गेहूं में पीलेपन और बौनेपन की समस्या का उपचार      Publish Date : 29/12/2024

            गेहूं में पीलेपन और बौनेपन की समस्या का उपचार

                                                                                                                                                        प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

गेहूं की फसल में इसकी पत्तियों का पीला पड़ जाना एक बहुत ही आम समस्या है, जो कई बार किसानों के लिए चिंता विषय भी बन जाती है। इस समस्या से गेहूं की फसल की बढ़वार, फुटाव और उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है। हालांकि इसके पीछे अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे पोषक तत्वों की कमी, पानी की अधिक मात्रा या फिर मृदा की संरचना में गड़बड़ होना इत्यादि। आज के हमारे इस लेख में हमारे कृषि एक्सपर्ट डॉ0 आर. एस. सेंगर गेहूं की इस इस समस्या बात करेंगे और इसके समाधान भी किसान भाईयों को बताएंगे-

गेहूं के बौनेपन का प्रभावी उपचार

                                                  

जब गेहूं के पौधें आकार में छोटे रह जाते है, उनकी बढ़त नही होती और फुटाव भी कम होता है, तो इस समस्या का मुख्य कारण पौधों की जड़ों का विकास ठीक तरीके से नही होना होता है। ऐसा अक्सर अधिक गीली जमीन, जमीन में वायु का संचार ठीक से नही हो पाना या डीएपी की कमी होने के चलते पौधे मिट्टी से सही मात्रा में पोषक तत्वों का नही ले पाना होता है।

इस समस्या के समाधान के लिए सबसे पहले तो फॉस्फोरस एवं अन्य पोषक तत्वों की कमी को पूरा करना चाहिए। पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए एन.पी.के. 12:61:00 (एक किलो प्रति कि.ग्रा.) अथवा 19:19:19 (दो किलो प्रति कि.ग्रा.) या नैनो डीएपी (250 एम प्रति कि.ग्रा.) का स्प्रे करना उचित रहता है।

इसके साथ ही, हृयूमिक एसिड 100-120 लीटर पानी में घोल बनाकर इस घोल का छिड़काव करने से भी लाभ होता है। इसके अतिरिक्त, सल्फर (80-90 प्रतिशत) तीन कि.ग्रा. यूरिया के साथ मिलाकर सिंचाई से पहले खेत में डालना चाहिए, ऐसा करने से खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और पौधें मिट्टी से सही मात्रा में पोषक तत्व ग्रहण कर पाते हैं।

गेहूं में कल्लों का कम निकलना

                                                        

यह एक अलग स्थिति होती है, जिसमें फसल की बढ़वार तो ठीक रहती है, परन्तु गेहूं में फुटाव कम होता है और इसकी पत्तियां पीली पड़ने लगती है। गेहूं की यह समस्या पोषक तत्वों की कमी, पानी की अधिकता या खेत में मौजूद पराली के कारण होती है। इस स्थिति में पौधों को मजबूती प्रदान करने और फुटाव को बढ़ाने के लिए पौधों को पांच तत्व प्रदान करने की आवश्यकता होती है।

इस समस्या के समाधान के लिए पौधों को जिंक तत्व प्रदान किया जाना चाहिए, यदि चिलेटेड जिंक उपलब्ध हो तो इसकी 100-125 ग्राम प्रति कि.ग्रा. की दर से स्प्रे करना चाहिए। यदि यह उपलब्ध नही है तो जिंक सल्फेट (33 प्रतिशत) 500 ग्राम प्रति कि.ग्रा. की दर से उपयोग करना चाहिए। इसके बाद फेरस (लौह तत्व) के लिए इसकी चिलेटेड फार्म 100-125 ग्राम या फेरस सल्फेट (19 प्रतिशत) प्रति कि.ग्रा. पानी की दर से घोल बनाकर स्प्रे करें। इसके अतिरिक्त मैग्नीशियम सल्फेट 1 कि.ग्रा. एवं मैग्नीज सल्फेट 500 ग्राम का स्प्रे करना भी आसवश्यक है।

इसके साथ ही, 1 कि.ग्रा. पनी की दर से छिड़काव करें और इन दोनों घोल को ही अलग-अलग बनाकर छिड़काव करें। ऐसा करने से गेहूं के पौधों का फुटाव बढ़ेगा, पौधों में हरियाली आकर पौधों का पीलापन भी दूर होगा। 

यूरिया का छिड़काव कब करें

                                                   

यह आवश्यक है कि यूरिया का अन्तिम छिड़काव फसल के 45 से 50 दिनों बाद तक कर देना चाहिए, क्योंकि 55 दिनों की फसल हो जाने के बाद उसमें गाठें बनना शुरू हो जाती है। इस समय में फसल की लम्बाई बढ़नी शुरू हो जाती है और फसल को गिरने से बचाने के लिए हॉर्मोंस एवं पोषक तत्वों का उचित संतुलन बहुत आवश्यक होता है।

अतः किसान भाईयों, गेहूं की फसल में पीलेपन की समस्या का समाधान यदि उचित समय पर कर लिया जाए तो फसल को नुकसान से बचाना सम्भव होता है। फॉस्फोरस और सल्फर सहित अन्य पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग पौधों की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है, पौधों की बढ़वार एवं उनके फुटाव में वृद्वि करता है और गेहूं की फसल को घना और हरा-भरा बनाता है।

ध्यान रहे कि पोषक तत्वों का उचित संतुलन और सिंचाई का उचित प्रबन्धन गेहूं की फसल की सेहत और पैदावार दोनों के लिए ही लाभदायक रहता है।   

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।