पशु आहार में रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव      Publish Date : 11/02/2025

                 पशु आहार में रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव

                                                                                                                                                                        प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

यदि पशुओं के लिए प्रयोग किए जाने वाले हरे चारे में यूरिया और डीएपी (Diammonium Phosphate) का प्रयोग चारे के उगाने के लिए खेतों में किया जाता है और फिर पशु इसे खाते हैं, तो इससे पशुओं से प्राप्त दूध की गुणवत्ता और उस दूध का सेवन करने से मानव स्वास्थ्य पर कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

                                                                

1. दूध की गुणवत्ता पर प्रभाव

दूध में हानिकारक रासायनिक पदार्थों के अवशेष (Residues) आ सकते हैं और जब हमारे पशु ऐसा चारा खाते हैं, तो यूरिया और डीएपी के रसायनिक तत्व दूध में पहुंच सकते हैं, जिससे इसकी शुद्धता कम होकर उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

ऐसे दूध में अम्लता (Acidity) बढ़ सकती है क्योंकि इससे दूध का पीएच असंतुलित हो सकता है, जिससे दूध जल्दी खराब हो सकता है।

दूध में प्रोटीन और वसा की गुणवत्ता कम हो सकती है। रासायनिक चारे से दूध का पोषण स्तर प्रभावित हो सकता है, जिससे दूध में मौजूद प्रोटीन और प्राकृतिक वसा की मात्रा कम हो सकती है।

दूध का स्वाद और खुशबू भी बदल सकती है। ऐसे दूध से हल्की तेज गंध या फिर इस दूध का स्वाद भी बदल सकता है।

2. मनुष्यों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव

मानव के लिवर और किडनी को नुकसान पहुँचाता है ऐसा दूध। यूरिया और डीएपी के अवशेष मानव शरीर में जाकर उसके लिवर और किडनी पर प्रेशर डालते हैं, जिससे इन महत्वपूर्ण अंगों के खराब होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

हार्माेन असंतुलन होता है। इन रसायनों के कारण थायरॉइड, टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन हॉर्मोन असंतुलित हो सकते हैं, जिससे पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही हॉर्मोनल असंतुलन समस्या हो सकती हैं।

यह दूध मानव के पाचन तंत्र पर बुरा असर डालता है। यह दूध गैस, एसिडिटी, डायरिया और कब्ज जैसी अनेक समस्याएं भी पैदा कर सकता है।

छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह काफी खतरनाक होता है। यह दूध बच्चों की हड्डियों के विकास और उनके दिमागी विकास को भी कुप्रभावित कर सकता है, और गर्भवती महिलाओं में गर्भपात या शिशु के कमजोर होने और समय पूर्व जन्म का खतरा बढ़ा सकता है।

कैंसर होने का खतरा भी बढ़ता है। लंबे समय तक ऐसे दूषित दूध का सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा हो सकता है।

3. इसके लिए समाधान क्या है?

प्राकृतिक खेती विधि से उगाया गया चारा ही अपने पशुओं को दें। बिना यूरिया और डीएपी का प्रयोग किए गए जैविक तरीके से उगाए गए चारे का उपयोग पशुओं के लिए किया जाना चाहिएं।

चारे को उगाने के लिए गोबर और जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। जैविक विधि के माध्यम से खेतों में चारा उगाने के लिए जैविक खादों का ही उपयोग करें।

पशुओं को टॉक्सिन रिमूवल ट्रीटमेंट देते रहें। दुधारू पशुओं को समय-समय पर आयुर्वेदिक या हर्बल डिटॉक्स ट्रीटमेंट दें, ताकि उनके शरीर में मौजूद हानिकारक रसायन के अवशेष बाहर निकल सकें।

रासायनिक खादों (यूरिया, डीएपी) से उगे हरे चारे से दूध की गुणवत्ता खराब हो सकती है और यह मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकता है। जैविक चारा और प्राकृतिक खेती अपनाने से ही शुद्ध और पोषक दूध मिल सकता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।