
नासा के वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी से दुनिया में हड़कंप Publish Date : 02/03/2025
नासा के वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी से दुनिया में हड़कंप
प्रोफेसर आर. एस सेंगर
क्या सच में चंद्रमा के दो टुकड़े हो जाएंगे? वैज्ञानिकों ने की खतरनाक भविष्यवाणी, जिससे सुनकर सब की सोच हिल गई। आसमान में होने वाला परिवर्तन हमारे जीवन पर कितना गहरा असर डालेगा. जानिए इस रहस्य का सच, आपको समझा रहें हैं हमारे इस प्रस्तुत लेख में प्रोफेसर आर. एस. सेंगर-
1. धरती के लिए राहत
नासा के वैज्ञानिकों ने बताया है कि एस्टेरॉयड 2024 YR-4 अब धरती से नहीं टकराएगा, तो इस पर सभी ने राहत की साँस ली कि हमारी दुनिया बच गई।
2. फिलहाल चन्द्रमा पर है संकट
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार अब यह खतरनाक एस्टेरॉयड चाँद की ओर बढ़ रहा है, और इस दशा में नासा का कहना है कि इससे चन्द्रमा को खतरा हो सकता है।
3. पहले का डर क्या था
कुछ हफ्ते पहले पूर्व नासा ने चेताया था कि वर्ष 2032 में यह एस्टेरॉयड धरती से टकरा सकता है और धरती पर भारी तबाही मचा सकता है।
4. ताकत का अंदाजा
अगर यह एस्टेरॉयड धरती से टकराता, तो इस टक्कर से 8 मेगाटन टीएनटी के जितना बड़ा धमाका होता, जो हिरोशिमा में गिरे परमाणु बम से भी 500 गुना अधिक है।
5. अब बना है चाँद के लिए खतरा
नासा के द्वारा जारी किए गए नए अपडेट के अनुसार 1.7% चांस है कि यह एस्टेरॉयड 22 दिसंबर, 2032 को चन्द्रमा से टकरा सकता है।
6. एस्टेरॉयड की रफ्तार से हड़कंप
नासा का कहना है कि इस एस्टेरॉयड के 30 हजार मील प्रति घंटे की स्पीड से चन्द्रमा से टकराने पर चन्द्रमा पर 6500 फीट चौड़ा गड्ढा बन सकता है।
7. चन्द्रमा की हालत क्या होगी
चन्द्रमा पर उसका अपना कोई वायुमंडल नहीं है, और यदि यह टक्कर हुई तो इससे चन्द्रमा का बड़ा नुकसान होगा और शायद इसका चन्द्रमा पर गहरा असर पड़ेगा।
8. क्या चन्द्रमा के दो टुकड़े होना सच है?
क्या यह सच है कि चन्द्रमा दो टुकड़ों में बँट जाएगा, यह एक सवाल बड़ा है, परन्तु साइंटिस्ट कहते हैं कि ऐसा होने की उम्मीद भी काफी कम है।
9. इस सब में राहत की बात क्या है?
कई साइंटिस्ट मानते हैं कि चाँद से टकराने के चांस भी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं, तो ऐसा होने से थोड़ी राहत की उम्मीद की जा सकती है।
10. नासा की नजर बनी हुई है इस पर
नासा का जेम्स वेब टेलीस्कोप जल्द ही इस एस्टेरॉयड का साइज चेक करेगा, ताकि चन्द्रमा के लिए होने वाले खतरे का सही स्तर पता लगाया जा सके।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।