
सफेद लट से फसल की सुरक्षा कैसे करें Publish Date : 20/02/2025
सफेद लट से फसल की सुरक्षा कैसे करें
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
इस कीट के ग्रब व वयस्क, दोनों ही, फसल को हानि पहुंचाते हैं। वयस्क कीट विभिन्न पौधें एवं झाड़ियों को खाते हैं तथा ग्रब फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। कीट के ग्रब फसलों की जड़ों को काटकर से क्षति पहुंचाते हैं। इससे पौधे मुरझाकर सूखकर नष्ट हो जाते हैं, जिससे जगह-जगह खाली घेरे बन जाते हैं। इसकी ग्रब व शंखी अवस्था मृदा के अन्दर पाई जाती हैं।
प्रमुख प्रजातियां
व्हाइट ग्रब, सफेद गिडार, गोजा लट एवं सफेद सुंडी, गोबर कीट, गोबरिया कीट आदि।
प्रभावित फसलें
मूंगपफली, अरहर, ज्वार, कपास, तम्बाकू, धान, बाजरा, नीम, बेर, शीशम, शहतूत, बबूल, आलू एवं नारियल आदि।
फसलों पर हावी रहने का समय
यह एक रात्रिचर प्रकृति वाला कीट है। यह कीट पहली वर्षा के बाद शाम 07:30 बजे मृदा से निकलकर सुबह 5 बजे तक बाहर दिखता है।
परिचय
इसकी अंडा अवधि 6-12 दिनों की, अण्डों का रंग सफेद और आकार गोल होता है। लार्वा अवधि 54 से 76 दिनों की तथा युवा ग्रब मांसल, पारदर्शी, सफेद, पीले रंग के और अक्सर ‘सी’ आकार के होते हैं। प्यूपा का जीवनकाल 12-15 दिनों का होता है। इस कीट का वयस्क गहरे भूरे रंग का तथा लंबाई 15-20 मि.ली. और चौड़ाई 6-8 मि.ली. होती है।
प्रबंधन
ग्रब अवस्था
- गर्मी में खेतों की गहरी जुताई।
- सड़ी हुई गोबर खाद का उपयोग।
- खाद डालते समय खाद के साथ नीम की खली का प्रयोग।
- क्लोरोपायरीपफॉस 20 ई.सी. की 1-2 मि.ली. मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर ग्रसित पौधों के तने के क्षेत्रा में आसपास के 15-20 सें.मी. के दायरे की मिट्टी में प्रयोग।
खेत में ब्यूबेरिया बेसियाना और मेटेरिजियम एनिसोपली 2.5-3 कि.ग्रा. को 50 कि.ग्रा. गोबर में मिलाकर 7 दिनों के लिए किसी छायादार स्थान पर रखकर सुखाएं। सूखने के बाद यह खेतों में डालने योग्य हो जाती है।
वयस्क अवस्था
- पौधों और खेत के आसपास की भूमि का साफ होना जरूरी है।
- मानसून की पहली बारिश आते ही खेतों पर शाम 6:30 से रात 10:30 बजे के बीच लाइट ट्रैप का प्रयोग
- कीटों को अपने खेत से बाहर रखने का एक बहुत ही प्रभावी तरीका है, कि कच्ची खाद का खेत के बाहर ढेर लगाना।
- अरंडी के पौधों का खेत के चारों ओर ट्रैप फसल के रूप में प्रयोग करना।
- व्यस्क कीटों के लिए खेत के आसपास के पेड़ों पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना आदि।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।