देश के विकास में प्रौद्योगिकी से बहुत आशाएं      Publish Date : 11/01/2025

                देश के विकास में प्रौद्योगिकी से बहुत आशाएं

                                                                                                                                                            प्रोफेसर आ. एस. सेंगर

हमारे देश में प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार का संभावित भविष्य क्या है? इस तथ्य पर नजर डालतें हैं तो आज हम अपने इंजीनियरों और शोधकर्ताओं में एक नया आत्म-विश्वास देख रहे हैं। लगभग हर क्षेत्र में, रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, स्मार्ट विनिर्माण, उन्नत सामग्री, नैनो-प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल, रक्षा और अंतरिक्ष आदि क क्षेत्र में हमने मानव संसाधन एवं विशेषज्ञता और अत्याधुनिक क्षमताओं अद्भुत का विकास किया है।

                                                              

अब हम भारत में कुछ भी बना सकते हैं और वह भी बेहद कम लागतों पर। आत्मनिर्भर बनने के लिए हम कई क्षेत्रों में सही रास्ते पर अग्रसर हैं, पर अन्य देशों की बड़ी कंपनियों और उद्योगों ने सरकारी नीतियों के समर्थन से वैश्विक बाजारों पर कब्जा कर लिया है और हमारी अर्थव्यवस्था के इस स्केल का भरपूर लाभ उठाया है।

हमारे पास जो बड़े बाजारों का लाभ तो है, लेकिन हमें अपने विचारों को प्रोटोटाइप और बाजार योग्य उत्पादों में बदलने की आवश्यकता है, जो बाजार में सही स्केल पर आ सकें। आईआईटी दिल्ली के पास कई सफल स्टार्टअप्स और एक जीवंत स्टार्टअप का पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध है। हम अपने संकाय और छात्रों को उनके विचारों के साथ आगे बढ़ने और स्टार्टअप्स बनाने के लिए निरंतर प्रोत्साहित कर रहे हैं। फिर भी, स्टार्टअप पारिस्थितिकी और बड़े उद्योगों के बीच संबंध को अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।

                                                             

हमें अकादमिक और अनुसंधान संस्थानों से ऐसी नई विचारधारा और नवाचार की अपेक्षा है, जो हमारे उद्योगों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्रदान कर सकें। इसके लिए अकादमिक, उद्योग और सरकार के बीच दीर्घकालिक साझेदारी के नए माडल बनाए जाने चाहिए।

आईआईटी दिल्ली के कुछ उदाहरण संभावनाओं का संकेत देते हैं। हमने नए प्रकार का सीमेंट, चूना, पत्थर, कैल्सिन्ड क्ले और सीमेंट विकसित किया है, जिसका कार्बन डाइआक्साइड फुटप्रिंट बहुत कम है। यह प्रौद्योगिकी एक वैश्विक सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजना के रूप में विकसित की गई है और 25 देशों में सीमेंट भट्टियों में फील्ड में परीक्षित की गई है।

हम भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के समर्थन से स्वदेशी चिकित्सा उपकरणों का एक नवाचार तंत्र बना रहे हैं। डीएसटी द्वारा समर्थित और थर्मेक्स और आईआईटी दिल्ली द्वारा कार्यान्वित एक परियोजना ने कोयले को मेथनाल में बदलने के लिए एक उद्योग पैमाने का पायलट संयंत्र बनाया है। अगला चरण कार्बन कैप्चर और भंडारण के साथ हाइड्रोजन उत्पादन तक इसे विस्तारित करना है। हमारे पास डीआरडीओ के साथ एक संयुक्त अनुसंधान केंद्र है, जहां हमने स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट्स, अत्यधिक ठंडे मौसम के कपड़े और अन्य रक्षा प्रौद्योगिकियों का विकास किया है। इन्हें निर्माण के लिए उद्योग को लाइसेंस दिया गया है।

                                                                

कई आईआईटी और आईआईएससी ने मिलकर स्वदेशी 5जी प्रौद्योगिकी का निर्माण किया। यह उदाहरण दिखाते हैं कि साझेदारियां क्या क्या हासिल कर सकती हैं। हमें अपनी क्षमता पर विश्वास करने की आवश्यकता है कि हम वैश्विक लीडर बन सकते हैं और भारत के लिए ऐसे समाधान बना सकते हैं, जो अन्य देशों को भी निर्यात किए जा सकेंगे। राष्ट्र को अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण निवेश करने की आवश्यकता है, जो हमारे उद्योग को सक्षम और मजबूत करता है और समाज को रोजगार और मूल्य प्रदान करता है। नए वर्ष में, मुझे आशा है कि हम एक साथ काम करने के नए तरीके खोजेंगे, ताकि भारत के लोगों के लिए एक नई पहल कर सकें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।