मत्स्य उत्पादों का मूल्य संवर्धन Publish Date : 16/01/2025
मत्स्य उत्पादों का मूल्य संवर्धन
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
वर्तमान में मत्स्य पालन ने एक बड़े व्यावसायिक क्षेत्र का रूप ले लिया है। इसके साथ ही इस व्यवसाय का एक पहलु ऐसा भी है, जो अभी भी अल्पविकसित ही है। इसमें अभी भी रोजगार के सुनहरे अवसर उपलब्ध हैं। यह है ‘मत्स्य मूल्य संवर्धन’। मत्स्य मूल्य संवर्धन या मूल्यवर्धन का शाब्दिक अर्थ है किसी भी अतिरिक्त गतिविधि या प्रक्रियाओं के तहत किसी भी उत्पाद को उपभोक्ता के लिए अधिक आकर्षक बनाना। बाजार में विभिन्न प्रकार के मत्स्य प्रसंस्करित उत्पाद उपलब्ध हैं, जो मछलीपालन में होने वाले नुकसान को बचाने में मददगार साबित हो रहे हैं।
आमतौर पर, जो मत्स्य प्रसंस्करित उत्पाद से आय वृद्वि आमतौर पर डॉक्टर, उम्र के किसी भी पड़ाव पर हमें मत्स्य या इससे बने उत्पाद का सेवन करने की सलाह देते हैं। मछली, प्रोटीन का एक उत्तम स्रोत है। इसके साथ ही साथ इसमें उपस्थित पोषक तत्व जैसे विटामिन, लवण, वसा आदि मनुष्य को सम्पूर्ण पोषण देने की क्षमता रखते हैं। प्रसंस्करित उत्पाद पोषक तत्वों की गुणवत्ता को भी बढ़ाने का कार्य करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो प्रसंस्करित उत्पाद केवल स्वाद और प्रकृति को ही नहीं बदलते हैं अपितु गुणवत्ता को भी सकारात्मक रूप से बढ़ावा देने का कार्य करते हैं।
मछलियों की डिब्बाबंदी मुख्यतः निर्यात के लिए प्रचलित है जबकि प्रसंस्करित एवं खाने के लिए तैयार उत्पाद की घरेलू बाजार में काफी मांग है। मत्स्य का प्रसंस्करित उत्पाद संचय करने की अवधि को भी बढ़ा देता है, बशर्ते कि तापमान तथा अन्य कारकों को संतुलित अवस्था में रखा जाए। साथ ही मछली बनाकर एवं उनका बाजारीकरण कर के, गरीब मछुआरों के साथ-साथ बेरोजगार ग्रामीण युवाओं के लिए भी कमाई का एक अच्छा स्रोत बन सकता है।
मछलियां कम पसंद की जाती हैं और ताजा स्थिति में तुलनात्मक रूप से कम कीमत की होती हैं। उन मछलियों को मूल्यवर्धित उत्पादों को बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। मत्स्य-कटलेट, मत्स्य-बॉल, मत्स्य- फिंगर, मत्स्य-बर्गर, मत्स्य-सुरिमी, मत्स्य-वड़ा, मत्स्य-चकली, मत्स्य-सेव, मत्स्य-पापड़, मत्स्य-वेफर्स, मत्स्य-अचार और मत्स्य-चटनी इत्यादि कुछ ऐसे प्रसंस्करित उत्पाद हैं, जिनकी मांग को पूर्ण करने में बाजार आज भी असमर्थ है।
भारत की आत्मा गावों में निवास करती है। वहीं जलीय कृषि प्रतिदिन नए-नए आयाम स्थापित किए जा रही है। विभिन्न क्षेत्रों की विज्ञान का एकीकरण जल से उसकी क्षमतानुसार उत्पाद को उपजाने की प्रक्रिया तथा उद्यमी एवं किसानों की समस्याओं का निराकरण विकासशील विज्ञान के माध्यम से ही सुलभ हो पा रहा है।
इसी कड़ी में भारत की मछली उत्पाद की क्षमता देखें, तो वर्ष 1950-51 में सिर्फ 0.75 मीलियन मीट्रिक टन था, जो वर्ष 1994-95 में बढ़कर 4.95 मीलियन मीट्रिक टन तथा वर्तमान में 16.24 मीलियन मीट्रिक टन हो गया है। आज भारत 46,662.85 करोड़ रुपये का मछली उत्पाद निर्यात करने में भी सक्षम है। मछली उत्पाद भारत की वार्षिक अर्थव्यवस्था में अपना 1.2 प्रतिशत योगदान निभाने में सक्षम हो चुका है। भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था के क्षेत्रा में इसकी हिस्सेदारी 7.28 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
मछली मोमोजः मोमोज एक स्वादिष्ट फास्टफूड है और तेल मुक्त रेसिपी के कारण फास्टफूड सेंटर और रेस्टौरेंटों में तेजी से अपनी लोकप्रियता हासिल कर रहा है। मछली से बने मोमो तैयार करने के लिए किसी भी कम कीमत वाली मछली का उपयोग आसानी से किया जा सकता है। सर्वप्रथम मछली को अच्छी तरह धोकर साफ कर लें, मछली का सिर काटकर अलग कर दें। इसके साथ ही साथ मछली शल्क और आंतरिक भाग को भी हटा लें। इसे 15 मिनट तक गर्म पानी में उबालें एवं ठंडा होने पर इसके मांस को ध्यान से चुनकर हड्डियों से अलग कर लें।
चुने हुए मांस को किसी मिक्सी की सहायता से मिलाकर अच्छी तरह पेस्ट बना लें। प्याज और हरी मिर्च को काट लें। अलग से अदरक और लहसुन को काट लें एवं इसे मिलाकर दूसरा पेस्ट तैयार कर लें। इस पेस्ट को मछली के पेस्ट के साथ मिला लें। इसके साथ ही साथ इसमें कटा हुआ प्याज, कटी हरी मिर्च और नमक भी मिला लें और अब मैदे को गूंथ लें। इसकी थोड़ी सी मात्रा लेकर छोटी-छोटी चपाती के आकार में बना लें। गोल चपाती के अंदर तैयार किये गए मछली के मिश्रण पेस्ट को डालें।
चपाती को फूल का आकार देते हुए मोड़ लें। कोई भी मोमो स्टीमर या इडली स्टीमर में इसको रखकर 15 मिनट के लिए भाप में पकायें। अब मोमो पककर तैयार है। इन्हें चटनी के साथ परोसें।
देश के कुछ राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ आदि जहां प्रसंस्करित उत्पाद की बुनियाद भी ढंग से नहीं रखी गयी है। मत्स्य उत्पादों के लिए मछलियों का चयन मछलियां ताजी होनी चाहिए, जिसके पफलस्वरूप उत्पाद का अधिक मूल्य मिले। इनकी आंखें और पुतलिया चमकदार होनी चाहिए, गलफडे़ लाल होने चाहिए, मछली से कोई दुर्गंध न आये, शरीर की बनावट नरम, पूंछ मजबूत होनी चाहिए तथा पेट से कोई तरल का प्रवाह न हो।
मछली कटलेटः मछलियों से तैयार किये गए मूल्यवर्धित उत्पादों में से एक उत्पाद, मछली का कटलेट है। यह एक बहुत ही लोकप्रिय फास्ट फूड है और रेस्टौरेंट में इसकी अच्छी मांग रहती है। मछली कटलेट पोषक तत्वों से प्रचुर और उपभोक्ताओं के स्वादानुरूप है। यह उत्पाद मछली मांस से तैयार किया जाता है। इसे उबले हुए आलू या तले प्याज एवं मसाले आदि के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। इसे एक निर्धारित आकार में ढाला जाता है, जिसमें कि प्रत्येक कटलेट का वजन लगभग 40 ग्राम होता है। बाद में तैयार किये हुए कटलेट को ब्रेडींग तथा बेटरिंग के उपरांत वनस्पति तेल में लगभग 20 सेकंड तक तला जाता है। अब मछली का कटलेट खाने के लिए बनकर तैयार है।
मछली का बॉलः यह एक स्वादिष्ट तथा प्रसंस्करित मछली उत्पाद है। इसमें कच्ची सामग्री के रूप में मछली के मांस का उपयोग किया जाता है। इसे बनाने के लिए सर्वप्रथम मछली के मांस को अच्छी तरह से धोकर और स्वच्छ करने के बाद इसका उपयोग किया जाता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।