ऑर्गेनिक केला स्वास्थ्य के लिए है लाभकारी Publish Date : 20/02/2024
ऑर्गेनिक केला स्वास्थ्य के लिए है लाभकारी
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
विश्व के विविध देशों में हुए शोध कार्य के माध्यम से यह साबित किया गया है कि आहार में सबसे पौष्टिक माने गए केले का उत्पादन, अगर ऑर्गेनिक पद्धति द्वारा किया जाए तो यह मानव स्वास्थ्य पर चमत्कारिक असर कर सकता है। रासायनिक कृषि के कारण मिट्टी में एकत्रित कई ऐसे तत्व हैं जो कि शरीर को पोशाक प्रदान करने के बजाय अब उल्टा नुकसान कर रहे हैं। यह शोध के द्वारा साबित हुआ है कि इन परिस्थितियों में विश्व भर के किसानों में जागृति आई है और वह ऑर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं।
प्राय: देखा गया है की मार्केट में जो ऑर्गेनिक उत्पाद है उससे किसनों की इनकम भी बढ़ रही है और लोग ऑर्गेनिक उत्पाद को अधिक दर में खरीदने में अब कोई हिचकिचाहट का प्रदर्शन नहीं करते हैं। विभिन्न फसलों के साथ केला और साग सब्जी का उत्पादन भी अब ऑर्गेनिक पद्धति के द्वारा किसानों द्वारा किया जा रहा है।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के निदेशक ट्रेंनिंग ऑफ प्लेसमेंट, प्रोफेसर आर एस सेंगर ने बताया पिछले कई सालों से ऑर्गेनिक खेती के प्रचार प्रसार एवं अलग-अलग शोधों के बाद इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। देखा गया है कि ऑर्गेनिक कला स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध हुआ है। ऑर्गेनिक केले में एक और पोटेशियम का अनुपात बहुत ही ज्यादा है तो दूसरी और उसमें नमक का अनुपात बहुत ही कम होने से यह फल ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हुआ है।
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इस बात के प्रचार प्रसार के लिए केले के उत्पादकों और केले से जुड़े हुए उद्योगों को प्रोत्साहित किया है। केले में रेशा का अनुपात ज्यादा होता है, इसलिए केला खाने से पाचन क्रिया और शरीर में कबिजयत की समस्या का प्राकृतिक तरीके से निदान हो जाता है। ऑर्गेनिक किले में कुदरती रूप से पित्त नाशक तत्व के होने से एसिडिटी यानी अम्ल पित्त एवं पेट में जलन की समस्या ऑर्गेनिक केला खाने से दूर होती है।
प्रोफेसर आर एस सेंगर ने बताया कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में लोग पहले केले की खेती नहीं करना चाहते थे, लेकिन कृषि विश्वविद्यालय के के प्रयास से अब कई गांवों में केले के प्रदर्शन लगाए गए, जिससे किसान रूबरू हुए और उन्होंने केले की फसल को उगाना प्रारंभ किया। आज पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं, जहां पर किसान गन्ने की खेती को छोड़कर केले की खेती करना प्रारंभ कर रहे है और आज उससे वह अच्छी आमदनी भी प्राप्त कर रहे हैं।
साथ ही साथ उनको देखकर कई अन्य किसान भी अब ऑर्गेनिक केले की खेती की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। निश्चित रूप से ऑर्गेनिक केले की मांग भी काफी है और यदि इसका उत्पादन किसान भाई अच्छा कर लेते हैं तो उनको केले से काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त हो सकता है।
प्रोफेसर सेंगर ने बताया कि यदि नियमित रूप से ऑर्गेनिक केले का सेवन एक निश्चित मात्रा में लोग करते हैं तो उनमें ब्लड शुगर की मात्रा के अवतार चढ़ाव की समस्या कम हो जाती है। इसका सेवन करने से शुगर की मात्रा भी अधिक नहीं बढ़ पाती, हालांकि इसको डॉक्टर के अनुसार बताई गई डोज के अनुसार ही करना होता है। ऑर्गेनिक केले में विटामिन बी की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए यह व्यक्ति के नर्वस सिस्टम को यह ठीक रखता है।
केले में विटामिन बी होने से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को संतुलित बनाए रखता है, जिससे वह व्यक्ति स्वयं में प्रतिदिन स्फूर्ति का अनुभव करता है। सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर के नियंत्रण में भी केला बहुत ही कारगर साबित होता है। पोटेशियम एक ऐसा खनिज तत्व है जो हृदय की धड़कनों को सामान रखता है, और उससे दिमाग को पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु भी मिलती है और शरीर में पानी की मात्रा को व्यवस्थित रखता है।
मानसिक तनाव की अवस्था में शरीर में पोटेशियम की मात्रा कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में केले का सेवन करने से शरीर में हुए पोटेशियम का असंतुलन दूर होता है। यदि ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति आपको दिखाई देता है तो उसको तुरंत अपने घर में रखे हुए एक या दो केलो का सेवन कर ले तो तुरंत ही इससे शरीर को काफी राहत मिल जाती है।
द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिंस के शोध के अनुसार ऑर्गेनिक केले के नियमित सेवन से हृदय रोग, हृदय की समस्या से होने वाली मौतों में 40 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है। ऑर्गेनिक केले के सेवन से गर्भवती महिलाओं का शारीरिक, आवेगिक एवं मानसिक तनाव दूर हो जाता है।
थाईलैंड में गर्भवती महिलाएं गर्भकाल में केले का सेवन नियमित रूप से करती हैं, क्योंकि वह मानती हैं कि गर्भकाल में केले का सेवन करने से होने वाली संतान तंदुरुस्त एवं शांत प्रकृति वाली होती है। हार्ट में होने वाले रोगों की समस्या से पीड़ित मरीज को केले के सेवन की सलाह दी जाती है।
किसी कीड़े एवं मच्छर के काटने से खुजली एवं सूजन होने पर उसे ऑर्गेनिक केले के छिलके के अंदर के भाग से मालिश करने से खुजली और सूजन की समस्या से निजात मिलती है। केले में आयरन की मात्रा ज्यादा होने के कारण शरीर को खून बनाने में मदद करता है और शरीर की कमजोरी और एनीमिया के रोग को दूर करता है।
धूम्रपान से छुटकारा दिलाने में ऑर्गेनिक केले का करें उपयोग
विभिन्न शोधों से यह भी साबित हुआ है कि जो लोग शराब का ज्यादा सेवन करते हैं, और वह हैंगओवर की समस्या से जूझ रहे होते हैं तो ऐसे में उनको ऑर्गेनिक केले का मिल्क शेक पीने से तत्काल फायदा होता है। ऑर्गेनिक केला और मधु के सेवन से पेट की जलन और ब्लड शुगर में संतुलन की समस्या तो दूर होती है और दूध के साथ सेवन से शरीर का पानी संतुलित रहता है। ऑर्गेनिक किले में विटामिन ए1, बी6, बी12, सी और पोटेशियम तथा मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा होने से तंबाकू के असर से मुक्त कर देता है।
ऑर्गेनिक केला पर किए गए सर्वेक्षण के सकारात्मक परिणाम मिले हैं
हाल ही में डिप्रेशन के शिकार हुए मरीजों की संख्या पर किए गए एक सर्वेक्षण के परिणाम स्वरुप ज्ञात हुआ है कि डिप्रेशन से पीड़ित मरीजों को ऑर्गेनिक केला खिलाने के बाद तुरंत राहत मिलती है। ऑर्गेनिक केले में ट्राइप्टोफेन नामक प्रोटीन पाया जाता है जो शरीर के अंदर जाकर सिरोटोनिन में परिवर्तित हो जाता है, जिससे मरीज को राहत मिलती है एवं रोग का निदान भी हो जाता है।
आयुर्वेद में केले का महत्व
आयुर्वेद में पके केले का फल मधुर स्वीट, वेरी माल रोधी, भारी, स्निग्ध, रक्त पित्त दाहक और वायु शोधक होते हैं। यह सदा प्यास, रक्त, पित्त, कफ और वात को मिटाते हैं। केले के फल में लोहा, कैल्शियम, तांबा, फास्फोरस और मैग्नीशियम नामक खनिज तत्व पाए जाते हैं। केले पाचन संस्थान की आंतों में पाई जाने वाले रासायनिक जीवाणुओं की वृद्धि में सहायक होते हैं।
पके केले पित्त रोगों का शमन करते हैं, इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व सपच होते हैं। एक पका केला, आधा तोला घी के साथ सुबह-शाम लेने से धातु विकार दूर होते हैं। पके केले आंवले का रस एवं मिश्री का योग स्त्री रोगों और बहुमूत्र में लाभदायक पाया गया है। संगानी एवं अतिसार में केला एक उत्तम आहार माना जाता है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।