मानव के डीएन.ए. में आ रहे बदलावों के माध्यम से बीमारी का पता लगाना सम्भव Publish Date : 16/10/2023
मानव के डीएन.ए. में आ रहे बदलावों के माध्यम से बीमारी का पता लगाना सम्भव
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
टेक कम्पनी गूगल की एआई फर्म के द्वारा विकसित अल्फामिसेंस टूल की सहायता से होगी पहचान
- 90 प्रतिशत तक सटीक निष्कर्ष निकालने में सफल रहा गूगल का यह एआई टूल।
- डी.एन.ए. में होने वाले 71 प्रकार के बदलावों को समझने के लिए किया गया उपयोग।
- डी.एन.ए. में होने वाले 32 प्रतिशत बदलावों के कारण होती है बीमार होने की आशंका।
अब कृत्रिम बुद्विमतता (ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस/एआई) के माध्यम से डी.एन.ए. में होने वाले ऐसे बदलावों का पता लगाया जानाा सम्भव होगा, जो कि बीमारी का कारण बन सकते हैं। दिग्गज टेक कम्पनी गूगल की एआई फर्म ‘‘डीपमाइंड’’ के द्वारा अल्फामिसेंस नामक इस टूल का विकास किया गया है।
इस प्रकार अब अल्फामिसेंस की सहायता से यह जानना सम्भव हो सकेगा कि डी.एन.ए. में होने वाले बदलाव हानिकारक हैं अथवा नही। यह ज्ञात होने के बाद बीमारी के गम्भीर रूप धारण करने से पूर्व ही उसका उपचार सम्भव हो सकेगा। इसलिए चिकित्सा के क्षेत्र में यह तकनीक काफी पावरफुल सिद्व भी हो सकती है। साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अन्तर्गत यह जानकारी सामने आई है। शोधकर्ताओं ने बताया कि हमने सम्भावित बीमारी को पैदा करने वाली जीन की पहिचान करने के लिए अपने एआई टूल अल्फामिसेंस को प्रशिक्षित किया है।
मानव के प्रोटीनों में आ रहे बदलावों को पहिचाना
शोधकर्ताओं के द्वारा डी.एन.ए. में 71 प्रकार के ऐसे बदलावें को जानने के उद्देश्य से अल्फामिसेंस का उपयोग किया था, जो कि मानव के प्रोटीनों को प्रभावित कर सकते हैं। इस परीक्षण के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि अल्फामिसेंस ने 90 प्रतिशत सटीकता के साथ अपने निष्कर्षों को व्यक्त किया। इस दौरान एआई ने बताया कि डी.एन.ए. के अन्दर भविष्य में 57 प्रतिशत बदलाव मानव शरीर के लिए हानिरहित होंगे।
त्रिआयामी अर्थात थ्री-डी छवियों को प्रदान करने में सक्षम है एआई टूल
चिकित्सकों के द्वारा अल्फामिसेंस के द्वारा प्रदान किए गए निष्कर्षों का अध्ययन किया गया और उन्होनें इन निष्कर्षों को सही पाया। इस शोध के लेखक डाफ0 जून चेंग ने बताया कि मौजूदा समय में भी ऐसे टेस्ट उपलब्ध हैं जो डी.एन.ए. में होने वाले बदलावों को ज्ञात करने में सक्षम हैं। हालांकि अल्फामिसेंस के तुलना में उनके द्वारा प्रदान किए गए निष्कर्षों में इतनी सटीकता नही होती है।
जटिल प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए प्रयासरत हैं वैज्ञानिक
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान के प्रोफेसर जो मार्श ने बताया कि डी.एन.ए. में होने वाले बदलाव, प्रोटीन के कार्य करने के तरीकों को बाधित कर सकते हैं। इससे सिस्टिक फाइब्रोसिस एवं सिकल सेल एनीमिया से लेकर कैंसर और मस्तिष्क से सम्बन्धित बीमारियाँ हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि वैसे डी.एन.ए. में हो रहे प्रत्येक बदलाव से बीमारी की आशंका नही होती, परन्तु ऐसे बदलाव जिने बीमारी के पैदा होने की आशंका है उनका पता अल्फामिसेंस लगा सकता है। हालांकि अल्फामिसेंस अपार क्षमताओं से युक्त है परन्तु इसका उपयोग करना काफी जटिल है। इसके द्वारा प्रद्वत निष्कर्षों को समझने के लिए चिकित्सकों या वैज्ञानिकों को इसके डाटा की जाँच बहुत गहनता के साथ करनी पड़ती है।
लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।
डिस्कलेमर: उक्त लेख में प्रकट किए गए विचार लेखक के अपने मौलिक विचार हैं।