मार्च के मुख्य कृषि कार्य      Publish Date : 04/03/2025

                     मार्च के मुख्य कृषि कार्य

                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु

“खेती के दृष्टिकोण से यह मौसम महत्वपूर्ण है। इस माह रबी की फसलें पककर तैयार हो जाती हैं। किसान इन्हें बेचकर अपनी तमाम जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में कृषि विज्ञान मेले के आयोजन के लिए भी मौसम अच्छा है। इस समय ठंड कम होने लगतीहै और किसानों के पास कृषि मेला घूमने के लिए पर्याप्त समय होता है।

मेले के कार्यक्रमों में उन्नत प्रजातियों एवं गुणवत्ता युक्त बीजों के बारे में कृषि वैज्ञानिकों से उनके बारे में चर्चा कर सकते हैं। मार्च माह में अवस्था में आने लगती हैं। समय पर बोई गयो राई सरसों की कटाई इस माह के प्रथम पखवाड़े में होने लगती है। इसी प्रकार गेहूं, जौ, मसूर, चना, मटर, राई सरसों, अलसी, गन्ना, आलू की फसलें भी कटाई के लिए  तैयार होने लगती हैं।

गेहूं में भी दाने का पूर्ण भराव और दाना सख्त होने लगता है। बरसीम से बीज उत्पादन करना है तो भी इस माह में विशेष सावधानियां रखनी पड़ेंगी, जिससे अधिकतम उत्पादकता के साथ-साथ, उच्चगुणवत्ता वाला वीज प्राप्त किया जा सकें। बसंत कालीन मक्का, गन्ना के साथ ही ग्रीष्म कालीन दलहनी फसलों की बुआई के लिए यह उपयुक्त समय होता है।“

इस माह में हरे चारे की कमी बहुतायत से देखी जाती है इसलिए खाली हुए खेतों में ग्रीष्म कालीन चारे की फसलें जैसे- ज्वार, बाजरा, मक्का की बुआई कर हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। सब्जी, फलदार पेड़ों और पुष्प व सगंधीय पौधों से भरपूर पैदावार लेने के लिए सस्य कृषि क्रियाओं की आवश्यकता होती है। आगे इन सभी बातों पर विस्तृत जानकारी दी गई है।

राई-सरसों, अलसी और सुरजमुखी

  • जब सरसों के पत्ते झड़ने लगे, फलियां पीली पड़ने लगे और 75 प्रतिशत फलियां सुनहरे रंग की हो जायें, तो फसल की कटाई कर लें। फसल की कटाई के बाद छोटे-छोटे बंडलों में बांधकर खेत में छोड़ देते हैं। पौधे पूर्ण रूप से सूख जाने पर बैलों या ट्रैक्टर से मड़ाई करके दाने अलग कर लेना चाहिए।
  • कटाई की हुई सरसों को खलिहान में अधिक समय तक न रखें। अन्यथा पेन्टेडबग कोट दानों का तेल चूस लेगा. जिस से हानि होने की आशंका रहेगी। यदि किन्हीं कारणों से खलिहान में काटी गई फसल रखना जरूरी हो. त्तो खलिहान की भूमि पर मिथाइल पेराधियॉन 2 प्रतिशत पाउडर का छिड़काव पहले ही कर दें। दाने को अच्छी तरह से सुखाकर ही भंडारण करना चाहिए।
  • उन्नत किस्म का बीज व उचित सस्य क्रियाएं तथा पौध संरक्षण अपनाने पर तोरिया को उपज 15 20 क्विंटल प्रति हैक्टर तथा राया व सरसों की उपज 22-25 क्विंटल प्रति हैक्टर प्राप्त की जा सकती है।
  • अलसी की फसल लगभग 120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी कटाई उस समय पर करें, जब पौधे सुनहरे पीले रंग के होने लगते हैं। कैप्सूल भूरे रंग के साथ सूखने और खुलने लगते हैं। पौधों की कटाई के बाद उन्हें किसी एक स्थान पर रखकर उनमें से बीजों को झाड़कर अलग कर लें।
  • बीजों को अलग करने के बाद इसके पौधों से रेशे निकाले जाते हैं। इसके लिए पौधे की शाखाओं को हटाकर मुख्य तने को अलग कर लें। इन अलग किये हुए सभी भागों के अलग-अलग बंडल बनाकर तैयार कर लें। तैयार किये  गए बंडलों को दो से तीन दिनों तक पानी में सड़ने के लिए रखें। इसके बाद पानी से निकाल कर बंडलों को अच्छे से साफ पानी से धोया जाता है। साफ पानी से धोने के बाद इन्हें सुखा दिया जाता है। सूखे बंडलों की मुगरी से पिटाई करने के पश्चात इनसे रेशे निकाले जाते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।