समुद्रों में है चलते-फिरते ‘सोलर पावर प्लग’ Publish Date : 07/09/2023
समुद्रों में है चलते-फिरते ‘सोलर पावर प्लग’
‘जीवन, एक तरह से साइकिल चलाने के जैसा ही है, जिसमे आपको अपना बैलेन्स बनाए रखने के लिए उसे चलाते ही रहना होता है।’
-अल्बर्ट आंइस्टीन, एक प्रसिद्व वैज्ञानिक।
क्या आप इस तथ्य से परिचित हैं कि समुद्रो की गहराई में अनेक जीव इस प्रकार के उपलब्ध होते है, जो सोलर पावर के माध्यम से चलते हैं। इस प्रकार के अनोखे जीव प्रकाश संश्लेषण अर्थात फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया के तहत ऊर्जा ग्रहण करते हैं।
प्रकृति में अनेक अजूबे ऐसे है, जिनका रहस्य हम अभी तक नही जान पाएं हैं और ऐसे ही अजूबों में से एक है समुद्र के अन्दर रहने वाला एक छोटा सा जीव जिसे ‘लीफ शीप’ के नाम से जाना जाता है और विज्ञान की भाषा में इसे ‘सी-प्लग’ अथवा ‘कोस्टासीला कुरोशिमा’ कहते हैं।
बहुत अधिक सुन्दर दिखाई देने वाले सी-प्लग एक प्रकार के कीट होते हैं, जो कि आपाके अपनी पहली नजर में किसी पौधे की तरह से दिखाई देते हैं।
जन्तु वैज्ञानिकों के अनुसार, लीफ-शीप की लम्बाई मात्र 5 मिमी होती है, और यह जीव अधिकाँशतः जापान के कुरोशिमा नामक आइसलैण्ड में पाए जाते हैं, जो कि अपने क्रिस्टल सव्चछ पानी के लिए प्रसिद्व है। वर्ष 1993 में पहली बार कुरोश्मिा पर ही लीफ-शीफ की खोज की गई थी। इसके अतिरिक्त यह जीव इंडोनेशिया एवं फिलीपींस के समुद्री क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं।
लीफ-शीफ देखने में एकदम हरे रंग के होते हैं, इनकी आँखें भी बहुत छोटी-छोटी होती हैं और इनके सिर पर दो एंटीना भी लगे होते हैं। अपना पेट भरने के इन समुद्री छोटे जीवों का प्रिय भोजन एल्गी यानी कि शैवाल होते र्हैं और ये उनका क्लोरोप्लॉस्ट चूसकर उसे अपने शरीर में शामिल कर लेते हैं।
यह दुनिया का एकमात्र ऐसा जीव है जो अपनी ऊर्जा की पूर्ति प्रकाशसंश्लेष यानी कि फोटोसिंथेसिस के माध्यम से करते हैं। इस प्रक्रिया में पौधें कार्बन डाई-ऑक्साइड का शोषण करते हैं और पानी से ऊर्जा को बनाने के लिए सूर्य के प्रकाश का उपयोग करते हैं।
शोधकर्ताओं का मानना है कि लीफ शीप पौधों की तरह के एक अनोखें एवं अजूबे जीव हैं, जो कि सोलर पावर से चलते हैं।
भारत के लिए आवश्यक हैं हाइड्रोजन चालित वाहन
यह अपने आप में एक अच्छी खबर है कि अब भारत में भी हाइड्रोजन ईंधन का उपयोग किया जाने लगा है। इस सिलसिले में गत दिनों, लेह में देश की प्रथम हाइड्रोजन चालित बस का ट्रॉय रन आरम्भ किया गया, जो कि अपने आप में काबिलेतारीफ है, क्योंकि कार्बन-तटस्थ समाज का निर्माण करने में हाइड्रोजन ईंधन एक अहम भूमिका निभा सकता है।
कुछ समय पहले केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली एक गाड़ी से ही संसद भवन पहुँचे थे, और उस समय इस कार की बहुत की गई थी।
अब इससे आगे बढ़कर, ट्रेनों का संचालन भी हाइड्रोजन से करने के सम्बन्ध में भी निरन्तर चर्चा की जा रही है। यह सब इसलिए है क्योंकि हाइड्रोजन को सुपर फ्यूल या या भविष्य का फ्यूल माना जा रहा है। चूँकि यह एक ऐसा ऊर्जा वाहक है, जिसके अन्दर ऐसा गुण होते हैं, जो ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के शुद्व योग को कम करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं। हाइड्रोजन ईंधन, ऑक्सीजन के साथ जलने पर शून्य-उत्सर्जन पैदा करता है, इसके कारण ही इसे शत-प्रतिशत स्वच्छ ईंधन माना जा रहा है। इस ईंधन का उपयोग
शिक्षक एवं चोर
एक शिक्षक थे, स्कूल के सभी छात्र छात्राएं उनका बहुत अधिक सम्मान किया करते थे। एक शिक्षक महोदय किसी काम के चलते बाजार में थे, तो उन्होंने देखा वहाँ कुछ लोग एक चोर की पिटाई कर रहे थे। उन्होंने किसी तरह से उस चोर को उस भीड़ से बचाया और उसे अपने साथ अपने घर लेकर आ गए।
चोर से बातें करने पर उन्हें मालूम हुआ कि वह व्यक्ति अधिक पढ़ा-लिखा नही था, जिसके कारण उसे काम नही हमल पा रहा था, तो उसने विवशता पूर्वक चोरी करनी शुरू कर दी। यह सब जानकर उन शिएक्षक महोदय ने उस चोर से कहा कि मै तुम्हें खाना बनाना सिखाता हूँू, इससे तुम आगे चलकर पैसा भी कमा सकते हो।
शिक्षक महोइय की मेहनत रंग लाई और कुछ ही दिनों में वह व्यक्ति अच्छा खाना बनाना सीख चुका था और फिर वह काम की तलाश में निकल पड़ा। इसके कुछ समय के बाद वह व्यक्ति एक दिन दोपहर के समय उन शिक्षक महोदय से लिने उनके घर पहुँचा तो उसे पता चला कि वह तो इस समय सो रहे हैं।
ऐसे में मौका पाकर उसने एक बार फिर से उनके घर से पैसे चुराने की कोशिश की और पैसे चुराकर जब वह घर से बाहर जाने लगा तो उसकी अंतरात्मा ने उसे धिक्कारा कि जिस व्यक्ति ने उसे एक अच्छा इंसान बनने में उसकी मदद की उसके साथ यह धोख करना गलत है। इस पर उसने चुराए हुए पैसे वहीं रख दिए।
अतः इस प्रकार कहा जा सकता है कि यदि गलत लोगों को सुधारनें का प्रयास किया जाए तो वे गलत रास्ते को छोड़ भी सकते हैं।