जल जीवन मिशन रहेगा जारी      Publish Date : 03/02/2025

                           जल जीवन मिशन रहेगा जारी

                                                                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

पानी के बिना काम नहीं चलेगा और यह अनवरत मिलना भी चाहिए जल जीवन मिशन सत्य परिषद ग्रामीण घरों में यह आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराने की साथ ही इसकी निरंतरता की भी चिंता करेगा। वर्ष 2019 से शुरू किए गए इस मिशन को न केवल 2028 तक विस्तार दिया गया है, बल्कि केंद्र सरकार ने इसके तहत गांव में पानी की आपूर्ति के बुनियादी ढांचे की स्थाई व्यवस्था करने का भी फैसला किया है। राज्यों को इसके लिए केंद्र सरकार के साथ नए सिरे से एम ओ यू पर हस्ताक्षर करने होंगे।

                                                              

इस पहल के जरिए केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन को लेकर उठ रहे उन सवालों के जवाब दे दिए हैं कि नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के बाद इसकी निरंतरता की चिंता कौन करेगा। यानी पाइप के जरिए जल आपूर्ति में रखरखाव और मरम्मत का खर्च कौन उठायेगा। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में जल जीवन मिशन का महत्व रेखांकित करते हुए कहा कि इसके तहत अब तक 15 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल से पानी की आपूर्ति की जा चुकी है।

यह कुल ग्रामीण आबादी का लगभग 80 प्रतिशत है। 15 अगस्त 2019 को जब पीएम ने इस मिशन की शुरुआत की थी, तब केवल 3 करोड़ ग्रामीण घरों में टाइप से पानी की आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध थी, लेकिन 5 साल में अब ऐसे घरों की संख्या 5 गुना बढ़ चुकी है। विश्व बैंक और डब्ल्यू एच ओ सरीखे संगठनों ने भी इस मिशन को ग्रामीण जीवन में बुनियादी बदलाव लाने वाला बताया है।

जल शक्ति मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस मिशन के तहत 100 प्रतिशत तक कवरेज का लक्ष्य इस साल के अंत तक हासिल हो जाने की संभावना है। इसके बाद मिशन का मुख्य फोकस ओ एंड एम यानी संचालन तथा रखरखाव पर होगा।

                                                           

इस मिशन में 2 करोड़ रोजगार सृजित होने की भी संभावना है। अगले वित्तीय वर्ष में इस मिशन में 67000 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे। मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी 70000 करोड रुपए से अधिक का आवंटन किया गया था, लेकिन चुनावी वर्ष होने और मिशन के भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति के कारण लगभग 23000 करोड रुपए ही खर्च हो सके। मूल योजना के तहत दिसंबर 2024 तक सभी ग्रामीण क्षेत्रों में नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित हो जानी चाहिए थी, लेकिन कोविड महामारी और रूस यूक्रेन युद्ध के कारण पाइप आदि के आयात में दिक्कतों के चलते ऐसा सम्भव नहीं हो पाया।

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लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।