वायू प्रदूषण: पूसा डी-कंपोजर Publish Date : 24/10/2024
वायू प्रदूषण: पूसा डी-कंपोजर
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
वायु प्रदूषण का एक बड़ा पर्याय बन चुकी धान की पराली के निस्तारण के लिए केंद्र सरकार ने सिर्फ 50 रुपये के चार कैप्सूल के पैक के माध्यम से एक एकड़ की पराली को सड़ाकर खाद बनाने के लिए पूसा डी-कंपोजर जारी किया है। केंद्रीय सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा किसान पराली निस्तारण के लिए इस सस्ते विकल्प का प्रयोग करके प्रदूषण नियंत्रण में मदद करें।
इस कैप्सूल की सहायता से पराली को गलाकर खाद बनाया जा सकता है। पूसा इंस्टीट्यूट के अनुसार बायो डी-कंपोजर के 4 कैप्सूल की सहायता से 25 लीटर तक बायो डिकंपोजर घोल बनाया जा सकता है। 25 लीटर घोल में 500 लीटर पानी मिलाकर इसका छिड़काव ढाई एकड़ भूमि पर किया जा सकता है।
यह पराली को कुछ दिनों में ही सड़ाकर एक अच्छी खाद बना देता है। पूसा डी-कंपोजर का घोल तैयार कर खेतों में इसका छिड़काव किया जाता है। घोल तैयार करने के लिए 25 लीटर पानी को गुड़ के साथ उबाला जाता है और फिर इसे ठंडा होने के लिए छोड़ देते हैं। इसके बाद इसमें थोड़ा सा बेसन और और एक कैप्सूल को मिलाया जाता है। इसके बाद इसको एक बर्तन में डाल कर कपड़े से ढक कर तीन-चार दिन के लिए छोड़ दिया जाता है जिससे कि इसमें फंगस आदि पनप सकें। इसके बाद इसका खेत में छिड़काव कर दिया जाता है।
एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव करने के लिए 10 लीटर घोल की जरूरत होती है। छिड़काव के बाद पराली को खाद में बदलने में मात्र 15 दिन का समय लगता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।