ऑनलाइन गेम्स की लत से बचाएं अपने बच्चों को      Publish Date : 31/03/2025

     ऑनलाइन गेम्स की लत से बचाएं अपने बच्चों को

                                                                                                         प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय

वर्तमान के तकनीक का युग के चलते देश में इंटरनेट का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में आजकल बच्चों का भी अधिकाँश समय मोबाइल, वीडियो गेम्स और सोशल मीडिया पर गुजर रहा है। वहीं दुर्भाग्यवश इन सुविधाओं के बीच कुछ ऐसी कई परछाइयां भी होती है जो बच्चों की मासूमियत, बचपन और उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी कुंद कर रही है।

                                                   

हाल ही में एक ऐसी ही एक घटना राजस्थान के एक सरकारी स्कूल में हुई, जहां कक्षा पांचवी से आठवीं तक के 40 से अधिक बच्चे एक खतरनाक वीडियो गेम्स का शिकार हो गए। घटना के अनुसार इन सभी बच्चों के बीच एक ऑनलाइन गेम का जुनून इस हद तक बढ़ गया कि वह एक दूसरे को खतरनाक टास्क देने लगे, कि जो बच्चा जितना अधिक गहरा घाव बनाता, उस बच्चे को इनाम और शाबाशी आदि से प्रोत्साहित किया जाता था।

इस प्रकार जब शिक्षकों और अभिभावकों की नजर इन बच्चों के हाथों पर पड़े गहरे निशानों के ऊपर पड़ी तब कहीं जाकर इस भयावह सच का बात पर्दाफाश हो सका। ऐसे में प्रत्येक अभिव्यवावक यह देखकर सन्न रह गया कि एक मोबाइल गेम उनके बच्चों को आत्म विनाश के रास्ते पर धकेल रहा है।

बहुधा ऐसा होता है कि कई बार अभिभावक बच्चों की छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं और बच्चों की भावनाओं को भी अनदेखा करते हैं और बच्चे चुपचाप एक अनजाने दर्द की गहराई में डूबते चले जाते हैं।

                                                

ऐसे में इस प्रकार के खतरनाक खेल उनके सामने छलावा बनकर आते हैं और झूठा रहस्य तथा रोमांच की चुनौती देख उन्हें भटकाव की अंधेरी गलियों में धकेल देते हैं। इस समस्या का हल केवल किसी गेम पर पाबंदी लगाना नहीं है। इसके समाधान के लिए माता-पिता और शिक्षक बच्चों से दिल खोल कर बात करते हुए उनकी सही बातों पर ध्यान देना और जो भी कुछ बच्चौ। की कहीं और अनकही जो बातें हैं उनको ध्यान से सुनने और उसकी गहराई से समझ कर निर्णय लेना होगा।

इसके साथ ही बच्चों को तकनीक का सही और संतुलित इस्तेमाल सिखना और उनके उपयोग पर समय पर उनकी सीमाएं तय करना और उन्हें खुला और एक भरोसेमंद माहौल देना ही इस प्रकार के खतरों से बचाव का रास्ता निकाल सकता है। लेकिन आप सभी को अब को कोशिश करनी चाहिए कि वह अपने बच्चों पर विशेष ध्यान दें।

यदि बच्चों के पास मोबाइल फोन है और वह ऑनलाइन गेम खेलते हैं तो उनको इसका संतुलित इस्तेमाल ही करने दें, क्योंकि ऑनलाइन गेम बच्चों की कोमल भावनाओं और अकेलेपन की नस को पड़कर उन्हें अपने मोह के जाल में फंसा लेते हैं। जिससे बच्चा धीरे-धीरे उसके दलदल में फंसते ही चले जाते हैं। वह उसमें इस कदर डूब जाते हैं कि वह इसे बाहर आना ही नहीं चाहते। अतः माता-पिता को चाहिए कि वह इस पर विशेष ध्यान दें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।