गुणों की खान है शरीफा      Publish Date : 11/12/2024

                            गुणों की खान है शरीफा

                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

आयुर्वेद की दृष्टि से औषधीय गुणों से भरपूर फल शरीफा अत्यन्त ही लाभकारी होता है। इसे अनेक नामों से पुकारा जाता है। संस्कृत में इसे वैदेही-वल्लभ और कृष्णबीज, हिंदी में शरीफा या सीताफल, बंगला में अता, लूना, मेहा, मराठी, गुजराती में सीताफल, फारसी में शरीफा व अंग्रेजी में शुगर एपल के नाम से जाना जाता है।

                                                            

शरीफा एक लोकप्रिय फल है जिसे घरों में भी लगाया जा सकता है। इसका स्वादिष्ट व मीठा फल चाव से खाया जाता है। इसका पेड़ ज्यादा ऊंचा नहीं होता है, इसकी शाखाएं पत्तों से लदी रहती है। इन पत्तियों के बीच में ही फल अंगूर के गुच्छों की की तरह लटकते हुए दिखाई देते है। शरीफे के फल की बाहरी सतह पर छोटी-छोटी गांठे सी होती हैं, जिन्हें इस फल की आंखें भी कहा जाता है। जब फल पक जाता है तो आंखें खुल जाती है और ये पीले रंग की हो जाती है। इस फल का गूदा बहुत मीठा व स्वादिष्टं होता है। इसमें नींबू जैसे अनेक बीज होते हैं।

औषधीय गुण होने के कारण शरीफा आयुर्वेद में तृप्तिजनक, रक्तवर्धक, शोतल, हृदय के लिए हितकारी, वाल वर्धक, मांस वर्थक तथा दाह, रक्त पित्त और वात को नष्ट करने वाला फल माना जाता है। शरीफा पौष्टिक, रक्त को बढ़ाने वाला, मांसपेशियों को दृढ़ करने वाला, व वमन को शांत करने में भी सहायक होता है। इसका सेवन करने से गठान, कृमि, गुदा से कांच निकलना, प्रसूति कष्ट, नारू, फोड़े, ज्वर तथा मिनी की चिकित्सा में भी लाभप्रद होता हैं। महिलाओं की अनियमित माहवारी में भी यह लाभप्रद होता है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में शरीफे के पेड़ की जड़ विरेचक मानी जाती है। इसका फल मीठा रक्त वर्धक, उत्तेजक, व कफ निस्सारक होता है।

शरीफे का बीज गर्भधातक भी माना जाता है। शरीफे के पेड की जड़ें तीव्र घातक भी मानी जाती है। पेड़ की छाल संकोचक होने से बहुउपयोगी होती है। इसके पत्तों से पुलटिआ बनाकर फोड़े बांधकर उसे जल्दी पकाने के काम आती है। शरीफे के बीजों का तेल जंतुनाशक होता है। इसकी लकड़ी का उपयोग खेती के औजार व घरेलू कार्यों में होता है। इसके पत्तों और तने में एनोनाइन नामक कड़वा पदार्थ होता है जिसके कारण पशु भी इसे खाना पसंद नही करते है।

                                                         

शरीफे का पेड़, यूं तो हर तरह की मिट्टी में लगाया जा सकता है, किंतु मध्यम काली चिकनी व रेतीली  मिट्टी में आसानी से लगाया जा सकता है। जहां आर्द्रता अधिक पाई जाती है, वहां यह तेजी से पनपता है। वर्षा ऋतु में इसे आसानी से बोया जा सकता है। शरीफे के पेड़ में फल जून-जुलाई में लगने शुरू हो जाते हैं जो सितंबर-अक्टूबर तक पक जाते हैं। शरीफा गुणों की खान भी कहलाता है। शरीफे के सेवन करने से स्वास्थ्य को लाभ ही मिलता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।