
गेहूँ के सम्बन्ध में अति महत्वपूर्ण जानकारी Publish Date : 08/02/2025
गेहूँ के सम्बन्ध में अति महत्वपूर्ण जानकारी
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी
किसान भाईयों से अपील है कि वह अपनी गेहूँ की फसल की निगरान सतर्कता से करें। यदि आपकी गेहूँ की फसल में पीला रतुआ (Yellow Rust) का प्रकोप है तो यह आपकी गेहूँ की उपज को काफी हद तक कम कर देता है। यह गेहूँ की सभी प्रजातियों में नही होता है। कुछ किस्में जिनमें यह नही होता है उनमें 330, 327, 1270, 3385 और 3386 आदि प्रमुख है। इसमें थोड़ा-बहुत ऊपर नीचे हो सकता है, वह भी ऐसे क्षेत्रों में जहां कि पिछले कई वर्षों से एक ही किस्म की लगातार बुवाई की जा रही है जैसे 2967, 3086 और 1105 आदि किस्में। लेकिन इसकी एक खास बात यह भी है कि यह आगे नही बढ़मी है बल्कि अपने आप ही नियंत्रित भी हो जाती है।
हालांकि यह 2851 के जैसी किस्मों में ही सबसे अधिक दिखाई देती है और जैसे ही तापमान में वृद्वि होने लगती है तो यह पहले पत्तियों की ओर से शुरू होकर धीरे-धीरे गेहूँ की बालियों तक पहुँचता है जिससे उपज भी कम हो जाती है। अतः समय के रहते ही इसका उचित उपचार करने की आवश्यकता है नही तो उत्पादन में भारी कमी देखने को मिल सकती है।
इसके प्रभावी उपचार के लिए DHAN (Propiconazole) इंडोफिल या टिल्ट (क्रिस्टल) 250 एम.एल. की स्प्रे प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए अथवा Pulmage (Azoxystrobin + Difenocozole) इंडोफिल अथवा किसी ओर अच्छी कंपनी की दवाई 200 एम.एल. प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करने से अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं। इस प्रकार से यह स्प्रे दो भी करने पड़ सकते हैं।
बीमारी पर कंट्रोल: अधिक पैदावार
गेहूँ में उर्वरक (NPK + Micronutrients) का स्प्रे कर गेहूँ की पैदावार का काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि इस बात का भी अपने आप में अहुत अधिक महत्व होता कि किस समय कौन से पोषक तत्वों का स्प्रे करना होता है इसकी जानकारी का होना भी बहुत आवश्यक है। क्योंकि खेत में स्प्रे करने के दौरान एक ही स्प्रे में कई तरह के तत्वों को एक साथ मिलाकर स्प्रे करने कोई लाभ किसान भाइयों को नही होता, बल्कि ऐसा करने से केवल लागत ही बढ़ती है।
अतः किसान भाईयों को प्रयास यह करना चाहिए कि फसल की जिस अवस्था में जिस पोषक तत्व का स्प्रे करना आवश्यक है केवल उन्हीं तत्वों का स्प्रे करें, हालांकि, इस स्प्रे के कुछ दिनों के बाद दूसरे पोषक तत्वों का स्प्रे भी किया जा सकता है, और इससे किसानों को अच्छा लाभ भी प्राप्त होता है।
किसान भाई नीचे दी गई स्प्रे के अनुसार स्प्रे कर लाभ उठा सकते हैं-
बढ़वार के समय पर स्प्रेः- नाइट्रोजन, जिंक, सल्फर, फॉस्फोरस सबसे अधिक आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।
फूल, फल औश्र दाना बनने के समय स्प्रेः- गेहूँ की फसल की इस अवस्था में पोटेशियम और बोरॉन के जैसे पोषक तत्व बेहद आवश्यक होते हैं, तो इस समय फसल पर इनका स्प्रे करना लाभाकारी रहता है।
गेहूँ की बढ़वार बढ़ाने और पीलेपन को दूर करने के लिए स्प्रेः-
- NPK 19:19:19 या NPK 20:20:20 के साथ Chelated जिंक (EDTA 12%) का स्प्रे किया जा सकता है, हालांकि, स्प्रे में 33% और 21% वाला जिंक सल्फेट नही प्रयोग करना चाहिए।
- गेहूँ में नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए 2 कि.ग्रा. यूरिया का 100 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर स्प्रे कर सकते हैं।
- गेहूँ में फॉस्फोरस (DAP) की पूर्ति के लिए NPK 00:52:34 एक सबसे उत्तम विकल्प है अथवा 1 कि.ग्रा. डीएपी को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से इसका स्प्रे किया जा सकता है।
फूल, फल और दाना बनते समय स्प्रेः-
- NPK 13:00:45 या 00:52:34 के साथ बोरॉन को मिलाकर स्प्रे करना लाभकारी सिद्व होता है। ऐसा करने से गेहूँ में फूल, फल और दाने का भरपूर विकास और गेहूँ की पैदावार भी बढ़ जाती है।
- इसके साथ जब गेहूँ में बालियां निकलनी आरम्भ हो जाती हैं अथवा 10 से 20 प्रतिशत तक बालियां निकल जाती हैं उस समय भी किसान भाई NPK 00:52:34 या 13:00:45 के साथ बोरॉन को मिलाकर स्प्रे करते हैं तो इसके बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।