काले गेहूँ का सच      Publish Date : 30/10/2024

                                     काले गेहूँ का सच

                                                                                                                                                प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

अभी सुबह एक पोस्ट पढ़ी जिसमे काले गेहूँ का जिक्र किया गया था। काले गेहूँ के बारे में बहुत सी भ्रांतियां यूट्यूब के महान कृषि विशेषज्ञों के द्वारा फैलाई गई है और उसी को आधार बनाकर फेसबुक पर भी इसके संबंध में बहुत सी पोस्ट पड़ी हुई है। 

                                                                   

काले गेहूँ के बारे में कुछ रोचक तथ्य-

1. यह भी सामान्य चपाती वाले गेहूँ की एक अलग किस्म है।

2. इसका काला रंग एंथोसाइनीन के कारण से होता है जो कि एक एंटीऑक्सीडेंट है।

3. एंटीऑक्सीडेंट शरीर के लिए लाभकारी है लेकिन किए जा रहे दावे कैंसर के खात्मे के तो गलत है इस बात का खंडन स्वयं इस गेहूँ की खोज करने वाले वैज्ञानिक के द्वारा भी किया गया है।

4. किसान द्वारा प्राप्त की गई अभी तक की मंडी में अधिकतम कीमत 4000 रुपए प्रति क्विंटल रही। जबकि 2 वर्ष पूर्व नही बिकने पर लोगो ने अपने पशुओं को इसे खिलाया था।

5. बाकी यहां बेचने वाले भी है और खरीदने वाले भी वो 300 तो क्या 600 रूपये प्रति क्विंटल तक का भी खरीद सकते हैं। अगर उनको कहा जाए यह गेहूँ वर्जिन सॉइल पर, शुद्ध गंगाजल से, पूरी तरह देसी गाय के गोबर से उगाया गया और गायत्री मंत्र सुना कर पैदा किया गया है। उसमे भरपूर एनर्जी है वगैरा वगैरा। एक आम आदमी इसको उगा भी लेगा और 10 खरीददार भी होंगे, परन्तु यह सभी किसानों के लिए लागू नही होगा।

                                        

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।