बांस एक, लाभ अनेक      Publish Date : 15/06/2025

                          बांस एक, लाभ अनेक

                                                                                                                                         प्रोफसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा

बांस के पौधे सूखे के प्रति सहिष्णु होते हैं और यह रेगिस्तान में भी विकसित होते हैं। सबसे अधिक सॉफ्टवुड पौधों की तुलना में बांस की कटाई 3 से 5 वर्ष के अन्दर की जा सकती है।

बांस की खेती कर किसान आसानी से लखपती बन सकते हैं। बांस के पौधों को एक बार खेत में लगा देने के बाद यह 5 वर्ष के बाद उपज देना आरम्भ कर देता है। अन्य प्रकार की फसलों पर सूखे, कीट एवं रोगों का आक्रमण हो सकता है, जिसके चलते किसानों को आर्थिक हानि भी उठानी पड़ सकती है, परन्तु बांस के पौधों के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं आती है। आज के अपने प्रस्तुत लेख के माध्यम से हम आपको बांस के विभिन्न प्रयोगों के बार में जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। अतः आप से अपील है कि इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक अवश्य पढ़े और बांस की खेती कर इसका पूर्ण लाभ प्राप्त करें।

                                               

बांस की छोटी-छोटी टहनियों और पत्तियों डालकर उबाला गया पानी, जनवरों के बच्चा होने के बाद उनके पेट की सफाई के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अलाव जिन स्थानों पर चिकित्सीय उपकरण उपलब्ध नहीं हो पाते हैं, वहां बांस के तनें एवं पत्तियों को काट-छांट कर उनकी अच्छी तरह से सफाई कर बांस की खरपच्चियों को उपयोग में लाया जाता है।

बांस से बनी खरपच्चियों को विभिन्न प्रकार की चटाईयों, कुरसी, टेबल, चारपाई और अन्य घरेलू वस्तुओं आदि को बनाने के काम में लाया जाता है। इसके अतिरिक्त मछली पकड़ने का कांटा और डलिया आदि को बांस के द्वारा ही बनाया जाता है। इसके साथ ही बासं मकान बनाने और पुल को बांधने में बहुत अधिक उपयोग किया जाता है।

प्राचीन काल में बांस से बनी कांटेदार झाड़ियां किलों की रक्षा करने का काम करती थी। पैनगिस नामक एक एक तेज धार वाली छोटी सी वस्तु से दुश्मन के प्राण लिए जाते थे। बांस से विभिन्न प्रकार के वाद्य यन्त्र जैसे बांसुरी, वायलिन, नागा लोगों का ज्यूर्स हार्प और मलाया का औकलांग आदि को बनाया जाता है।

                                               

एशिया में बांस की लकड़ी बहुत उपयोगी मानी जाती है और इसकी लकड़ी बहुत सी छोट-छोटी घरेलू वस्तुओं से लेकर मकान बनाने तक के काम में आती है। इसके साथ ही बांस का तना भी खाने के काम आता है और इसका अचार एवं मुरब्बा आदि भी बनाए जाते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।