
भारत में पर्यावरणीय आंदोलन तथा विभिन्न पर्यावरणविद् एवं उनका योगदान Publish Date : 09/02/2025
भारत में पर्यावरणीय आंदोलन तथा विभिन्न पर्यावरणविद् एवं उनका योगदान
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
1. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सत्य है-
(अ) अपशिष्ट उत्पादक के लिए यह आज्ञापक होगा किसी भी एक जिले में उत्पादित अपशिष्ट, किसी अन्य जिले में न ले जाया जाए।
(ब) इन नियमों में अपशिष्ट भराव स्थलों तथा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के लिए सटीक एवं ब्यौरेवार मानदण्ड उपबन्धित हैं।
(स) यह नियम केवल अधिसूचित नगरीय स्थानीय निकायों, अधिसूचित नगरों तथा औद्योगिक नगरों पर ही लागू होंगें।
(द) अपशिष्ट उत्पादक को पाँच काटियों में अपशिष्ट अलग-अलग करने होंगे।
उत्तर- ब
2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. भारतीय वन अधिनियम, 1927 में हाल ही में हुए संशोधन के अनुसार, वन निवासियों को वनक्षेत्र में उगने वाले बाँस को काटकर गिराने का अधिकार प्राप्त है।
2. अनुसूचित जनजाति एवं पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006, बाँस एक गौण वनोपज है।
3. अनुसूचित जनजाति एवं पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 वन निवासियों को गौण वनोपज के स्वामित्व की अनुमति प्रदान करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं-
(अ) 1, 2 और 3 (ब) केवल 1 और 2
(स) केवल 2 और 3 (द) केवल 3
उत्तर- स
3. किसी प्रस्तावित परियोजना अथवा क्रियाकलाप के पर्यावरण पर पड़ने वाले सम्भावित प्रभावों के अध्ययन को कहते हैं-
(अ) पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ब) पर्यावरणीय नीतिशास्त्र
(स) पर्यावरणीय प्रबन्धन (द) उपर्युक्त में से कोई नही
उत्तर- अ
4. पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के अंतर्गत सर्वाधिक विवादित चरण-
(अ) बेसलाईन अध्ययन (ब) प्रभावों की भविष्यवाणियाँ
(स) प्रयोजन (द) स्क्रीनिंग
उत्तर- ब
25. पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की अधिसूचना निम्न में से किस अधिनियम के माध्यम से जारी की गई-
(अ) भारतीय वन अधिनियम वर्ष 1927
(ब) वायु (प्रदूषण नियंत्रण एवं रोकथाम) नियंत्रण अधिनियम, 1981
(स) पर्यावरण सेरक्षण अधिनियम 1986
(द) वन संरक्षण अधिनियम 1980
उत्तर- स
6. पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की संकल्पना का उद्भव हुआ-
(अ) न्यूजीलैण्ड से (ब) फ्रांस से
(स) डेनमार्क से (द) संयुक्त राज्य अमेरिका से
उत्तर- द
7. भारत में पर्यावरणीय प्रभाव आकलन का कार्य आरम्भ हुआ-
(अ) वर्ष 1976 से (ब) वर्ष 1966 से
(स) वर्ष 1967 से (द) वर्ष 1952 से
उत्तर- अ
8. पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के प्रमुख घटक हैं-
(अ) जैविक पर्यावरण (ब) जलीय पर्यावरण
(स) वायु पर्यावरण (द) उक्त सभी
उत्तर- द
9. इनमें से किस पर्यावरणविद् को जल-पुरूष के नाम से भी जाना जाता है-
(अ) सलीम अली (ब) वी. वेंकटेश्वरलू
(स) राजेन्द्र सिंह (द) सुन्दरलाल बहुगुणा
उत्तर- स
10. निम्न में से कौन-सा प्रकाश रासायनिक धुम्र कोहरे के निर्माण के दौरान उत्पन्न होता है-
(अ) मीथेन (ब) हाइड्रोकार्बन्स्
(स) नाइट्रोजन ऑक्साइड (द) ओजोन
उत्तर- द
11. 100 डेसीबल का शोर प्रदूषण होता है-
(अ) किसी मशीन वाली दुकान से आता शोर
(ब) शोरयुक्त गली से आती घ्वनि
(स) सामान्य वार्तालाप
(द) केवल श्रवण योग्य
उत्तर- अ
12. क्लोमगोलाणुरूग्णता (Pneumoculosis) उन श्रमिकों को प्रभावित करता है, जो मुख्यतः कार्य करते हैं-
(अ) काँच उद्योग (Glass Industry)
(ब) चर्म-शोधनालय (Tanneries)
(स) कोयला खनन उद्योग (Coal Mineing)
(द) मद्यशाला/आसवनी (Distilleric)
उत्तर- स
13. वायु में कार्बन मोनोऑक्साइड के अत्याधिक उत्सर्जन से एक ऐसी दशा का निर्माण होता है जिसमे मानव शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। यह दशा होती है-
(अ) कार्बन मोनो-ऑक्साइड श्वास के साथ मानव शरीर में पहुँचने पर कार्बन डाई-ऑक्साइड में बदल जाती है।
(ब) मानव शरीर में पहुँचने पर कार्बन मोनो-ऑक्साइड, हीमोग्लोबिन की रासायनिक संरचना को नष्ट कर देती है।
(स) कार्बन मोनो-ऑक्साइड हीमोग्लोबिन से ऑक्सीजन की तुलना में अधिक तीव्र गति से बन्ध बनाती है।
(द) कार्बन-मोनो-ऑक्साइड मस्तिष्क में श्वास सम्बन्धि केन्द्र पर दुष्प्रभाव डालती है।
उत्तर- स
14. क्लोरीनीकरण (Clorination) जलशुद्विकरण हेतु एक प्रक्रिया है। क्लोरीन की विसंक्रमण (कीटाणु रहित करना) प्रक्रिया मुख्यतः किस कारण से होती है-
(अ) क्लोरीन के जल में मिलाने पर हाइड्रोक्लोराइड अम्ल का निर्माण होता है।
(ब) क्लोरीन के जल में मिलाने पर हाइपोक्लोस अम्ल का निर्माण होता है।
(स) क्लोरीन के जल में मिलाने पर नवजात ऑक्सीजन का निर्माण होता है।
(द) क्लोरीन के जल में मिलने पर हाइड्रोजन का निर्माण होता है।
उत्तर- ब
15. हाल में ‘तेल-जैपर’ (Oil Zapper) समाचरों में था, यह क्या है-
(अ) यह समुद्र के भीतर तेल अन्वेषण हेतु विकसित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी है।
(ब) यह एक आनुवांशिक अभियांत्रिकी से निर्मित उच्च मात्रा में जैव-ईंधन प्रदान करने वाली मक्का की एक प्रजाति है।
(स) यह तेल के कुंओं में कास्मिक उपजी लपटों को नियंत्रित करने वाली अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी है।
(द) यह तेलीय पंक तथा बिखरे हुए तेल के उपचार हेतु परिस्थितिकी के अनुकूल विकसित प्रौद्योगिकी है।
उत्तर- द
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।