
एग्जाम एंजायटी से बचे और अपनी तैयारी को बेहतर करें Publish Date : 23/02/2025
एग्जाम एंजायटी से बचे और अपनी तैयारी को बेहतर करें
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
इन दिनों कई घरों के बच्चों को बोर्ड की परीक्षा देनी होती है जिससे एक गंभीर माहौल बना हुआ है और माता-पिता बच्चों के लिए चिंतित हैं और परीक्षार्थी परीक्षा और पेरेंट्स की उम्मीदों का दो तरफा तनाव ले रहे हैं। यही सबसे विकट स्थिति होती है। बोर्ड परीक्षा के नाम से ही कुछ परीक्षार्थियों घबराहट होने की शिकायत करने लगते हैं। जैसे बोर्ड परीक्षाएं नहीं बल्कि कोई पहाड़ तोड़ना है। जबकि यह भी अन्य वार्षिक परीक्षाओं के समान ही एक परीक्षा होती है। हालांकि यह परीक्षा काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भविष्य की राह का प्रथम सोपान होती है।
इतने अधिक तनाव के बीच माता-पिता की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों की मदद करें और घर में सहयोग का वातावरण बनाए रखें, जिससे बच्चों को अधिक तनाव उत्पन्न न होने पाए।
बच्चों के तनाव के संकेत को समझें और उनका सहयोग करें
बच्चों की परीक्षा के समय में मदद करने के लिए जरूरी है कि आप बच्चों में तनाव के चेतावनी के स्तर पर पहुंच रहे संकेतों पर करीबी नजर बनाए रखें। कुछ बच्चों में अन्य बच्चों की तुलना में तनाव के लक्षण अधिक तेजी के साथ विकसित होते हैं और उनकी प्रतिक्रियाओं में मितली अर्थात उल्टी, बुखार और चिड़चिड़ापन आदि शामिल हो सकते हैं। यह आगे चलकर अवसाद में विकसित भी हो सकते हैं।
माता-पिता को यह याद रखना चाहिए कि उनका बच्चा दुनिया की किसी भी परीक्षा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। यदि ऐसी कोई लक्षण दिखाई देते हैं तो यह जरूरी है कि आप अपने बच्चे से बात करें और यह स्पष्ट करें कि उसके लिए आपका प्यार किसी भी परीक्षा के अंकों पर निर्भर नहीं करता है। यह सिर्फ बातों के माध्यम से ही नहीं बल्कि आपके कार्य और व्यवहार से भी स्पष्ट होनी चाहिए जिससे कि आपका बच्चा तनाव मुक्त रह सके।
बच्चों के साथ समय बिताने का प्रयास करें
अपनी व्यवस्तताओं के चलते संभव है कि आप अपने बच्चों के साथ बहुत अधिक समय नही बिता पाते हों, हालांकि आपको यह भी समझना चाहिए कि इस दौरान बच्चों के मन में कई सारी उलझने या ऐसी बातें हो सकती हैं जिन्हें वह आपके साथ साझा करने के इच्छुक हो। इसके लिए जरूरी है कि इन दिनों में आप दोनों में से कोई भी एक बच्चों के साथ कुछ समय अवश्य बिताएं। इस दौरान बच्चे से हल्की-फुल्की बातें करें और जरूरत हो तो बच्चे की चिताओं को भी सुनें और उन्हें हल करें।
परीक्षा के समय घर को शांत शांतिपूर्ण सकारात्मक और सहज रखने से बच्चे पूरे मन से परीक्षा की तैयारी कर पाते हैं। हालांकि आप उन्हें यह भी न कहें कि उनकी परीक्षाओं की वजह से आप किसी समारोह या मीटिंग में नहीं जा पा रहे हैं। यह बात उन्हें सफलता देने के स्थान पर दबाव दे जाएगी। अतः आप बच्चों से बात करें और उनका मनोबल बढ़ा कर रखें।
आने वाले कल पर रखें नजर
बच्चों को अगले दिन की परीक्षा से एक रात पहले ही उस दिन की योजनाओं को बनाने के लिए कहें और अगले दिन उठने से लेकर रिवाइज करने तक के समय और पेन, पेंसिल आदि को व्यवस्थित स्थान पर रखने के लिए कहें। यह अभ्यास उन्हें परीक्षा पर निकलने से पूर्ण होने वाली हड़बड़ी देरी आदि के तनाव से बचा सकता है। कई माता-पिता की आदत होती है कि वह परीक्षा से लौटे विद्यार्थियों के प्रश्न-पत्रों की समीक्षा करते हैं।
ऐसा करते यह ध्यान अवश्य रखें कि अगर समीक्षा इतनी सकारात्मक नहीं होती है तो उत्तरों पर चर्चा करने के बजाय अगली परीक्षा की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए बच्चे को प्रेरित करें।
यह महत्वपूर्ण है की माता-पिता यह समझे कि प्रत्येक बच्चे की एक निश्चित क्षमता होती है। बच्चों को अपनी क्षमता से अधिक अंक प्राप्त करने के लिए मजबूर करने के स्थान पर माता-पिता को उन्हें परीक्षा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सहायता प्रदान करनी चाहिए, जिससे बच्चों का मनोबल बढ़ा रहेगा और वह परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकेगा।
पढ़ाई के बीच में ब्रेक भी लेते रहे
लगातार पढ़ाई से बच्चों का दिमाग थक सकता है, ऐसे में वह किताब खोलकर बैठे तो रहेंगे, परन्तु उनका दिमाग इस अवस्था में नहीं होगा कि वह और ज्यादा ग्रहण कर पाए। इसलिए उन्हें समझाएं की पढ़ाई के बीच कुछ समय विश्राम के लिए भी रखें। यह पढ़ाई के लिए दोबारा तरो ताजा करता है। आदर्श रूप से बच्चे को 2 घंटे पढ़ने के बाद कम से कम 20 मिनट का ब्रेक जरूर लेना चाहिए। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि बच्चा अपने ब्रेक का उपयोग ब्रेक के रूप में ही करें।
पढ़ाई के साथ-साथ मन और शरीर को आराम देना भी महत्वपूर्ण होता है। माता-पिता बच्चों के लिए कुछ सरल विश्राम तरकीब जैसे पढ़ाई के बाद टहलने जाना या थोड़ा बहुत टहलने आदि को बढ़ावा दे सकते हैं। बच्चों को देर रात तक अध्ययन करने से भी रोकना चाहिए, क्योंकि एक अच्छे अध्ययन सत्र और परीक्षा प्रदर्शन के लिए रात की पर्याप्त नींद लेना भी आवश्यक होता है। यदि आप देखते हैं कि बच्चा विश्राम के नाम पर इंटरनेट मीडिया पर बहुत अधिक समय बर्बाद कर रहा है या अपने दोस्तों से बात कर रहा है तो शांत व्यवहार के साथ उनका ध्यान लंबित पथ पर वापस लाने की कोशिश करें और इसके लिए बच्चे को ज्यादा डांटे नहीं बल्कि समझा कर उसकी पढ़ाई में लगाने का प्रयास करें।
बच्चों को समझाएं कि उनका कोई सवाल छुटने न पाए
सही समय प्रबंधन न होने के कारण देखा गया है कि छात्र सभी प्रश्नों को अटेंम्पट नहीं कर पाते हैं, इसके लिए घर पर छात्रों और अपने बच्चों की प्रैक्टिस कराएं जिससे वह सभी प्रश्नों को अटेम्पटं कर सकें। परीक्षा देकर लौटे छात्रों में देखा गया है कि समय की कमी के चलते उनके कुछ प्रश्न छूट जाते हैं। वास्तव में ऐसा समय की कमी से नहीं बल्कि समय का सही प्रबंधन नही होने के कारण होता है। बोर्ड परीक्षा से पहले बच्चे पाठ याद करने में इतने व्यस्त रहते हैं कि तय समय में प्रश्न पत्र पूरा हल करने का अभ्यास नहीं कर पाते हैं।
बोर्ड परीक्षाओं में सफलता निश्चित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक है जल्दी और स्पष्ट रूप से लिखने की क्षमता। पूर्व में हुई परीक्षा के प्रश्न पत्र या नमूना प्रश्न पत्र को हल करने के लिए दिन में 3 घंटे निकले और उसी निर्धारित समय में हल करने का अभ्यास कर अपनी आगामी परीक्षा के लिए समय का प्रबंधन तय करें। परीक्षा के दौरान लिखना शुरू करने से पहले उत्तर की योजना बनाने के लिए समय निकालें। प्रत्येक प्रश्न के लिए तय समय आवंटित करें और उसे समय सीमा पर टिके रहे।
हर प्रश्न के प्रमुख बिंदुओं को लिखें और उन्हें एक तार्किक अनुक्रम में व्यवस्थित करें। इससे आप एक प्रश्न पर बहुत अधिक समय खर्च करने से बचेंगे। सटीक उत्तर दें साथ ही उत्तर देने की गति से समझौता बिलकुल भी न करें। यह सुनिश्चित करें कि आपके उत्तर अच्छी तरह से संरक्षित और प्रश्नों के लिए प्रासंगिक हैं। इसके अलावा एक और बात है कि आपकी लिखावट स्पष्ट और पढ़ने में आसान होनी चाहिए। कई बार सही उत्तर होने के बाद भी जांचकर्ता कम अंक देते हैं।
इसलिए आवश्यक है कि साफ सुथरी लिखाई के साथ दो प्रश्नों के बीच पर्याप्त अंतर देते हुए उत्तर लिखें और प्रश्नों के बीच के उत्तर में जो आप जगह छोड़कर लिखेंगे उससे जांचकर्ता को जांचने में आसानी होगी और शिक्षक आपको अच्छे अंक देंगे। माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को मॉडल पेपर के माध्यम से 3 घंटे लगातार बैठकर आंसर देने की प्रैक्टिस कराएं, जिससे वह परीक्षा में अपना अच्छा प्रदर्शन कर सकें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।