गेहूं की खेती से कैसे लें अधिक उत्पादन      Publish Date : 20/12/2024

                      गेहूं की खेती से कैसे लें अधिक उत्पादन

                                                                                                                                                          प्रोफेसर आर एस सेंगर

                                       

आजकल पूरे विश्व में गेहूं की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और मांग अधिक होने के कारण इसका बाजार भाव भी अच्छा मिल रहा है, इसलिए किसान अब गेहूं की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं और वह गेहूं की खेती को लाभकारी भी समझ रहे हैं, क्योंकि इस फसल के उत्पाद को आसानी से बेचा जा सकता है और इसका भंडारण भी किया जा सकता है। इसलिए किसान इस बार गेहूं की खेती बड़े पैमाने करने के लिए अपने खेतों को तैयार कर रहे हैं।

खेत की तैयारी कैसे करें

                               

अधिकतर धान की कटाई के बाद गेहूं की बुवाई की जाती है, जिसके चलते अक्सर गेहूं की बुवाई में देर हो जाया करती है। अतः किसानों को पहले से यह निश्चित कर लेना होगा कि खरीफ में धान की कौन सी प्रजाति का चयन करें और रबी के मौसम में उसके बाद गेहूं की कौन सी प्रजाति की बुआई करें।

गेहूं की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए धान की रोपाई समय से करना बहुत आवश्यक है, जिससे गेहूं के लिए खेत अक्टूबर माह में खाली हो जाए। इसके अन्तर्गत दूसरी बात यह ध्यान देने योग्य है कि धान के खेत में पडलिंग/लेवा के कारण भूमि कठोर हो जाती है।

अतः भारी भूमि की, पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करने के बाद डिस्क हैरो से दो बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बनाने के बाद ही गेहूं की बुवाई करना उचित रहता है। डिस्क हैरो का प्रयोग करने से धान के ठूँठ छोटे-छोटे टुकड़ों में कट जाते हैं और इन्हें शीघ्र सड़ाने हेतु 15 से 20 प्रोग्राम नाइट्रोजन यूरिया के रूप में प्रति हेक्टेयर की दर से खेत को तैयार करते समय पहली जुताई के साथ अवश्य दी जानी चाहिए। ट्रैक्टर चलित रोटावेटर के द्वारा एक ही जुताई में खेत पूर्ण रूप से तैयार हो जाता है।

गेहूं की कौन सी अच्छी प्रजातियां है

असंचित दशा में प्रजाति

मगहर (के-8027), इन्द्रा (के-8962), गोमती (के-9465) और (के-9644), मंदाकिनी (के-9351) तथा एचडीआर-77 इत्यादि अच्छी किस्में हैं।

सिंचित दशा और समय से बुवाई के लिए चयनित प्रजातियां

                                            

देव (के-9107) एच.डी.-1731 (राजलक्ष्मी), नरेंद्र गेहूं-1012, उजियार के-9006, एच.यू.डब्ल्यू.-468, डी.एल.-784-3 (वैशाली), यू.पी.-2382, एच.पी.-1761, एच.डी.-2888, डी.बी.डब्ल्यू.-17, एच.यू.डब्ल्यू.-510, पी.बी.डब्ल्यू.-443, पी.बी.डब्ल्यू.-343, एच.डी.-2824, सीवी.डब्ल्यू.-38 और डी.बी.डब्ल्यू-39 आदि प्रगतिशील प्रजातियां हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।