तुलसी का पौधा      Publish Date : 08/12/2024

                                      तुलसी का पौधा

                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

सर्दियाँ शुरू होते ही आपकी तुलसी के आस पास बहुत सारे पौधे निकल गए होंगे, या किसी से मिल जाएंगे क्योंकि इन्ही दिनों, तुलसी की जर्मीनेशन होती है, अत्याधिक तो अपने घर, बगिया में लगाइए तुलसी जी, तुलसी का पौधा लगाने के लिए, इन बातों का ध्यान रखें-

                                                                  

तुलसी जी का पौधा लगाने के लिए इसके गमले का आकार मध्यम या बड़ा होना चाहिए।

गमले की मिट्टी में 50 प्रतिशत कोको-पीट और 50 प्रतिशत वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद-कामधेनु) मिलाएं और गमले इस मिश्रण से भर दें।

अगर आप तुलसी के पौधे को एक गमले से दूसरे गमले में लगा रहे हैं, तो पहले गमले में सूखी मिट्टी डालें, फिर तुलसी का पौधा जड़ से लगाएं, और फिर खाद वाली मिट्टी डालें।

गमले के लिए मिट्टी के गमले का ही चुनाव करें, जिससे गमले में पानी एकत्र न हो। सीमेंट या प्लास्टिक के गमले को न चुनें, क्योंकि इन गमलों में तुलसी के पौधे को आवश्यक पोषक तत्व नहीं प्राप्त हो पाते  हैं और वह जल्दी मुरझा जाता है।

तुलसी का पौधा घर की उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाएं। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। तुलसी का पौधा कभी भी साउथ या साउथ वेस्ट दिशा में नही रखना चाहिए।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरुवार और शुक्रवार का दिन तुलसी का पौधा लगाने के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

यदि चैत्र माह के गुरुवार या शुक्रवार को तुलसी का पौधा लगाया जाए, तो यह और भी अधिक शुभ माना जाता है। अगर आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, तो ऐसे में शनिवार के दिन तुलसी जी का पौधा अपने घर में लगाएं।

                                                       

शनिवार के दिन अभिजीत मुहूर्त (सुबह लगभग 11 बजे से 12 बजे के आस-पास) में तुलसी का पौधा लगाना सबसे अधिक लाभकारी माना जाता है।

तुलसी के पौधे में प्रति सप्ताह की दर से Humicare, Nzyme और Aminoz का छिड़काव करें जिससे कि तुलसी के पौधे की अच्छी बढ़वार के लिए उसे आवश्यक पोषक तत्व ऑर्गेनिक स्वरूप में पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होते रहें। तुलसी हरी-भरी रहे इसके लिए उसमें हल्दी मिला हुआ पानी डालें।

अगर आप चाहते हैं कि आपका तुलसी का पौधा साल के 12 महीनों हरा-भरा बना रहे, तो इसके लिए हमेशा मिट्टी के गमलों का ही चुनाव करें, क्योंकि मिट्टी के गमले में पानी एकत्र नहीं होता है।

ध्यान रखें कि तुलसी के पौधे को धूप व हवा लगातार मिलती रहती है। वहीं अगर आपने तुलसी के पौधे को लगाने के लिए सीमेंट का गमला चुना है, तो ऐसे में पूरे चांसेज होते हैं तुलसी के प्लांट के सूखने के।

इसके अलावा प्लास्टिक के गमले भी न ही चुनें तो बेहतर रहेगा, क्योंकि प्लास्टिक के गमले से भी पौधे को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिससे तुलसी का पौधा जल्दी ही मुरझा जाता है।

पानी का रखें विशेष ध्यान

गमले की मिट्टी अगर थोड़ी सी गीली है, तो उसमें जबरदस्ती का पानी न डालें। गर्मियों की अपेक्षा सर्दियों में पौधों को कम मात्रा में ही पानी दें।

इसके साथ कुछ बातों का रखें विशेष ध्यान -

- प्रत्येक दो से तीन महीने में एक बार तुलसी के पौधे की ट्रीमिंग आवश्यक रूप से करते रहें।

- तुलसी के पौधों से मंजर काट कर अलग करते रहें, ऐसा करने से तुलसी के पौधे अधिक घने होंगे।

- तुलसी के पौधे पर लगी मंजरी को तुलसी माता के सिर का भार माना जाता है। ऐसे में, मंजरी को तोड़कर पौधों सं हटा देना ही शुभ होता है।

- यदि किसी कारण से गमला बदलें, तो तुलसी के पौधे की जड़ को सावधानी से दूसरे गमले में रिप्लेस करें।

- यदि आपकी तुलसी के पत्तों में छेद नजर आ रहे हों, तो इसका मतलब उसमें कीड़े लग रहे है, तो इसके उपचार के लिए Aza-D नीम ऑयल पानी में मिलाकर तुलसी के पौधों पर स्प्रे करें।

                                                              

         ‘‘तुलसी को वृक्ष ना जानिये।

        गाय को ना जानिये ढोर।

        गुरू को मनुज ना जानिये।

        ये तीनों हैं नन्दकिशोर।

अर्थात-

‘‘तुलसी को कभी भी पेड़ ना समझें, गाय को पशु ना समझे और गुरू को कभी साधारण मनुष्य नही समझना चाहिए, क्योंकि ये तीनों ही साक्षात भगवान रूप होते हैं।’’

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।