महिलाओं की हालत सुधारने के लिए पोषण योजना      Publish Date : 04/02/2025

              महिलाओं की हालत सुधारने के लिए पोषण योजना

                                                                                                                     प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं आकांक्षा

जारी किए गए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतीरमण ने महिलाओं की सेहत के साथ उनकी सुरक्षा और सशक्तिकरण पर भी काफी जोर दिया है। इसमें खास बात यह है कि वित्त मंत्री ने सरकार की योजनाओं में उस वर्ग की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए एक अच्छी पहल की है तो कि आज भी समाज के काफी निचले पायदान पर हैं।

वित्त मंत्री के द्वारा घोषणा की गई कि सरकार पहली बार अपना उद्यम आरम्भ करने वाली पांच लाख महिलाओं के लिए दो करोड़ रूपये तक के ऋण का प्रावधान करने जा रही है। इस योजना से अधिक से अधिक महिलाओं को जोड़ा जा सके इसके लिए लोन देने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। इसी के सम्बन्ध में बिना गारंटी के इतनी बड़ी राशि ऋण के रूप में देने की घोषणा की गई है।

बजट में महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0 स्कीम तहत आठ करोड़ से अधिक बच्चों, एक करोड़ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं, आकांक्षी जिलों और पूर्वोत्तर क्षेत्र में 20 लाख किशोरियों को पोषण सम्बन्धी सहायता करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

इसी प्रकार कुपोषण की समस्या से निपटने और प्रारम्भिक बचपन की देखभाल को अधिक बेहतर करने के लिए 21,960 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। बजट को पेश करते हुए वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि इन पाषण सम्बन्धी सहायता (कार्यक्रमों) के लिए लागत मानदंड़ों को उसके अनुरूप ही आगे बढ़ाया जाएगा।

दस हजार करोड़ रूपये की व्यवस्थाः वित्त मंत्री ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्टार्टअप में उनको फंड प्रदान करने की घोषणा भी की है। वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार के 10,000 करोड़ रूपये के योगदान से स्टार्टअप्स के लिए फंड की व्यवस्था की जाएगी।उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से सरकार पहली बार पांच लाख महिलाओं, एससी और एसटी उद्यमियों को दो करोड़ रूपये तक का ऋण प्रदान करेगी। वित्त मंत्री ने अपने बजटीय भाषण के दौरान कहा कि वह इस बात की आशा करती हैं कि भारत की अर्थव्यस्था में महिललाओं की भागीदारी बढ़े और लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं आर्थिक गतिविधियों से जुडें।

सरकार का प्रयास है कि इस आधी आबादी को अधिक सुविधाएं देकर उन्हें सशक्त बनाएं और देश के विकास में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए। संकेत तो इस प्रकार के भी आ रहें हैं कि आने वाले समय में महिलाओं से सम्बन्धित कुछ और योजनाएं भी धरातल पर आ सकती हैं।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पहल सराहनीयः पांच लाख महिलाओं को दो करोड़ के लोन की घोषणा और उनके लिए किए गए अन्य बजटीय घोषणाओं का सोशल मीडिरूा पर भी महिलाओं के द्वारा जोरदार स्वागत किया गया है। इस सम्बन्ध में एक महिला ने कहा कि नारी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए उद्यमी महिलाओं के लिए योजनाओं का ऐलान करना, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। तो वहीं दूसरी महिला ने कहा कि महिलाओं के लिए यह घोषणाएं मील का पत्थर सबित होने वाली हैं।

बजट की अन्य सुविधाएं

  • बजट में महिलाओं को लोन देने के साथ ही उनके उद्यमों को बढ़ाने के लिए महिलाओं को डिजिटल ट्रेनिंग, मार्केटिंग सपोर्ट और सरकारी योजनाओं के साथ जोड़ने की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
  • संबल योजना के तहत बेटी बचाओ बेटी पढ़ाव, वन स्टॉप सेंटर, नारी अदालतें, महिला हेल्पलाइन और महिला पुलिस स्वयंसेवक जैसी पहलों को भी शामिल किया गया है और इसके लिए 629 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है।
  • गोद लेने की प्रक्रियाओं को विनयमित करने के लिए जिम्मेदार केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी (सीआरए) को 14949 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं।
  • पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए सरकार एक विशेष योजना लाएगी।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए एक अच्छी पहल

इस साल के बजट में सबका साथ, सबका विकास की बात करते हुए ‘ज्ञान’ के तहत नारी शक्ति पर विशेष रूप से फोकस किया गया है। बजट में पोषण और गर्भवती महिलाओं के लिए घोषणाएं की गई हैं। महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ ही पोषण जैसी गंभीर समस्या पर ध्यान बनाए रखना अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है।

सरकार पहली बार अपना उद्यम आरम्भ करने वाली पांच लाख महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को दो करोड़ रूपये का सासवधि ऋण प्रदान करेगी। इस योजना के अंतर्गत सफल स्टैंडअप इंडिया स्कीम से प्राप्त अनुभवों को भी शामिल किया जाएगा।

महिलाओं की उद्यमशीलता और प्रबन्धकीय कौशल के लिए ऑनलाइन क्षमता निर्माण का प्रावधान भी किया गया है। इससे महिलाओं को उद्योग के सेचालन का हुनर सीखने में भी मदद मिलेगी। बजट में सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण-2.0 का भी ऐलान किया गया है। इस योजना के अंतर्गत बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में व्याप्त कुपोषण के स्तर को कम करना है। भारत सरकार की यह योजना मिशन शक्ति का ही एक हिस्सा है।

पुरानी योजनाओं के लिए भी बजट में प्रावधानः महिला केन्द्रित पूर्व में की गई विभिन्न योजनाओं के लिए भी इस बजट में धन के आवंटन को जारी रखा गया है। महिलाओं को विभिन्न योजनाओं में प्राथमिकता देने की बात कही गई है। हालांकि, महिलाओं पर बजट में पाषण और लोन के अतिरिक्त अन्य कोई बड़ी घोषण दिखाई नही देती है।

निजी और सरकारी क्षेत्र में बढ़ रही है महिलाओं की हिस्सेदारी

निजी क्षेत्र से लेकर सरकारी कर्मचारियों में भी महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ रही है। आज रक्षा क्षेत्र हो अथवा कॉपोरेट जगत, प्रत्येक जगह आधी आबादी पूरे दमखमक के साथ अपने काम को अंजाम देने में लगी हुई है। वर्तमान में जांबाज महिलाएं जल, थल और वायु सेना में भी अपना लोहा मनवा रही हैं।    

कार्यबल में महिलाएं

कॉर्पोरेट जगत में सीनियर मैनेमेंट के पदों पर काम करने वाले 1,86,000 लोगों में से केवल 34,879 महिलाएं हैं।

बैंकों में प्रत्येक चार कर्मचारियों में से एक महिला कमर्कचारी है। कंपनियों में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के पद पर 7,62,000 महिलाएं कार्य कर रहीं हैं, जबकि इन पदों पर पुरूषों की संख्या 19 लाख है।

इन योजनाओं को लेकर भी उम्मीदें

ग्रामीण महिलाओं के लिए डायरेक्ट कैश ट्राँसफर योजना के शुरू होने की।

‘‘लखपति दीदी’’ का आकार तीन करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ किए जाने की आशा थी।

म्हिला सम्मान सर्टिफिेट योजना के अंतर्गत ब्याज 7.5 प्रतिशत किए जाने की भी उम्मीद थी।

मनरेगा में भी महिलाओं की भागीदारी एवं दिहाड़ी को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही थी, जो कि वर्तमान में 221 रूपये प्रतिदिन है।

महिला किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि में भी बदलाव करने की उम्मीदें लगाई जा रही थी।

प्रस्तुत बजट में महिलाओं के लिए यह प्रावधान भी हैं-

1. सामर्थ्य योजना के अंतर्गत संकटग्रस्त महिलाओं के लिए स्वाधार गृह, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, कामकाजी महिला छात्रावास और राष्ट्रीय क्रेच योजना के जैेस कार्यक्रम भी शामिल किए गए हैं।

2. बाल कल्याण के क्षेत्र में अनुसंधान, प्रशिक्षण और परामर्श सेवाएं प्रदान करने वाले राष्ट्रीय लोक सहयोग और बाल विकास संस्थान (एनआईपीसीसीडी) के लिए भी 90 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।

मिशन वात्सल्य के अंतर्गत कानून के साथ संघर्ष करने वाले बच्चों सहित कमजोर बच्चों के लिए एक सुरक्षित एवं संरक्षित वातावरण बनाने पर जोर दिया गया है। इसमें बच्चों के पालन पोषण से लकिर अन्य प्रकार के सम्बन्धित प्रावधान भी हैं।

पांच लाख महिलाओं को अपना व्यवसाय आरम्भ के लिए सरकार दो करोड़ रूपये का कर्ज उपलब्ध कराएगी।

9.20 करोड़ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और किशोरियों के पोषण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

महिला सशक्तिकरण मिशन के अधीन मिशन शक्ति के लिए 3,150 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है।

भारत में आर्थिक मोर्चे पर महिलाओं की स्थिति

हाल ही में किए गए एक सर्वे के अनुसार, वर्ष 2017-18 के दौरान देश के कुल कामकाजी लोगों में 23.3 प्रतिशत महिलाएं थी। वर्ष 2021-22 में महिलाओं की हिस्सेदारी 9.5 प्रतिशत बढ़कर 32.8 प्रतिशत हो गई। इस दौरान शहरी महिलाओं की हिस्सेदारी 24.6 प्रतिशत बढ़ी, जबकि ग्रामीण महिलाओं की हिस्सेदारी 36.6 प्रतिशत तक बढ़ी है।

1.   देश में कुल 252 करोड़ बैंक अकाउंट्स हैं। इनमें से करीब 92 करोड़ (36.4 प्रतिशत) अकाउंट्स महिलाओं के नाम के हैं।

2.   बैंकों में जमा कुल 187 लाख करोड़ रूपये में 20.8 प्रतिशत यानी 39 लाख करोड़ रूपये इन महिलाओं के खातों में हैं।

3.   शहरी महिलाओं की अपेक्षा ग्रामीण महिलाएं अधिक अमीर हैं।

4.   मेट्रो सिटीज की महिलाओं के बैंक खातों में कुल जमा का 16.5 प्रतिशत यानी लगभग 1.9 लाख करोड़ रूपये है।

5.   ग्रामीण महिलाओं के खातों में यह धराशि लगभग 5.91 लाख करोड़ रूपये (30 प्रतिशत) है।   

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।