जी. एम. मुक्त बीज का संरक्षण      Publish Date : 29/01/2025

                       जी. एम. मुक्त बीज का संरक्षण

                                                                                                                                प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु

भारत, कृषि जैव विविधता से समृद्व एक देश है। आईसीएआर-एनबीपीजीआर, नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय जीनबैंक में ऐसे जननद्रव्यों का सेरक्षण किया जाता है। जननद्रव्यों के जी.एम. (जेनेटिकली मॉडिफाइड)-मुक्त संरक्ष्ण के लिए, जी.एम. डायग्नोस्टिक्स का उपयोग कर ट्राँसजीन की जांच की जाती है। इस क्रम में संरक्षित कपास, सरसों, बैंगन, मक्का, अलसी और भिण्ड़ी के 900 से अधिक बीज/नमूनों में ट्राँसजीन की उपस्थिति नही पाई गई है। जांच में किसी भी संरक्षित नमूने में किसी भी ट्राँसजीन उपस्थिति नही पाई गई है। आज के हमारे इस लेख में ट्राँसजीन की नियमित जांच के महत्व का संक्षिप्त वर्णन किया गया है।

भारत विभिन्न फसल, प्रजातियों जैसे बैंगन, कपास, भिण्ड़ी, सरसों और चावल आदि की विविधता के लिए जाना जाता है। भारत में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत भाकृअनुप-राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो (एन.बी.पी.जी.आर.), नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय जीन बैंक, दुनिया का सबसे बड़ा जीनबैंक है, जिसमें लगभग 4.66 लाख पादप जनन द्रव्यों का संग्रह किया गया है। इन जननद्रव्यों का भविष्य में उपयोग और इनकी आनुवांशिक शुद्वता को सुनिश्चित करने के लिए एन.बी.पी.जी.आर. विविधता से भरपूर पादप जननद्रव्यों का एकत्रीकरण और संरक्षण करता है। यह संरक्षित जननद्रव्य विभिन्न संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में नई-नई फसलों की किस्में तैयार कर और विभिन्न अनसंधान कार्यों के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं।

ट्राँसजेनिक या पराजीनी फसलों में आमतौर पर पाए जाने वाले ट्राँसजेनिक तत्वों जैसे- कॉलीफ्लोवर मोजेक वायरस 35एस प्रमोटर (पी-35एस), नोपलाइन सिंथेज टर्मिनेटर (टी-एनओएस) आदि की उपस्थिति की जांच पॉलीमरेज श्रृंखला अभिक्रिया (एन.बी.पी.जी.आर.) या रियल टाइम पी.सी.आर. के माध्यम से की जाती है। इसमें जीनबैंक में संरक्षित द्रव्यों में ट्राँसजीन की उपस्थिति की जांच की जा सकती है। इसके साथ ही आनुवांशिक संसाधनों के ट्राँसजेनिक मुक्त संरक्षण को भी सुनिश्चित किया गया है।

वर्तमान में जी.एम.ओ. मैट्रिक्स का उपयोग जी.एम. तत्वों और जी.एम. इवेंट की जांच करने के लिए किया जाता है। जी.एम.ओ. मैट्रिक्स के कॉलम में जी.एम. इवेंट की सूची पंक्ति में शामिल है। इसकी प्रत्येक इवेंट में उपलब्ध ट्राँसजेनिक तत्व शामिल होते हैं। एक उदाहरण के अनुसार बैंगन का जी.एम.ओ. मैट्रिक्स विकसित किया गया है। बैंगन के जी.एम.ओ. मैट्रिक्स के अध्ययन से ज्ञात होता है कि पी-35एस प्रोमोटर की जांच से बैंगन के बीज में जी.एम. की उपस्थिति या इसकी अनुपस्थिति की जांच की जा सकती है। हालांकि, गैंगन में जी.एम.ओ. इवेंट की पहचान करने के लिए सम्बन्धित जीन-विशिष्ट परीक्षणों की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए क्राई 1एसी जीन ईई 1 इवेंट के लिए।

जीएम परीक्षण से पूर्व पहले पौधें में विशिष्ट मार्कर या एण्डोजेनस जीन को लक्षित करने वाले पी.सी.आर. का उपयोग कर नमूनों की गुणवत्ता और प्रवर्धन को सुनिश्चित किा जाता है। एक बार जब जी. एम. तत्वों का चयन कर लिया जाता है, तो जीन बैंक से ग्रहण किए गए जननद्रव्यों के डी.एन.ए. के नमूने में इन तत्वों की उपस्थिति या अनुपस्थिति की जांच पी.सी.आर. या रियल टाइम पी.सी.आर. के द्वारा की जाती है। प्रत्येक परीक्षण के लिए फॉल्स पॉजिटिव और फॉल्स नेगेटिव की सम्भावनाओं को कम करने के लिए और परिणाम की विश्वसनीयता के लिए पॉजिटिव और नेगेटिव निंत्रण भी चलाए जाते हैं। सरसों में जी.एम. का पता लगाने के लिए प्रतिनिधि प्रोफाइल दिया गया है।

इस प्रेार के अध्ययन को नियमित रूप से बीज की आयतित खेपों के परीक्षण के साथ ही साथ चयनित फसलों के जीनबैंक में संरक्षित द्रव्यों का भी परीक्षण करने की आवश्यकता है। यह जी.एम. इवेंट की अनाधिकृत उपस्थिति को एहतियाती दृष्टिकोण के रूप में जीनबैंक में प्रतिबंधित करने में सहायता करेगा।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।