औषधीय पौधा अपराजिता      Publish Date : 18/12/2024

                               औषधीय पौधा अपराजिता

                                                                                                                                        प्रोफसर आर. एस. सेंगर एवं डा0 वर्षा रानी

अपराजिता एक बहुत ही आम और बारहमासी औषधीय बेल होती है, जो कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों फलती-फूलती है। यह एक आयुर्वेदिक जड़-बूटी है जिसका वैज्ञानिक नाम क्लिटोरिया टर्नेट (Clitoria ternatea) है। इस बेल को हिन्दी में कॉयला (Koyala) अंगेजी में बटरफ्लाई पिया (Butterfly) और संस्कृत में गिरिकर्निका (Girkarnika) के नाम से जाना जाता है। प्राचीन काल मे लोग इस बेल को अपने घरों में लगाते थे, क्योंकि उनका मानना था कि इसे लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नही होता है। औषधीय गुणो से भरपूर यह बेल आम घरेलू पौधों की तरह से ही घरों में उगाई जाती है। इसके पौधों को बहुत कम देखभाल की आवश्यकता होती है। इस बेल का प्रत्येक भाग औषधीय उपयोग में लाया जाता है, तो इस पौधे की जड़ को विशेषरूप से सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा) के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि अपराजिता के लाभ एक विषहारी पौधे के रूप में भी जाने जाते हैं।

                                                                    

अपराजिता की बेल अन्य पौधों के सहारे से आगे बढ़ती है। इसलिए यह घरों की साज और सजावट के लिए उपयोग किए जाने वाले पौधों में भी एक विशेष स्थान रखती है। इस बेल के पत्ते हरे और चमकीले होते हैं तो इसके फूल नीले रंग के अथवा सफेद रंग के होते हैं। अपराजिता के पौधे के समस्त भागों को बाहरी एवं आंतरिक स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार हेतु औषधी के रूप में किया जाता है।

अपराजिता के पोषक तत्व

ब्लू बटरफ्लाई में विभिन्न पोषक तत्व अच्छी मात्रा में विद्यमान रहते हैं, जो इसे हमारे लिए एक उपयोगी बेल बनाते हैं। अपराजिता के फूलों में कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, जस्ता, आयरन, मैग्नीज और सोडियम आदि तत्वों से समृद्व होते हैं। इस बेल में बहुत से विटामिन और एंटीऑक्डेंट्स (Anti-oxidants) होते हैं जो मानव को बहुत से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।

अपराजिता से प्राप्त होने वाले लाभ

अपराजिता का प्रयोग आमतौर पर आयुर्वेद के पंचकर्म में किया जाता है। पंचकर्म के उपचार शरीर के दोषों को दूर करने में सहायता करते हैं। इस पौधे के लाभ मानव शरीर को आंतरिक एवं बाहरी तौर पर डिटॉक्सीफिकेशन (Ditoxification) करने के लिए काफी लाभप्रद होते हैं। इसके साथ ही इसका प्रयोग मानव की तंत्रिका तंत्र के लिए भी बहुत लाभदायक होता है, जिसके चलते वात विकारों का उपचार करने में सहायता प्राप्त होती है। अपराजिता से प्राप्त होने वाले लाभ इस प्रकार से हो सकते हैं-

आँखो की रोशनी के लिए

अपराजिता में प्रोथोस्यनिडिन नामक एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में उपलब्ध होता है? जो कि हमारी आँख की कोशकाओं में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, जो ग्लूकोमा, धुंधली दृष्टि, रेटिन की क्षति और आँखों की थकान आदि को दूर करने में अहम होता है। अतः यदि किसी व्यक्ति की आँखों में कोई समस्या है तो वह बेहिचक अपराजिता का उपयोग कर सकता है।

पाचन तंत्र के लिए

अपराजिता की बेल के पत्तों का उपयोग पित्त को शुद्व करने के लिए किया जाता है, जो कि अपराजिता के लाभों को और अधिक बढ़ा देता है। पाचन तंत्र सम्बन्धित होने वाले पेट के दर्द का उपचार भी इस बेल के पत्तों से किया जा सकता है।

उल्टी की समस्या के लिए

अपराजिता के पौधे के अर्क का उपयोग उबकाई की समस्या को समाप्त करने के लिए किया जाता है। अपराजिता में उपलब्ध रोगाणुरोधी गुण विशेषरूप से पेचिस जैसी समस्याओं के उपचार हेतु बहुत कारगर होते हैं। इसकी बेल में एक हल्का सा रेचक (पेट को साफ करने वाला) गुण भी होता है, जो कब्ज से राहत प्रदान करने का काम करता है। गैस्ट्रिक, दस्त और गुदा द्वार से होने वाले रक्त स्राव का उपचार भी अपराजिता की बेल से किया जाता रहा है।

अपराजिता के फूल महिलाओं के उपयोग के लिए

प्रत्येक महिला को अपराजिता के पौधे से प्राप्त होने वाले लाभों के बारे में परिचित होना चाहिए, क्योंकि यह बेल महिलाओं के लिए किसी दवाई की तरह से काम करती है, जो कि महिलाओं को अनियिमित पीरियड्स से जुड़े मुद्दों में राहत प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त अपराजिता के फूल महिलाओं में प्रजनन (Reproductive) सम्बन्धी समस्याओं को दूर करने में भी सहायक होते हैं।

अपराजिता के फूलों का मधुमेह में लाभ

मधुमेह से पीड़ित मरीजों के लिए अपराजिता से अपराजिता के लाभ आश्चर्यजनक होते हैं, क्योंकि यह यह मरीज की रक्त शर्करा के स्तर को नियमित करने में सहायता प्रदान करते हैं। मधुमेह के मरीजों को भोजन करने के बाद अपराजिता के फूलों की चाय का सेवन करना लाभप्रद रहता है। यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के साथ ही इसे स्थिर करने में भी सहायता करती है।

नर्वस सिस्टम के लिए

हमारे शरीर में उत्तम चयापचय के लिए हमारा तंत्रिका तंत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपराजिता में कुछ ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं, जो तंत्रिका तंत्र के कार्य को बेहतर बनाने का कार्य करते हैं। इसे दूसरे शब्दों में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है कि हमारे मस्तिष्क को स्वस्थ और दिमाग के तेज करने में भी अपराजिता बहुत लाभ प्रदान करती है।

बाल गिरने के लिए

अति प्राचीन काल से ही जड़ी-बूटी का उपयोग पुरूषों में गंजेपन एवं बालों के गिरने की समस्या के उपचार के लिए किया जाता रहा है। अपराजिता के एक प्रमुख घटक एन्थोसानिन (Anthocynin) सिर के रक्त-प्रवाह में वृद्वि करता है और यह बालों के लिए पोषण उपलब्ध कराने के साथ ही साथ उन्हें गिरने से भी रोकता है।

अवसाद को कम करने के लिए

अपराजिता में उपलब्ध क्लिटोरिया टर्नेट में चिंता एवं अवसाद को कम करने वाले गुण उपलब्ध होते हैं। मानव मस्तिष्क को स्वस्थ्य बनाए रखने एवं तनाव को कम करने के लिए अपराजिता का उपययोग किया जाता है।

अपराजिता हृदय के लिए

दिल के स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने के लिए अपराजिता का उपयोग बहुधा किया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार, अपराजिता, ट्राइग्लिसराड्स (Triglisrides) एवं कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी सहायता प्रदान करती है। अपराजिता की जड़ एवं बीज दोनों में ही ट्राइग्लिसराड्स को कम करने की क्षमता उपलब्ध होती है और अपराजिता की जड़ को कोलस्ट्रॉल को कम करने के लिए उत्तरदायी माना जाता है। इन समस्त गुणों के चलते अपराजिता कॉर्डियोवेस्कुलर स्वास्थ्य पर भी काफी सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

बुखार को कम करने के लिए

शरीर के बढ़े हुए तापमान को कम करने के लिए अपराजिता का प्रयोग करना बहुत अच्छे परिणाम देता है। यह त्वचा के नीचे वाली रक्त वाहिकाओं का विकास कर बुखार को कम करने में सहायती करती है।

दमा/अस्थमा के लिए

अभी तक किए गये विभिन्न अध्ययनों की माने तो अपराजिता दमा के रोग के उपचार के लिए भी बहुत अधिक लाभकारी सिद्व होती है। अपराजिता में इथेनॉलिक (Ethonolic) गुण होते हैं जो कि दमा के रोगी पर एंटी अस्थमेटिक (Anti-Asthametic) प्रभाव डालते हैं। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति में अस्थमा के लक्षण दिखाई देते हैं तो वह अपराजिता का प्रयोग कर सकता है।

अपराजिता के अन्य लाभ

अपराजिता में विद्यमान साइक्लोटाइड (Cyclotides) कोशिका की झिल्ली को टूटने से रोकता है और यह कैंसर के जीवाणुओं को नष्ट करने में भी सहायता प्रदान करता है।

एंटी-एचआईवी प्रभाव के लिए अपराजिता

विभिन्न अध्ययनों के दौरान सामने आया है कि अपराजिता में विद्यमान साइक्लोटाइड एक ऐसा गुण है जो बहुत ही कम जड़ी-बूटियों में पाया जाता है। अपराजिता का यह गुण उसे एचआईवी यानी एड्स के प्रति विरोधी कार्य करने के लिए जाना जाता है। अतः जिन लोगों को एचआईवी की सम्भावना होती है अपराजिता उनके लिए बहुत ही लाभकारी बूटी के रूप में जानी जाती है।

अपराजिता की एंटी-इन्फ्लामेंटरी प्रकृति

अपराजिता के गहरे नीले फूलों में फ्लेवोनॉयड्स (Flavonoids) होते हैं, जो लगभग समस्त सब्जियों में ही पाए जाते हैं, यह शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं। अतः इनमें एंटी-इन्फ्लामेंट्री और प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) से सम्बन्धित लाभ होते हैं।

अपराजिता गर्भावस्था के लिए

                                                             

अपराजिता का नीले फूलों वाला औषधीय पौधा अपने आप में बहुत से चमत्कारी प्रभावों को समेटे हुए है। अपराजिता के फूल किसी मादा के जननांगों की तरह ही दिखाई देते हैं और इन फूलों को गर्भधारण करने में मददगार माना जाता है। इसे कैमोमाइल और ग्रीन टी की भाँति ही उपयोग किया जाता है, जो गर्भावस्था के दौरान एक स्वस्थ और उत्तम विकल्प प्रदान करता है।  

   

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।