आवारा जानवरों की समस्या Publish Date : 24/11/2024
आवारा जानवरों की समस्या
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
आजकल किसानों के लिए आवारा जानवर एक बहुत बड़ी समस्या हैं। आवारा जानवर किसानों की महीनों की मेहनत पर एक रात में पानी फेर देते हैं और पूरी फसल को चट कर उसे रौंदकर नष्ट कर देते हैं। ऐमे में अब इस समस्या के निवारण के लिए हमारे कृषि वैज्ञानिक और सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं पा्रैद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस सेंगर एक बेहतरीन तरीका बता रहे हैं-
वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए आवारा जानवर सबसे बड़ी चुनौती हैं। किसान अपना दुख दर्द कहते-कहते थक चुके है, लेकिन सरकार अभी तक किसानों की इस समस्या का ठोस समाधान नहीं कर सकी है। हालांकि, योगी सरकार ने इस दिशा में कई कदम भी उठाए, जिनमें गौशाला निर्माण से लेकर गौ पालन करने वाले परिवारों को गाय का खर्च देने की योजना सहित अन्य कई काम किए गए हैं। परन्तु इतना सब हो जाने के उपरांत भी आवारा जानवर फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहे हैं। इन सब समस्याओं से बचने के लिए एक बेहद कारगर उपाय साबित हो रही है एक घरेलू दवा अमृत पानी।
कैसे तैयार किया जाता है अमृत पानी?
बिना जानकारी अथवा आधे अधूरे ज्ञान के आधार पर तो अमृत पानी बनाना कठिन होता है, लेकिन एक इस पानी में पड़ने वाली सामग्री के बारे में यदि किसानों को बता दिया जाए तो वह इस पानी को अपने घर पर ही बड़े आराम से तैयार कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए बेसन, गुड, नीम की पत्ती, मदार की पत्ती, देशी गाय का गोबर, गौ तथा मूत्र और पानी की जरूरत होती है। इन सब चीजों को एक निश्चित मात्रा में मिलाकर एक प्लास्टिक के ड्रम में 10 दिनों के लिए रख दिया जाता है और फिर 10 दिन बाद यह खेतों में छिड़काव करने के योग्य हो जाता है।
अमृत पानी के छिड़काव से प्राप्त लाभ
अमृत पानी के छिड़काव से आवारा जानवर फसलों को नुकसान करना तो छोड़ ही देते हैं बल्कि वह फसलों के आस-पास भी नहीं फटकते हैं। इस पानी में पड़ने वाली नीम पत्ती, मदार पत्ती इतनी कड़वी महक देती हैं कि आवारा जानवर फसल को खाना तो उसे दूर सूंघना तक पसंद नहीं करते हैं। इसकी कड़वी महक के कारण आवारा जानवर इसके आसपास भी नहीं फटकते है। इसका प्रयोग करने के बाद फसलों का नुकसान होना बंद हो जाता है।
यदि इसकी कीमतों की बात करें तो किसान इसे स्वयं अपने घर में ही बनाकर कर इसका उपयोग कर सकते हैं तथा दूसरे किसानों को 20 से 30 प्रति लीटर की दर से बेचकर अपनी आय बढ़ाने के साथ ही दूसरे अन्य किसानों का भी भला कर सकते हैं। अगर कोई किसान बनवाना चाहे तो वह उन्हें इसमें लगने वाला मैटेरियल देकर अपना भी बनवा भी सकता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।