फोन एंग्जाइटी को कैसे करें दूर Publish Date : 24/11/2023
फोन एंग्जाइटी को कैसे करें दूर
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा
जब भी फोन की घंटी बजती है तो कुछ लोगों को घबराहट एवं चिन्ता भी होने लगती है और मनोवैाानिक इसी समस्या को फोन एंग्जाइटी कहते हैं।
फोन की घंटी बजने के बाद कुछ लोगों के मन में घबराहट सी होने लगती है और चिन्ता से ग्रस्त होने के बाद वे सोचने लगते हैं कि क्या उन्हें फोन रिसीव करना चाहिए अथवा नही। उनके मन में सवाल उठता है कि सामने वाला क्या बोलेगा और हम उसकी बातों का उत्तर किस प्रकार से देंगे। ़यही डर इंसान को धीरे-धीरे अकेला कर देता है। यदि आप या आपके आसपास का कोई व्यक्ति इस समस्या का समाना कर रहा है तो सम्भव है कि वह फोन एंग्जाइटी का शिकार हो।
यह एक ऐसी स्थिति जिसके अन्तर्गत सम्बन्धित व्यक्ति के मस्तिष्क में नकारात्मक विचार आने लगते हैं। ऐसे लोग ऐसी घटनाओं और बातों के बारे में अत्याधिक चिन्ता और भय का अनुभव करने लगते हैं, जो कि उनसे सम्बन्धित नही होती हैं। ऐसे लाग सदैव प्रत्येक स्थिति को बदतर ही मानकर चलते हैं और वे छोटी-छोटी चीजों से डरने लगते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि वह गलत बात कहकर स्थिति को अधिक बदतर बना सकते हैं। ऐसे लोग फोन रिसीव करने के बाद भी अक्सर खामोश रहना ही पसंद करते हैं। उनका ध्यना सामने वाले की बातों पर नही होता है और वे सोचते रहते हैं कि इस फोन कॉल को जल्द से जल्द समाप्त किस प्रकार करें।
इसके लिए वे कोई न कोई बहाना बनाकर फोन को डिस्कनेक्ट भी कर देते हैं। यह एंग्जाइटी उन लोगों में भी होती है जिन्हें ज्यादा फोन कॉल्स नही आते है और वह यह मान लेते हैं कि कोई व्यक्ति उन्हें किसी आपात स्थिति में ही फोन कॉल करेगा। कभी-कभी कुछ लाग किसी दूसरे व्यक्ति की फोन कॉल को उठाने से पूर्व ऐसे मुख्य बिन्दुओं अभ्यास करते हैं, जिन पर उन्हें उस व्यक्ति से बातचीत करनी होती है। इसलिए वे पहली बार में फोन नही उठाते हैं।
इस परेशानी से बचने के लिए कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखें जैसे कि सबसे पहले ऐसे कारणों को समझने का प्रयास करे, जिनके चलते आपको चिंता हो रही है और इस तनाव को कम करने के लिए थोड़ा सा आराम करें। हालांकि इस स्थिति से व्यायाम भी आपको राहत देगा। फिर अपने आप से पूछें कि यदि आपका कोई मित्र अथवा सहकर्मी फोन एंग्जाइटी से ग्रस्त है तो आप उसे क्या सलाह देना पसंद करेंगे।
यदि आप इसलिए चिन्तित है कि कॉल के दौरान आप अपने शब्दों को भूल सकते हैं तो इस डर से मुक्ति के लिए पहले आप एक छोटी सी स्क्रिप्ट लिखें और कॉल करने से पूर्व इसे जोर-जोर से पढ़ें। जब आप इस स्क्रिप्ट के साथ सहज हो जाए तो इसके बाद फोन कॉल कर सकते हैं। इसके लिए आप छोटे लक्ष्यों के साथ ही शुरूआत करें।
इसमें पहला लक्ष्य दो मिनट से अधिक समय तक फोन पर उपलब्ध रहना हो सकता है। इसी क्रम में दूसरा लक्ष्य यह हो सकता है कि तीन रिंग्स के अन्दर ही फोन कॉल का उत्तर दे दिया जाए। इसी प्रकार से इन लक्ष्यों का विस्तार करते रहें। वैसे आप एक्सपोजर थेरेपी के माध्यम से भी अपने इस डर को कम कर सकते हैं, और इसके लिए आप किसी थेरेपिस्ट की सेवाएं भी प्राप्त कर सकते हैं।
नो मोबाइल फोबिया
नोमोफोबिया का अर्थ होता है नो मोबाइल फोन फोबिया। यह स्थिति सम्बन्धित व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित करती है। यह डर एवं चिन्ता मोबाइल फोन से जुड़े रहने के कारण से होता है, जिसका जीवन पर सम्भावित प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है। अतः इस प्रकार की परेशानियों से बचने के लिए अपने फोन के सम्पर्क में रहने की सीमाओं का निर्धारण करें और अपनी ऑफ लाईन गतिविधियों में संलग्न रहें। नोमोफोबिया की स्थिति को स्वीकार करने से व्यक्ति आभासी एवं वास्तविक जीवन की बातचीत के बीच एक संतुलन बना सकता है। यदि स्थिति अधिक खराब है तो इसके समाधान के लिए किसी मनोवैज्ञानिक से परामर्श भी प्राप्त कर सकते हैं।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।