लो कॉस्ट पॉली टनल तकनीक, कम खर्च में अधिक मुनाफा      Publish Date : 03/03/2025

लो कॉस्ट पॉली टनल तकनीक, कम खर्च में अधिक मुनाफा

                                                                                                              प्रोफेसर आर एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु

लो कॉस्ट पॉली टनल तकनीक छोटे एवं मध्यम किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। इससे किसान कम लागत में उच्च गुणवत्ता वाली नर्सरी तैयार कर सकते हैं और फसल की अगेती उपज से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। यह तकनीक न केवल उत्पादन लागत को कम करती है, बल्कि जैविक एवं सुरक्षित सब्जी उत्पादन को भी बढ़ावा देती है।

                                                     

वर्तमान समय में किसानों को कृषि में आधुनिकतम तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है जिससे कि वह स्वस्थ, रोग मुक्त एवं अधिक उत्पादक फसलें प्राप्त कर सके।. ग्रीष्मकालीन सब्जियों की अगेती खेती किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी होती है, क्योंकि बाजार में जल्दी उपलब्ध होने वाली सब्जियों की कीमत अधिक होती है। हालांकि, उत्तर भारत जैसे ठंडे जलवायु वाले क्षेत्रों में जनवरी-फरवरी के महीनों में कम तापमान के कारण बीजों का अंकुरण प्रभावित होता है, जिससे नर्सरी तैयार करना चुनौतीपूर्ण काम हो जाता है।

इस समस्या के समाधान के लिए लो कॉस्ट पॉली टनल तकनीक एक अत्यधिक प्रभावी एवं सस्ती विधि के रूप में उभरी है. यह विधि एक संरक्षित वातावरण प्रदान करके नर्सरी पौधों को प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों से सुरक्षित रखती है. इससे किसान अगेती नर्सरी तैयार कर सकते हैं और फसल को जल्दी तैयार कर अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं.

लो कॉस्ट पॉली टनल क्या है?

लो कॉस्ट पॉली टनल पारंपरिक पॉलीहाउस का लघु एवं किफायती रूप है, जिसे कम लागत में तैयार किया जा सकता है. यह छोटे एवं मध्यम स्तर के किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि इसमें नियंत्रित तापमान एवं नमी बनाए रखने की सुविधा होती है.

संरचना एवं सामग्री

                                            

  • यह टनल बांस, लोहे की छड़ें, या PVC पाइप से बनाई जाती है।
  • इसे पारदर्शी पॉलीथीन शीट (20-30 माइक्रोन मोटी) से ढका जाता है, जिससे सूरज की रोशनी भीतर प्रवेश कर तापमान को नियंत्रित रखती है।
  • इसके अंदर नर्सरी बेड तैयार कर बीजों का अंकुरण किया जाता है।

लो कॉस्ट पॉली टनल में नर्सरी उगाने के लाभ

बीज अंकुरण की उच्च दरः यह तकनीक तापमान को 5-7°C तक बढ़ाकर बीजों के तेजी से अंकुरण में सहायक होती है।

अगेती सब्जियों उत्पादनः सब्जियों की नर्सरी जल्दी तैयार होने से मुख्य फसल जल्दी लगाई जा सकती है, जिससे बाजार में पहले पहुंचकर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

रोग एवं कीट प्रबंधनः पॉली टनल के संरक्षित वातावरण में फफूंद एवं अन्य रोगजनकों का प्रभाव कम होता है, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता कम हो जाती है।

कम लागत, अधिक लाभः पॉलीहाउस की तुलना में इसकी लागत कम होती है, जिससे छोटे किसान भी इसे आसानी से अपना सकते हैं।

जल संरक्षणः पॉली टनल में नमी बनी रहने से सिंचाई की आवश्यकता कम होती है, जिससे पानी की बचत होती है।

कैसे बनाएं लो कॉस्ट पॉली टनल?

1. आवश्यक सामग्री

संरचना के लिएः बांस की फट्टियां, लोहे की छड़ें या PVC पाइप।

कवरिंग के लिएः पारदर्शी पॉलीथीन शीट (20-30 माइक्रोन तक मोटी)।

नर्सरी बेड के लिएः जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट और ट्राइकोडर्मा आदि।

2. निर्माण प्रक्रिया

खेत की तैयारीः 1 मीटर चौड़ी, 15 सेंटीमीटर ऊंची और आवश्यकतानुसार लंबी क्यारियां बनाएं। मिट्टी को भुरभुरा कर जैविक खाद मिलाएं।

टनल का ढांचा तैयार करना

                                            

क्यारियों के ऊपर 2-3 फीट ऊंचाई पर लोहे की छड़ों या PVC पाइप को मोड़कर जमीन में गाड़ दें। इसके ऊपर पारदर्शी पॉलीथीन शीट फैलाकर किनारों को मिट्टी से दबाएं ताकि ठंडी हवा अंदर न जा सके।

बीज बुवाई एवं देखभाल

उपयुक्त सब्जियों के बीजों को 2 सेंटीमीटर गहराई पर लाइन में बुआई करें। बीजों को हल्की मिट्टी और सड़ी हुई खाद से ढक दें और नमी बनाए रखने के लिए घास या पुआल डालें।

फव्वारे से हल्की सिंचाई करें और आवश्यकतानुसार रोग प्रबंधन करें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।