करी पत्ता - स्वास्थ्य की दृष्टि से एक उपयोगी पौधा      Publish Date : 18/05/2025

    करी पत्ता - स्वास्थ्य की दृष्टि से एक उपयोगी पौधा

                                                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

करी पत्ता का परिचय-

                                              

मुरैया का सामान्यतः करीपत्ता और भारतीय करी पत्ता पौधा कहा जाता है। यह अत्यधिक उपयोगी पौधा है जो - अपनी सुगंध व औषीधीय गुणों के लिए जाना जाता है। यह पौधा रूटेसी परिवार का सदस्य है। यह खुशबूदार झाड़ीनुमा या फिर छोटे पौधे के रूप में 6 मीटर लम्बा व 12-35 सेमी. चौड़ा होता है। यह सम्पूर्ण भारतवर्ष तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया से लेकर ऑस्ट्रेलिया आदि क्षेत्रों में भी पाया जाता है। यह एक जंगली पौधा है जो 1500 से 1650 मीटर ऊँचाई पर उगता है।

भारत में यह मुख्यतः हिमालय, आसाम, बर्मा, अण्डमान निकोबार, तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश और कर्नाटक में पाया जाता है। करी पत्ते के उत्पादन से भारत को विदेशी मुद्रा कमाने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है, जो हमारी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाता है।

रासायनिक संगठन:-

                                                     

करी पत्ते में नमी 66.3%, प्रोटीन 6.1%, वसा 1.0%, कार्बोहाइड्रेट 6. 7%, फाईबर 6.7%, मिनरल्स, कैल्शियम 810 मिग्रा., फास्फोरस 600 मिग्रा., लौह 3.1 मिग्रा., कैरोटिन 12600, निकोटिनिक एसिड 2.3 मिग्रा., एमिनो एसिड भी कुछ प्रतिशत में उपस्थित होता है। पत्तियों में क्रिस्टलीय पदार्थ जैसे रेजिन, ग्लूकोसाईड तथा क्योनिजीन उपस्थित होता है। ऑक्सलेट 1.352% (सम्पूर्ण 1.155% घुलनशील ऑक्सलेट और 0. पशुओं को काटने के स्थान पर लगायी जाती है।

करी पत्ते का औषधीय महत्व:-

                                                     

मुरया कोईनीगी का पौधा अपनी सुंगध व औषधीय महत्व के लिए जाना जाता है। इसकी पत्तीयों को मुख्यतः चटनी व करी बनाने में प्रयोग करते हैं। फलों को खाया जाता है तथा पत्तियों का प्रयोग डायरिया व उल्टी रोग में उपयोग किया जाता है। पौधे की छाल व पत्तियां कटे व जहरीले पशुओं के काटने के स्थान पर लगायी जाती है।

दक्षिणी भोजनों में करी पत्ती का अत्यधिक महत्व है जैसे मछली, आचार, बटर मिल्क, करी पाउडर मिश्रण आदि में इसका प्रयोग किया जाता है।

पौधे के विभिन्न भागों का अपना विशेष औषधीय महत्व होता है जैसे इसकी जड़ों के जूस को किडनी की बीमारी से पीड़ित रोगी को दिया जाता है। पत्तियां, जड़ छाल आदि का टॉनिक बनाया जाता है।

पौधे का जल द्रष्य से कवकनाशक गुण होते हैं और साथ ही यह पशुओं में उत्पन्न हाईपोगलेशिमिया बीमारी से उपचार में भी दिया जाता है।

इसकी पत्तिया कैरोटीन का मुख्य स्रोत होती है जो पकने पर कम हो जाता है तथा तलने पर समाप्त हो जाता है। करी पत्ते का औषधीय महत्व तो है साथ ही साथ यह विभिन्न भोजनों में स्वाद व सुगंध भी बढ़ाता है। इसका निर्यात करने से भारत को विदेशी मुद्रा अर्जित करने का भी अवसर प्राप्त हुआ है। 

करी पत्ते के उत्पादन को बढ़ाने के लिए हमें इसके रखरखाव पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि हम भारत की आर्थिक स्थिति सुधारने में योगदान कर सकें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।