गेंहूँ या अनाज भण्ड़ारण के दौरान सल्फास उसमें रखना, कैंसर को दावत      Publish Date : 02/12/2024

   गेंहूँ या अनाज भण्ड़ारण के दौरान सल्फास उसमें रखना, कैंसर को दावत

                                                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

वर्तमान में अनाज भण्ड़ारण करने के दौरान अनाज में एल्मोनियम सल्फेट, जिसे आम भषा में सल्फास के नाम से जाना जाता है, का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। इस प्रकार के रसायनों से मानव की रोगों से लड़ने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है और प्रभावित व्यक्ति जुकाम के जैसी छोटी परेशानी से लेकर कैंसर के जैसी असाध्य रोगों की जद में आसानी से आने लगता है। प्रकृति के द्वारा उपहार के रूप में हमें दी गई सौगात हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है, इसके चलते हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बेहद क्षीण को जाती है।

                                                         

गेंहूँ आदि अनाज के भण्ड़ारण करने के आर्गेनिक अथवा हमारे पूर्वजों के द्वारा खोजे गए देशी तरीके बिना किसी व्यय के उपलब्ध हैं, जिनके सम्बन्ध में हम सभी लोागें को जानकारी आवश्यक रूप से होनी ही चाहिए। इसके लिए नीम के पत्तों से लेकर मिर्च और हींग आदि का प्रयोग अनाज को कीटों से बचाने के लिए सटीक देशी तरीके है, परन्तु आज की दौड़ती-भागती दुनिया मानव अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करने से भी बाज नही आ रहा है। इसमंें सबसे अधिक चौंकाने वाली बात तो यह है कि आर्गेनिक विधि से उगाई गई फसलों के उत्पाद के रखरखाव के लिए भी रासायनिक तरीके अपनाकर इंसान आर्गेनिक उत्पादों को जहरीला बनाकर इंसान अपनी और आम इंसान की सेहत से भी खिलवाड़ कर रहा है।

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर बताते हैं कि मलमल के कपड़ें की तीन-चार तह के बीच हींग को रखकर गेंहूँ में रख देते हैं तो गेंहूँ में लगने वाले कीड़े हींग की सुगंध के कारण अनाज के आसपास भी नही फटकते, और इससे किसी प्रकार की कोई हानि भी नही होती है।

                                                                   

इसी प्रकार से यदि आपकों बीज को सुरक्षित रखना है तो आप बीज को सरसों अथवा अन्य किसी कड़वे तेल में राख को मलकर बीज के साथ रख देते हैं तो सालोंसाल बीज सुरक्षित रहता है, यह प्रयोग किसी लॉकर की भांति कार्य करता है। अनाज को भण्ड़ारित करने की परंपरा हमारे देश में प्राचीन काल से प्राकृतिक एवं वैज्ञानिक विधि का प्रयोग होता रहा है, जिससे कि हमारा अनाज सुरक्षित रहने के साथ-साथ पवित्र भी बना रहें।

हमारे देश में पूर्व काल में दु-छत्ती अथवा बुखारी को गोबर और तालाब की मिट्टी से लीप और पोतकर रखा जाता था और इससे कीट-पतंगें अनाज के आसपास भी हनी आते थे। अनाज में नीम की पत्तियाँ और सूखा हुआ बालू रेत मिलाकर रख दिया जाता था। इस प्रयोग से नीम की पत्तियों के कारण कीड़े नही लगते थे तो सूखा हुआ बालू रेत अनाज की अतिरिक्त नमी को सोख लिया करता था तथा अनाज लम्बे समय तक सुरक्षित औश्र पवित्र बना रहता था।

आजकल लोग लोहे की टंकियों को अनाज भण्ड़ारण के लिए यूज करते हैं अतः इसके लिए लोहे की टंकी को तीन से चार दिनों तक धूप में रखें और इनको कपूर अथवा नीम के तेल की सहायता से अंदर से साफ कर लें, जिससे कि टंकी में मौजूद कीटों के अण्ड़े अथवा लार्वा आदि नष्ट हो जाए। इसके बाद बिलकुल सूखा हुआ अनाज इसमें डाल दें और इसके साथ ही नीम की सूखी हरी पत्तियों के साथ माचिस के बॉक्स भी डाल सकते हैं।

                                                      

इस प्रकार 25 मन अनाज को सुरक्षित रखने के लिए लगभग 250 ग्राम शुद्व हल्दी का पाउडर भी इसमें डाल दें। तीन परत सूखे बालू के रेत की बना दे ंतो यह अनाज की अतिरिक्त नमी का अवशोषण कर लेता है और यदि संभव हो तो प्याल, लहसुन और तुलसी के पत्तों को भी इसमें आप डाल सकते हैं। किसी सूती कपड़ें में 3 टिकिया कपूर की अलग-अलग लपेट कर इन परतों के बीच में रख दे ंतो इससे आपका अनाज लंबे समय तक सुरक्षित एवं उत्तम अवस्था में बना रहेगा।

सल्फास की गालियाँ अनाज में रखने से यह दूषित हो जाता है। जहरीले एल्युमीनियम सल्फाइड और फॉस्फाइड रसानों से कैंसर होता है। अतः उत्तम स्वास्थ्य के लिए उत्तम आहार विहार अनिवार्य है।  ऊपर दी गई विधि को अपनाकर अपने जीवन को सुखमय बनाएं चूँकि यह विधि प्राकृतिक होने के साथ सरल है अतः सभी लोग इसे आसानी से अपना सकते हैं।

टंकी साफ करने के लिए कपूर का तेल

इसके लिए आप अपनी टंकी को कपूर के तेल से साफ कर सकते हैं। कपूर का तेल बनाने की विधि स प्रकार से है- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो टिकिया कपूर की मिलाकर इस तेल को धीमी आंच पर गर्म करें तथा गर्म करने के दौरान यह ध्यान रखें कि कपूर की वाष्प आग नही पकड़ने पाए और कपूर इस तेल में अच्छी तरह से घुल जाए। इस प्रकार सरसों और कपूर का तेल तैयार कर लेने के बाद आप अपनी टंकी को बाहर तथा अंदर से अच्छी तरह से साफ कर सकते हैं। इसका प्रयोग करने से सुरसी एवं अन्य कीट और उनके अंड़े पूरी तरह से साफ हो जाएंगे।

इसके साथ ही आप नीम का तेल भी घर पर ही तैयार कर सकते हैं। इस तेल को तैयार करने के लिए 250 ग्राम सरसों का तेल में लगभग 15 से 20 ग्राम ही नीम की पत्तियाँ डालकर तब तक गर्म करें जब तक कि यह पत्तियात्र रंग बदलकर काली न पड़ जाएं। पत्तियों के काला पड़ जाने के बाद ठण्ड़ा करके किसी साफ वर्तन में इन्हें छान लें।

उपरोक्त विधि से बनाए गए तेल के माध्यम से आप अपनी अनाज भंड़ारण करने की टंकियों को साफ कर सकते हैं और इस तेल का प्रयोग आप मच्छरों को भगाने के लिए भी कर सकते हैं। टंकी में उपयोग किए जा रहे बालू रेत में नीम की पत्ती, हल्दी का पाउडर और कूपर की टिकिया आदि में से आप किन्ही दो का प्रयोग कर अपने अनाज का भंड़ारण शुद्व एवं सात्विक तरीके से कर सकते हैं। 

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।