स्टार्टअप्स के माध्यम से युवा उद्यमिता का प्रोत्साहन      Publish Date : 19/07/2023

                                           स्टार्टअप्स के माध्यम से युवा उद्यमिता का प्रोत्साहन

                                                        

    ‘‘स्टार्टअप ईकोसिस्टम के क्षेत्र में उत्तराखण्ड़ राज्य के द्वारा तीव्र गति से प्रगति की गई है। इस क्षेत्र में जहाँ वर्ष 2018 के अंत तक राज्य में केवल 100 स्टार्टअप्स ही हुआ करते थे, वहीं वर्ष 2021 के अंत तक राय में ऐसे स्टार्टअप्स की संख्या 500 से ऊपर पहुँच चुकी थी’’।

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमेशा से इस बात पर खासा जोर दिया है कि आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ाने की दिशा में विभिन्न स्टार्टअप्स अपनी महत्वर्पूएा भूमिका को निभाने के लिए आगे आएं। इसी के मद्देनजर उत्तराखण्ड़ स्टार्टअप नीति के अन्तर्गत स्टार्टअप ईकोसिस्टम के सभी प्रमुख हित धारकों को समर्थन एवं सुविधा प्रदान करने के विभिन्न उपाय भी शामिल है।

इस नीति के माध्यम से स्टार्टअप्स, इनक्यूबेटर्स, मेंटर्स, शैक्षणिक संस्थानों, निवेशकों को प्रोत्साहन तथा सहायता निरंतर प्रदान की जा रही हैं। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार के द्वारा इनोवेटर एवं उद्यमियों के लिए वन स्टॉप इंटरैक्टिव प्लेटफार्म के रूप में स्टार्टअप अधिकारिक पोर्टल को भी लाँच किया गया है।

इस पोर्टल के माध्यम से इनक्युबेटर, मेंटर्स, शैक्षणिक संस्थान छात्र एवं सर्विस प्रोवाइडर्स एक दूसरे के साथ जुड़े रहकर स्टार्टअप ईकोसिस्टम के सम्बन्ध में स्वयं को अपडेट रख सकते हैं। उत्तराखण्ड़ में स्टार्टअप नीति को लाँच करने के बाद उत्तरखण्ड़ में स्टार्टअप ईकोसिस्टम के विकास में उलेखनीय तेजी दर्ज की गई है।

स्टार्टअप्स की संख्या को बढ़ाने से लेकर इनक्यूबेटर्स, मेंटर, निवेशकों और भागीदारों आदि सभी की संख्या तक, सभी प्रमुख हितधारकों की बढ़ती हुई संख्या सरकार के उत्साह में निरंतर बढ़ोत्तरी कर रही है।

उत्तराखण्ड़ स्टार्टअप नीति के कुछ प्रमुख बिन्दु:-

  • पिछले पाँच वर्षों में 1,000 स्टार्टअप्स स्थापित करने की नई नीति के तहत राज्य के प्रत्येक जनपद में कम से कम एक इन्क्यूबेटर सेन्टर स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स को प्रतिमाह, 15,000 रूपये का मासिक भत्ता एक वर्ष तक प्रदान किया जाएगा। अनुसूचित जाति/जनजाति/दिव्याँग/ट्राँसजेंडर या जमीनी स्तर पर नवाचारों पर आधारित स्टार्टअप्स को 20,000 हजार रूपए प्रतिमाह मासिक भत्ते के रूप में दिया जाएगा।
  • पंजीकृत स्टार्टअप को 10 लाख रूपए तक की एकमुश्त सीड फंडिंग की व्यवस्था की जाएगी। जबकि अनुसूचित जाति/जनजाति/दिव्याँग/ट्राँसजेंडर या जमीनी स्तर पर नवाचारों पर आधारित स्टार्टअप्स को तक की सीड फंडिंग प्रदान की जानी है।
  • राष्ट्रीय पेटेण्ट के लिए 1 लाख रूपए की धनराशि प्रति पेटेण्ट और अन्तर्राष्ट्रीय पेटेण्ट के लिए 5 लाख रूपए प्रति पेटेण्ट की प्रतिपूर्ति की जायेगी।
  • ट्रेडमार्क, और औद्योगिक डिजाईन के लिए आवेदन करने पर रू0 10,000 की सहायता प्रदान की जाएगी।
  • एक बार के लिए निःशुल्क प्री-इन्क्यूबेटर सपोर्ट और इन्क्युबेशन असिस्टेन्स।
  • नए इन्क्यूबेशन सेन्टर्स की स्थापना करेन के लिए 1 करोड़़ रूपए और मौजूदा इन्क्युबेशन सेन्टर्स के विस्तार के लिए 50 लाख रूपए तक की पूँजीगत सब्सिड़ी प्रदान की जाएगी।
  • नए उद्यमों की स्थापना के लिए 200 करोड़ रूपए की धनराशि का प्रावधान किया गया है।

                                          हड्डियों की सुरक्षा के लिए अपनी आदतों में बदलाव करें

                                             

35 वर्ष की आयु हो जाने के बाद हमारी हड्डियों के कमजोर होने की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है। स्तरहीन जीवनशैली और विपरीत खानपान की आदतें हड्डियों में क्षरण प्रक्रिया को और तीव्रता प्रदान करते हैं, और इसी के परिणामस्वरूप कम उम्र में ही ऑस्टियोपोरोसिस एवं हड्डियों के कम घनत्व आदि की समस्याएं सामने आने लगती है। अपनी हड्डियों को असमय ही बूढ़ा होने से कैसे रोकें इस बार में हमें बता रहें है डॉ0 दिव्यान्शु सेंगर-

मानव का शरीर 206 हड्डियों से बना एक ढाँचा होता है जो हमारे शरीर को आकार प्रदान करने में सहायता करता है। परन्तु जैसे-जैसे हमारी आयु बढ़ती है उसी के हिसाब से हमारी हड्डियों में भी कमजोरी आने लगती है। इनमें हड्डियों के घनर्त्व/बोन डेन्सिटी का धीरे-धीरे कम होते जान, और इसी के कारण ऑस्टियोपोरोसिस के साथ ही हड्डियों में अन्य समस्या के होने का खतरा भी बढ़ जात है। वर्ष 2021 के आँकड़ों के अनुसार, प्रत्येक वर्ष एक करोड़ से अधिक भारतीय ऑस्टियोपोरोसिस का शिकार हो जाते हैं।

परन्तु अपनी हड्डियों के परिप्रेक्ष्य में यदि कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखें तो हम अपनी हड्डियों को असमय बूढ़ा होने से बचाने के साथ ही इनके बूढ़ा होने की स्पीड को कम कर सकते हैं-

हड्डियों में टूट-फूट एवं फ्रैक्चर आदि का खतरा बढ़ जाता है-

    चूँकि हमारी हड्डियाँ, अनेक प्रकार के मिनिरल्स जैसे कि कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन आदि से मिलकर बनी होती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में हड्डियों का घनत्व इतना कम हो जाता है कि वे एक प्रकार से खोखली ही हो जाती हैं, और मामूली सी चोट के लगने पर उनमें फ्रैक्चर हो जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस रोग के कारण प्रभावित व्यक्ति की हड्डियाँ धीरे-धीरे कमजोर होती चली जाती हैं और इसी कारण से इस रोग को एक ‘साइलेन्ट डिजीज’ माना जाता है।

अनेक हैल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार सम्पूर्ण विश्व में इस समय प्रत्येक तीन में से एक महिला और प्रत्येक पाँच में से एक पुरूष को ऑस्टियोपोरोसिस के चलते उसकी हड्डियों में फ्रैक्चर होने की सम्भावना बनी रहती हैं। जब हमारी हड्डिया

 कमजोर होने लगती हैं तो वह हमें विभिन्न प्रकार के संकेतों से सचेत भी करती हैं जैसे-

  • बेहद मामूली-सी चोट के लगने के बाद फ्रैक्चर होना, जल्दी-जल्दी फ्रैर्क्च्स का होना, जो कि आमतौर पर हलाई, हाथ की हड्डी और रीढ़ की हड्डी में अधिक फ्रैर्क्च्स होते रहते हैं।
  • लम्बे समय तक मांसपेशियों में दर्द का बने रहना और शरीर के जोड़ों के आसपास सूजन का होना एवं उनमें लगातरा दर्द बने रहना आदि।
  • प्रभावित व्यक्ति की गर्दन पर मामूली-सा दबाव पड़ने से ही गर्दन में दर्द होना शुरू हो जाता है।
  • इससे प्रभावित लोगों की कमर के निचले हिस्सों में हल्का सा दबाव पड़ने से ही उसे तेज दर्द का अनुभव होता है।
  • ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त व्यक्ति में उसके नाखून, मसूढ़े आदि ढ़ीले पड़ने लगते है बौर उनकी पकड़ भी कम हो जाने के साथ ही उनका कद भी कम होने लगता है।

अतः उपरोक्त लक्षणों के दिखाई देने पर अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।

    स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना से प्रभावित ऐसे लोग जिन्हें पहले से ही हड्डियों एवं जोड़ों आदि से सम्बन्धित कुछ परेशानियाँ थी, ये समस्याएं उनमें कोरोना से उबरने के बाद पहले से अधिक बढ़ जाती हैं।

कमजोर हड्डियों के सम्बन्ध में कछ फैट्स-

1.  देश में, हड्डियों की कमजोरी से जुड़े लगभग एक करोड़ नये मामले प्रतिवर्ष सामने आते हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक होती हैं।

2.  डाक्टर्स प्रत्येक व्यक्ति, जो चालीस वर्ष या उससे अधिक आयु का है, से प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार अपना बोन डेन्सिटी टेस्ट आवश्यक रूप से सलाह देते हैं।

हड्डियों के कमजोर होने के कारण

  • नमक एवं चीनी का अधिक सेवन करना:- डिब्बा-बन्द एवं प्रोसेस्ड फूड्स में नमक और चीनी उपयोग अधिक मात्रा में किया जाता है, इनका अधिक सेवन करने से शरीर का कैल्शियम व्यक्ति के पेशाब के माध्यम से बाहर निकल जाता है। जबकि चीनी हड्डियों के गठन को भी प्रभावित करती है।
  • तनाव हानिकारक होता है:- अधिक तनाव से हमारे शरीर में कॉर्टिसोल नामक एक हार्मोन का उत्पादन होता है, जो हमारी हड्डियों को कुप्रभावित करता है। हालांकि इस हार्मोन के कारण ब्लड शुगर में भी वृद्वि हो सकती है।
  • मेनोपॉज एवं पीरियड्स का बन्द होना:- इसके चलते महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन असंतुलित हो जाता है, जो महिलाओं की हड्डियों पर बुरा प्रभाव डालता है। ऐसे में डॉक्टर्स एचआरटी थेरेपी भी देते हैं।
  • दिनभर बैठे रहना:- लम्बे समय की बैठक, मोबाईल या कम्प्यूटर का अधिक उपयोग करना भी हमारी हड्डियों की संरचना को प्रभावित करता है। इससे हमारे शरीर में विटामिन-डी का स्तर कम हो जाता है और यह कैल्शियम को ग्रहण करने की क्षमता को कम कर देता है। इसके साथ ही धूम्रपान एवं शराब की अधिकता और नींद की कमी भी हड्डियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं।

गलत व्यायाम मतलब हड्डियों को नुकसान

    किसी भी तरीके का व्यायाम, हड्डियों की सुदृढ़ता एवं उनके लचीलेपन में वृद्वि करता है। परन्तु शुरूआत में एवं व्यायाम को सही ढंग से करने के लिए इसका आरम्भ किसी अनुभवी व्यक्ति की देखरेख में करें। अपनी शारीरिक से अधिक एवं गलत पॉस्चर में किया गया व्यायाम हड्डियों को हानि पहुँचा सकता है। इससे हमारे लिंगामेन्ट्स एवं माँसपेशियों में चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।

इसके लिए निम्नलिखित तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए-

  • यदि आपके पैरों एवं घुटनों के जोड़ों में परेशानी है तो इस प्रकार के व्यायाम न करे जो आपके जोड़ों पर दबाव डालते हो, ऐसी स्थिति में तेजी से दौड़ने वाले और पालथी मारकर बैठने वाली जैसी क्रियाओं से बचें। गर्दन एवं कमर दर्द की परेशानी होने पर झाुककर किए जाने वाले व्यायाम न करें।
  • किसी भी प्रकार के व्यायाम करने से पहले आपने आप को वार्मअप अवश्य करें। इससे आपका शरीर व्यायाम करने के लिए तैयार हो जाता है। योग करने साथ भी व्यायाम अवश्य करें, व्यायाम करते समय आप जो भी क्रिया दाएं हाथ या पैर से करते हैं उन्हें बाएं हाथ या पैर से भी करें।