यर्थी की सहायता करता है।
अब वैज्ञानिक बनेंगे सक्षम जटिल आणविक प्रक्रियाओं के अध्ययन में
इस वर्ष भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले तीनों वैज्ञानिकों की खोज का सबसे महत्चपूर्ण बिन्दु यह है कि इससे ऐसी आणविक प्रक्रियाओं का अध्ययन भी किया जा सकेगा, जो कि बहुत तीव्र गति से घटित होती हैं और इसी के बारे में अभी तक सोचना भी काफी मुश्किल प्रतीत होता था। हालांकि इस खोज का विभिन्न क्षेत्रों के अन्तर्गत भी अनुप्रयोग किया जा सकता है। जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक्स के लिहाज से इलेक्ट्रॉन के व्यवहार को समझना, नियन्त्रित करन अथवा विभिन्न अणुओं की पहिचान करने के लिए एटोसेकेंड पल्स का उपयोग करना, जिसका नैदानिक चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर उपयोग करना सम्भव होगा।
नोबेल परस्कार विजेता पियरे ऑगस्टिनी, अमेरिका की ओहियो स्टेट यूनिवार्सिटी में भौतिक विज्ञान के प्रोफेस हैं। फरेंक क्रॉस्ज जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ क्वांटम ऑप्टिक्स के निदेशक हैं और एनी एल हुइलियर स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी में आण्विक भौतिकी की प्रोफेसर हैं।
इन तीनों वैज्ञानिकों ने पदार्थ में इलेक्ट्रॉन्स की गतिशीलता के अध्ययन के लिए प्रकाश के एटोसेकेंड पल्स को तैयार करने के विभिन्न तरीकों की खोज की है।
सेकेंड की सबसे छोटी इकाई होती है एटोसेकेंड
दरअसल, ऐटोसेकेंड समय की सबसे सूक्ष्म इकाई है। 31.71 अरब वर्ष में जितने सेकेंड होते हैं लगभग उतने ही एटोसेकेंड एक सेकेंड में होते हैं। यदि इस दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ब्रह्मंड की उत्पत्ति से लेकर अभी तक जितने सेकेंड बीत चुके हैं, लगभग उतने ही एटोसेकेंड एक सेकेंड में होते हैं।
किसी भी अणु में इलेक्ट्रॉन, एक एटोसेकेंड के दसवें भाग में अपना स्थान परिवर्तन कर लेते हैं। इससे हमें आण्विक एवं उप-आण्विक कणों से सम्बन्धित संक्षिप्त घटनाओं का अध्ययन करने के लिए एक विशेष तकनीक की आवश्यकता होती है।
नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों के द्वारा प्रकाश के इतने छोटे पल्स बनाने में सफलता प्राप्त की है, जिन्हें एटोसेकेंड में भी मापा जा सकता है। इन प्रकाश स्पंदनों (लाइट पल्स) का उपयोग परमाणुओं तथा अणुओं के भीतर की प्रक्रियाओं की छवियों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। अब हम इलेक्ट्राँस की दुनिया के दरवाजे को भी खोल सकते हैं।
एटोसेकेंड, भौतिकी के उन तंत्रों को समझने का हमें अवसर प्रदान करती है, जिन पर इलेक्ट्रॉन शासन करते हैं और हमारा अगला कदम उन तंत्रों का उपयोग करना ही होगा।
- ईवा ओल्सन, अध्ययक्ष भौतिकी की नोबल समिति।
एनी हुइलियर भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पाँचवी महिला वैज्ञानिक
वर्ष 1901 से लेकर वर्ष 2023 तक भौतिक के क्षेत्र में अभी तक कुल 224 वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इस प्रकार से यदि हम महिला वैज्ञानिकों की बात करें तो इस वर्ष की संयुक्त विजेता एनी हुइलियर के अलावा वर्ष 1903 में मैरी क्यूरी, वर्ष 1963 में मॉरिया गोएपर्ट-मेयर, वर्ष 2018 में डोना स्ट्रिकलैण्ड और वर्ष 2020 में एंड्रिया पेज को यह पुरस्कार दिया जा चुका है। जबकि जॉन बारडीन को वर्ष 1956 और 1972 का दो बार भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभागए सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।