
नवीनतम कृषि तकनीकें अब किसान के द्वार तक Publish Date : 30/01/2025
नवीनतम कृषि तकनीकें अब किसान के द्वार तक
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
वर्तमान समय में कृषि के क्षेत्र में नवीन तकनीकों एवं आधुनिकतम कृषि उपकरणों का उपयोग करने में पिछले दशकों के दौरान काफी तेजी देखी जा रही है। परंपरागत कृषि की तुलना में इन नवाचारों एवे प्रौद्योगिकियों का आम किसानों के बीच बढ़ते प्रचलन से कृषि के उत्पदान में भी उल्लेखनीय वृद्वि दर्ज की गई है। इसके परिणामस्वरूप न केवल किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि वर्ष दर वर्ष कृषि के उत्पादन में रिर्काड वृद्वि हुई है।
अब इसी दृष्टिकोण को सामने रखते हुए केन्द्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय यह सुनिश्चित् करने के लिए रणनीतिक पहल कर रहा है कि देशभर में किसान कल्याण के लिए कृषि तकनीकों का व्यापक प्रचार एवं प्रसार किया जाना चाहिए, जिससे कि उत्पादन में होने वाली इस वृद्वि का भरपूर लाभ उठाया जान सम्भव हो सके।
इसके साथ ही इस वास्तविकता से इंकार नही किया जा सकता कि भारतीय कृषि क्षेत्र इन दिनों गहन परिवर्तनों के दौर से गुजर रहा है, और यह बदलाव नवीन प्रौद्योगिकियों और नई कृषि प्रणालियों पर आधारित है। इसके सम्बन्ध में यह कहना भी गलत नही होगा कि विभिन्न प्रकार के कृषि र्स्टाटअप्स और अत्याधुनिक तकनीकी क्षमताओं से युक्त निजी क्षेत्र की संस्थाओं की सक्रिया भागीदारी से कृषि के इस विकास चक्र में अधिक तेजी आई है।
लेख में यह उल्लेख करना भी प्रासांगिक ही होगा कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग आदि की क्षमताओं का उपयोग करते हुए एक सुदृढ़ डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के एकीकरण से पूर्व ही कृषि क्षेत्र में क्रॉन्मिारी परिवर्तनों को साकार करने में अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका को निभाया है।
केवल इतना ही नही हाइपर-स्पेक्ट्रल डेटा विश्लेषण, फोटो एनालॉटिक्स और भू स्थैतिक उपग्रहों के माध्यम से मौसम के सटीक पूर्वानुमानों ने समय के रहते ही फसलों को मौसम की मार से सुरक्षित करने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। लगभग यही बात जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से कृषि क्षेत्र को सुरक्षित बनाने के सन्दर्भ में भी कही जा सकती है।
आज नई तकनीकों के भरपूर उपयोग करने से जारी इस कृषि प्रगति को अभूतपूर्व रूप से गति प्रदान करने की स्थिति निर्मित हो सकी है। कृषि के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की तकनीकों के माध्यम से आए इन परिवर्तनों का पूरा लाभ देश के अधिक से अधिक किसान उठा सकें, के उद्देश्य से किसान एवं कृषि कल्याण मंत्रालय के द्वारा कृषक समुदाय तक इन तकनीकों को पहुँचाने की दिशा में भी पहल की जा रही है। इसके अंतर्गत किसानों की एक मिति का गठन किया गया है। यह समिति ऐसी नवोन्मेषी तकनीकों का मल्यांकन करेगी, जो किसानों के लिए लाभकारी हो सकती हैं। यही नही विभिन्न संस्थानों से प्रस्ताव आमंत्रित किए जा रहे हैं, जिन्होनें ऐसी प्रौद्यागिकियों अथव दनवोन्मेषी तकनीकों का विकास किया है।
इस पहल के तहत किसानों को इन नवीन तकनीकों के संदर्भ में अवगत कराने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण, इन तकनीकों को स्थानीय तौर पर अपनाने के प्रति जागरूक करना होगा। इसके साथ ही बहुत कम लागत में ऐसे उपयोगी यंत्रों की उपलब्धता को सुनिश्चित् करना भी इस पहल का एक अभिन्न अंग बनाया जाना जाहिए। इसके अतिरिक्त यंत्रों का व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना भी इस कार्यक्रम की सफलता में सबसे प्रमुख कड़ी होगी। इस प्रकार से आशा की जा सकती है कि इस पहल के दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे और भारतीय कृषि परिदृश्य के क्रॉन्तिकारी परिवर्तन किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के तौर पर ही उभरकर सामने आएंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।