पराली को जैविक खाद में बदलने वाला कैप्सूल वेस्ट डी कंपोजर Publish Date : 18/12/2024
पराली को जैविक खाद में बदलने वाला कैप्सूल वेस्ट डी कंपोजर
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
‘‘किसी ब्रह्मा के अस्त्र से कम नहीं है यह कैप्सूल, पराली को शीघ्र ही बदल देता है जैविक खाद में और इसका उपयोग करने से फसल का उत्पादन भी बढ़ता है।’’
इस समय में खेती करने वाले किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या पराली का निस्तारण है। किसानो की फसल खेत से निकल जाने के बाद जो पराली बच जाती है उसे खेत से हटाने के लिए किसान बहुत जल्दबाजी करते हैं, क्योंकि इसके बाद उनको अगली फसल लेनी होती है जिसके कारण वह जल्दबाजी में इस पराली को जला करके खत्म कर इससे छुटकारा पा लेते हैं।
पराली को जलाने की वजह से खेत की उर्वरा शक्ति लगातार घटती जाती जाती है। क्योंकि इसकी वजह से मृदा की ऊपरी परत जलकर नष्ट हो जाती है और इसके साथ ही मृदा में उपस्थित सूक्ष्मजीवों की भी मृत्यु हो जाती है इसके कारण ही उर्वरता भूमि की उर्वरता भी घट जाती है।
ऐसे में भूमि के लिए यह पराली को जलाना बहुत ही हानिकारक साबित होता है। अब ऐसे में पर्यावरण पर बुरा असर भी ना पड़े और इस पराली का भी सही तरीके से निस्तारण हो जाए। ऐसा ही एक आसान तरीका हमारे विशेषज्ञ किसान भाईयों को बताने जा रहे हैं।
क्या है यह वेस्ट डी कंपोजर
वेस्ट डी कंपोजर एक जैविक उत्पाद होता है जो की पराली को जल्दी से सड़ा कर इसको जैविक खाद में बदल देता है। अब आपको बता दे यह एक कैप्सूल फॉर्म में आता है और इसमें सूक्ष्मजीव उपलब्ध होते हैं, जो कि पराली को गलाने में बहुत सहायक माने जाते हैं। खेत में इसका उपयोग कर पराली को शीघ्रता के साथ जैविक खाद में बदला जा सकता है, जो की खेत के साथ ही खेत की मृदा के लिए भी बहुत अधिक लाभदायक सिद्व होता है। इसका प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और इसके साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी बहुत अच्छा साबित होता है।
उपयोग करने का तरीका
जब आपके खेत में पराली के कुछ अवशेष बचे रह जाते हैं। तब आपको सुपर सीडर से अच्छे से खेत की जुताई कर ते समय इसको अच्छी तरह से मिट्टी में मिलाते है। इसके बाद में पराली धीरे-धीरे सड़ जाती है और यह एक जैविक खाद के रूप में बदल जाती है। इसके साथ ही इससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है और इससे खेत में अवशेषों का प्रबंधन भी अच्छी तरह से हो जाता है।
अगर आप दूसरे तरीके से इस पराली को जैविक खाद में बदलना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले पराली के अवशेषों को खेत में एक जगह पर इकट्ठा कर लेना चाहिए और इस पर वेस्ट डी कंपोजर का घोल 5 से 6 बार अच्छे से स्प्रे कर देना चाहिए। स्प्रे करने के बाद एक सप्ताह में पूरी पराली जैविक खाद में बदल जाती है।
वेस्ट डी कंपोजर को तैयार करने का बहुत ही आसान होता है, इसके लिए आपको सबसे पहले 200 लीटर पानी में 3 किलो गुड़ और 500 ग्राम बेसन के साथ दो कैप्सूल वेस्ट डी कंपोजर को डाल कर मिलाना होता है और फिर अच्छे तरीके से किसी लकड़ी की सहायता से इसे घोल को चलाना होता है। इसके बाद में आपको इस मिश्रण को चार से पांच दिनों तक ऐसे ही छोड़ देना होता है जिससे कि गुड़ और बेसन सूक्ष्मजीवों के साथ मिलकर न्यूट्रिएंट कलर मीडियम का कार्य कर सके।
इसके बाद में आपको इस घोल को पराली पर तीन से चार बार अच्छे से स्प्रे कर देना है और इसके बाद यह एक हफ्ते के अंदर पराली जैविक खाद के रूप में बदलकर तैयार हो जाती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।