कृषि विश्वविद्यालय में नैनो फंगीसाइड पर शोधकार्य लगभग पूर्ण      Publish Date : 15/01/2025

   कृषि विश्वविद्यालय में नैनो फंगीसाइड पर शोधकार्य लगभग पूर्ण

                                                                                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

  • कीटनाशकों की नही होगी आवश्यकता, रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक खराब कर रहे हैं लोगों की सेहत।
  • नैनो फंगीसाइड का उपयोग अभी केवल गेहूँ की फसल में ही किया जा सकता है, अन्य फसलों पर अभी शोध कार्य किया जा रहा है।

अभी तक कुछ किसान गेहूँ की बुवाई का काम पूरा कर चुके हैं तो कुछ किसानों का यह काम अभी बाकी है। ऐसे में गेहूँ की फसल को रासायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों के प्रयोग से बचाने के लिए मेरठ के सरदार वल्लभभई पटेल कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय में किया जा रहा नैनो फंगीसाइड पर शोध कार्य भी अब अपने अंतिम चरण में हैं।

                                                              

अब किसान रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक आदि का प्रयोग करने के स्थान पर नैनो फंगीसाइड का प्रयोग कर सकते हैं। यह नैनो फंगीसाइड मानव की सेहत के लिए हानिकारक न होकर स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। जबकि रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक मानव के स्वास्थ्य के लिए केवल और केवल हानिकारक ही होते हैं।

कृषि विश्वद्यिालय में चल रहे इस शोध कार्य को विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट डायरेक्टर प्रोफेसर आर. एस. सेंगर और दो छात्र कर रहे हैं। अब इस नैनो फंगीसाइड को सरकार से अनुमित प्राप्त कर शीघ्र ही बाजार में उतारा जाएगा। सरदार वल्लभभई पटेल कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट डायरेक्टर प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि नैनो फंगीसाइड के शोध का कार्य अब लगभग पूरा हो चुका है और यह भी एक दवाई के रूप में ही कार्य करेगा।

वर्तमान में इस नैनो फंगीसाइड को केवल गेहूँ की फसल में ही प्रयोग किया जा सकता है। किसानों को एक बार अपने खेत में नैनो फंगीसाइड का प्रयोग करने बाद किसी भी कीटनाशक अथवा उर्वरक का प्रयोग करने की जरूरत नही पड़ेगी। गेहूँ की फसल में इसका प्रयोग करने से फसल की लागत में कमी आयंगी तथा इसका उत्पादन भी अधिक होगा।

अभी तक रासायनिक कीटनाशक और उर्वरकों का प्रयोग करने से खेती में किसान की लागत भी अधिक आती है और मानव का स्वास्थ्य भ्ी प्रभावित होता है और नैनो फंगीसाइड का प्रयोग करने से मानव की सेहत को भी कोई हानिकारक प्रभावन नही भुगतने होंगे।

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा ‘‘अब मान्यता का इंतजार’’: सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर, के. के. सिंह का कहना है कि विश्वविद्यालय में जारी इस शोधकार्य में दो अनुसंधान निदेशक डॉ0 कमल खिलाड़ी, डॉ0 नीलेश कपूर, छात्र अभिनव सिंह और प्रियंवदा मिश्रा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

                                                              

कुलपति प्रोफेसर के. के. सिंह ने बताया कि शीघ्र ही इसे प्रदेश सरकार के साथ ही केन्द्र सरकार से मान्यता प्राप्त करने के लिए भेजा जाएगा। फिलहाल गेहूँ की फसल पर ही इसका प्रयोग किया गया है, जबकि बाकी फसलों पर इसका प्रयोग करना अभी बाकी है।

नैनो फंगीसाइड का प्रयोग करने से प्राप्त लाभ

  • यह मृदा-जनित, वायु-जनित और बीज-जनित कवक एवं जीवाणु जनित रोगों को नियंत्रित करता है।
  • नैनो फंगीसाइड, बैक्टीरियल ब्लाइट, शीथ ब्लाइट, ब्लास्ट और जड़-सड़न के जैसे विभिन्न रोगों को नियंत्रित करता है।
  • यह तांबे की कमी को भी दूर करता है।
  • यह पौधों में प्रणालीगत प्रतिरोध को भी उत्पन्न करता है।
  • यह नैनो फंगीसाइड, मानव, जानवर, पौधों और पर्यावरण के लिए भी पूरी तरह से सुरक्षित है। 

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।