भारत में ई-कृषि की ओर बढ़ते कदम Publish Date : 20/01/2025
भारत में ई-कृषि की ओर बढ़ते कदम
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय
समय के वर्तमान परिवेश में, जहाँ एक एक ओर किसानों के घरों तक टेलीफोन, मोबाइल एवं कम्प्यूटर आदि की पहुँच बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर जारी इस संचार क्रॉन्ति से कृषि विज्ञान के क्षेत्र में भी पहले के मुकाबले बहुत सुधार हुए हैं। वर्तमान में सूचना क्रॉन्ति ने भारत के प्रत्येक गाँव तक इतनी तेजी के साथ अपने पाँव पसार लिए है कि इसकी आशा तो सूचना प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों ने भी हनी की थी। आज के समय में सुदूर गाँव में बैठा एक किसान भी इंटरनेट के माध्यम से पलक झपकते ही कृषि से सम्बन्धित तमाम जाकारियां प्राप्त कर रहा है।
कृषि विज्ञान से सम्बन्धित नवीनतम और अत्याधुनिक जानकारियों के प्रचार एवं प्रसार के क्षेत्र में इंटरनेट एक प्रभावी भूमिका निभा रहा है। इंटरनेट के माध्यम से न केवल किसानों की मानसिकता में क्रॉन्किारी परिवर्तन आ रहे हैं, बल्कि भारतीय किसान पहले की अपेक्षा आज कहीं अधिक आर्थिक रूप से सम्पन्न है। आज का किसान ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और बिगड़ते मृदा स्वास्थ्य के जैसी कृषि के क्षेत्र की इन समस्याओं के प्रति पूरी तरह से जागरूक भी है। आज के किसान के पास सूचनाएं एवं नई-नई जानकारियों को प्राप्त करने के विभिन्न माध्यम और तरीके उपलब्ध हैं। वर्तमान समय में किसान ई-मेल के माध्यम से देश के किसी भी कोने में घर बैठे ही अपनी कृषिगत किसी भी समस्या का हल प्राप्त कर सकने में सक्षम हैं।
वर्तमान में ई-मेल की सुविधा लगभग सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है और पूरे देश के किसान इसका उपयोग कर लाभ उठा रहें हैं। सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग, मौसम सम्बन्धी जानकार, फसल का उत्पादन बढ़ाने के सम्बन्धी जानकारी, मृदा का उर्वरता एवं उत्पादकता से सम्बन्धित और भूमि सम्बन्धी रिकार्डों आदि के कम्प्यूटरीकरण में भी धड़ल्ले से किया जा रहा है। आज कृषि विज्ञान के क्षेत्र में ई-चौपाल केन्द्रों की स्थापना भी की जा रही है। अब देश के लगभग सभी भागों में हजारों से अधिक ई-चौपाल केन्द्र आवश्यक जानकारियां प्रदान कर कृषि एवं किसानों के सर्वांगीण विकास में अपना महत्वपूण योगदान प्रदान कर रहे हैं।
यह ई-चौपाल केन्द्र इंटरनेट के माध्यम से किसानों को टिकाऊ खेती, मधुमक्खी-पालन, पशु-पालन, मंडियों के भाव और बागवानी आदि से सम्बन्धित समस्त प्रकार की जानकारियां किसानों को सहज ही उपलब्ध करा रहें हैं। वर्तमान समय में अधिकांश किसानों के पास इंटरनेट एवं ब्रॉडबैंड आदि की सभी सुविधाएं उपलब्ध है।
इंटरनेट के क्षेत्र में भी आने वाला एक बड़ा बाजार भारत का किसान ही है। रूरल बिजनेस प्रोसेस और आउटसोर्सिंग की नजरें भी अब कृषि से सम्बन्धित क्षेत्रों पर ही लगी हुई हैं। आज गाँवों में भी स्थान-स्थान पर साइबर कैफे खुलते जा रहे हैं, जहाँ से किसान आसानी से अपनी आवश्यकताओं के अनुसार जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। कृषि विकास के साथ ही अन्य क्षेत्रों के बारे में भी अब इंटरनेट का उपयोग कर जानकारियां प्राप्त कर ली जाती हैं।
इंटरनेट का प्रयोग करके जहाँ एक ओर किसानों के ज्ञान में बढ़ोत्तरी हो रही है वहीं दूसरी ओर बड़े स्तर पर रोजगार की सम्भावनाएं भी फलीभूत होंगी। इसमें कोई सन्देह नही है कि इंटरनेट के प्रसार से किसान की पहुँच महत्वपूर्ण सूचनाओं तक आसान हुई है। इंटरनेट के माध्यम से किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और सरकार में बीच एक सेतु का काम कर रहा है। आज इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न सरकारी योजनाओं और कृष अनुसंधानसे सम्बन्धित महत्वपूर्ण सूचनाएं सीधे किसानों तक ही आसानी से पहुँच पा रही हैं।
इंटरनेट की सुविधाओं के चलते ही वर्तमान में भारत का कुल खाद्यान्न उत्पादन 259 मिलियन टन के स्तर को भी पार कर चुका है। किसानापें के कल्याण और उनकी प्रगति के लिए इंटरनेट की सेवाओं को और अधिक दुरूस्त करने की आवश्यकता है, जिससे ‘‘जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान’’ का नारा अबाध गति से अग्रसर रहे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।