स्मार्ट भविष्य के लिए तकनीकी क्रांति      Publish Date : 12/01/2025

                    स्मार्ट भविष्य के लिए तकनीकी क्रांति

                                                                                                                                   प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय

स्पेस, न्यूक्लियर एनर्जी, बायोटेक्नोलाजी, फार्मास्युटिकल्स और डिफेंस में अपने मजबूत प्रभाव के साथ भारत अब एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और ब्लाकचेन जैसी उभरती तकनीकों में भी वैश्विक पहचान बना रहा है। नए साल में अंतरिक्ष मिशन से लेकर एआई और कंप्यूटिंग तक अनेक क्षेत्रों में क्या-क्या होंगे बदलाव, पर एक नजर-

                                                                 

अंतरिक्ष में उल्लेखनीय उपलब्धियों के अलावा देश में तकनीकी विकास के अनेक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं और निजी क्षेत्र की भागीदारी और शैक्षणिक योगदान लगातार बढ़ रहा है।

खासकर, सेमी-कंडक्टर, प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निदेशक, आईआईटी, (एआई), सुपर कंप्यूटिंग और कानपुर क्वांटम तकनीक के साथ कौशल विकास कार्यक्रमों में काफी तेजी आ रही है। नए साल में तकनीकी विकास के क्षेत्र में कई ऐसी उपलब्धियां दिखेंगी, जिनकी वर्षों से तैयारी की जा रही है। यह सभी कदम वैश्विक तकनीकी समुदाय में भारत की स्थिति को मजबूत तो कर ही रहे हैं, साथ ही देश में समावेशी विकास और रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर रहे हैं।

वर्ष 2024 का समापन इसरो के पीएसएलवी-सी60 स्पैंडेक्स के सफल प्रक्षेपण के साथ हुआ। यह भारत का पहला स्वदेशी अंतरिक्ष डार्किंग मिशन है। इससे भारत विश्व में इस क्षमता को प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।

तकनीकी विकास को गत्ति देश में एक तरफ जहां अनेक कार्यों में एआई अपनाने की गति तीव्र हुई है, तो वहीं सेमी-कंडक्टर्स की मांग में जबरदस्त वृद्धि हो रही है। एक अभियान के तहत देश में सेमी-कंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है।

सेमीकान इंडिया प्रोग्राम के तहत, चार सुविधाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें टाटा इलेक्ट्रानिक्स प्राइवेट लिमिटेड की बड़े पैमाने पर वेफर फैब और ओएसएटी (आउटसोर्स सेमी-कंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट) इकाइयां, साथ ही सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल साल्यूशंस लिमिटेड और केनेस टेक्नोलाजी इंडिया लिमिटेड की परियोजनाएं शामिल हैं। इसके साथ स्कीम फार प्रमोशन आफ मैन्युफैक्चरिंग आफ इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट्स एंड सेमीकंडक्टर (स्पेक्स) के तहत नौ परियोजनाएं इलेक्ट्रानिक घटकों के उत्त्पादन के साथ-साथ बड़े स्तर पर तकनीकी क्षेत्र में रोजगार सृजन की पृष्ठभूमि तैयार कर रही हैं। इससे आने वाले वर्षों में, देश में एक मजबूत, आत्मनिर्भर इलेक्ट्रानिक्स पारिस्थितिकी तैयार हो सकेगी।

एआई के अंतर्गत प्रगतिः भारत वैश्विक एआई नीति पर चर्चाओं का नेतृत्व कर रहा है और ग्लोबल पार्टनरशिप आन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) मंत्रि स्तरीय परिषद की छठी बैठक का मेजबान था। भारत एआई मिशन के तहत राष्ट्रीय एआई पोर्टल (इंडियाएआई) और एआई रिसर्च एनालिटिक्स एंड नॉलेज डिसेमिनेशन प्लेटफार्म (एआईआरएडब्ल्यूएटी) की शुरुआत की गई है। एआई नवाचार स्टार्टअप के लिए बेहतर माहौल तैयार करने के साथ-साथ उद्योग जगत के लिए लाभदायक होंगे।

कंप्यूटिंग के क्षेत्र में क्षमता वृद्धिः भारत ने 2024 में तीन स्वदेश विकसित ‘‘परम” रुद्र प्रणालियों की शुरुआत के साथ सुपर कंप्यूटिंग में भी बड़ी प्रगति की है, जिससे देश में अब कुल 33 सुपर कंप्यूटर हो गए है, जिनकी कुल क्षमता 32 पेटाफ्लाप है। शोधकर्ताओं के पास अब भौतिकी, पृथ्वी विज्ञान और खगोल विज्ञान जैसे क्षेत्रों में उन्नत अध्ययन के लिए अधिक शक्तिशाली कंप्यूटिंग टूल तक पहुंच है। भारत का राष्ट्रीय क्वांटम मिशन भी गति पकड़ रहा है, जिसमें क्वांटम कंप्यूटिंग, संचार, संवेदन और सामग्रियों पर काम करने के लिए चार केंद्र पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। इस मिशन के तहत आईआईटी कानपुर में नेशनल क्वांटम मिशन-कोआर्डिनेशन सेल की स्थापना की गई है।

बढ़ता डिजिटलीकरणः प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमदिशा) के तहत 81 आकांक्षी जिलों में कौशल निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से 6.39 करोड़ व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया और युवाओं को आधुनिक तकनीकी नौकरियों के लिए आवश्यक विशेषज्ञता से सुसज्जित किया गया है। इस बीच, एआई- संचालित भाषा अनुवाद प्लेटफार्म ‘‘भाषिणी” अनेक भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के साथ डिजिटल सेवाओं को आमजन के लिए सुलभ बना रही है।

तकनीक के साथ महाकुंभ की तैयारी: आईआईटी कानपुर की एक टीम महाकुंभ प्रशासन के साथ उनकी डिजिटल एसेट्स की सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन में सुधार और पूरे संगठन के प्रयासों का विश्लेषण करने के लिए समन्वय कर रही है। संस्थान शहर में भारतीय कौशल संस्थान की स्थापना में भी मदद कर रहा है, जो आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।

नए साल में संभावनाएं: नए साल में हेल्थकेयर और सेमी-कंडक्टर परियोजनाओं से उत्पादन में तेजी आएगी और नई नौकरियां पैदा होंगी। एआई प्लेटफार्मों का विस्तार होगा, जिससे शिक्षा और उद्योग जगत को विशेष लाभ मिलेगा। शोधकर्ताओं की अधिक उन्नत कंप्यूटिंग सुविधाओं तक पहुंच होगी। कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम अधिक समावेशी तकनीकी कार्यबल बनाने में मदद करेंगे। शैक्षणिक संस्थान और निजी उद्यम आर्थिक अवसर पैदा करने और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करेंगे।

आईआईटी का योगदान

आईआईटी कानपुर ने अनुसंधान और विकास में अनेक उल्लेखनीय योगदान दिए हैं। शोध टीमें एआई, साइबर सुरक्षा, सेमी-कंडक्टर, मेडटेक, सस्टेनबिलिटी और क्वांटम सहित विविध प्रौद्योगिकी डोमेन में काम कर रही हैं, जिनके अनुप्रयोगों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। आईआईटी कानपुर में जैविक विज्ञान और जैव इंजीनियरिंग विभाग की आणविक आनुवंशिकी और चिकित्सा विज्ञान प्रयोगशाला ने जन्मजात रेटिनल अधरू पतन, हीमोफीलिया और मस्कुलर डिस्ट्राफी के एक प्रकार के लिए जीन थेरेपी विकसित की है।

इन जीन थेरेपी परिसंपत्तियों को लारस लैब्स को हस्तांतरित कर दिया गया है, जो प्री-क्लीनिकल ट्रायल के माध्यम से सुविधाएं प्रदान करेगी। लारस लैब्स आईआईटी कानपुर के टेक्नोपार्क में अत्याधुनिक गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (जीएमपी) सुविधा स्थापित कर रही है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा सतत शिक्षा एवं कौशल में एक और प्रमुख पहल "साथी" प्लेटफार्म है, जो छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करने के लिए आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित एआई-आधारित मुफ्त शिक्षण प्लेटफार्म है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।