गन्ने की किस्मों पर लिखे संकेतको का अर्थ Publish Date : 23/10/2024
गन्ने की किस्मों पर लिखे संकेतको का अर्थ
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मोदीपुरम मेरठ, के प्रोफेसर आर. एय. सेंगर ने बताया कि गन्ने की किस्म के नाम में उसके बारे में कई अहम जानकारी छिपी होती हैं। गन्ने की किस्म के नाम में ही छुपा होता है कि इस किस्म का संकरण कहां हुआ और बीज को विकसित कहां किया गया है।
किसी व्यक्ति, वस्तु और स्थान की पहचान उसके नाम से ही की जाती है। नाम ही एक ऐसा शब्द है, जिससे हम किसी विशिष्ट चीज़ को दूसरों से अलग करते हैं। ठीक ऐसे ही गन्ने की किस्मों के भी अलग- अलग नाम होते हैं। गन्ने की हर किस्म का नाम सिर्फ एक नाम नहीं होता, बल्कि उसमें उस किस्म के बारे में कई तरह की जानकारी छिपी होती है।
यह जानकारियां किसानों के लिए बेहद उपयोगी होती है। क्योंकि इससे उन्हें यह जानने में मदद मिलती है कि कौन सी किस्म उनकी जमीन और मौसम के लिए सबसे उपयुक्त रहेगी।
डॉ0 सेंगर ने बताया कि गन्ने की किस्म के नाम में कई अहम जानकारियां छिपी होती हैं। गन्ने की किस्म के नाम में ही छुपा होता है कि इस किस्म का संकरण कहां हुआ और बीज को विकसित कहां किया गया। किस्म के नाम से ही किसानों को पता चल जाता है कि यह किस्म कहां और किस शोध संस्थान द्वारा विकसित किया गया है।
को.शा का अर्थ ?
डॉ0 सेंगर ने बताया कि गन्ने की कई किस्मों के नाम में को.शा. लिखा होता है। इसमें को. का अर्थ है कि इस किस्म के संकरण का काम कोयंबटूर संस्थान में किया गया, जबकि शा. का अर्थ है कि इसके बीज को विकसित करने का काम शाहजहांपुर गन्ना शोध संस्थान में किया गया। गन्ने के बीज को विकसित करने की पूरी प्रक्रिया 8 से 10 साल लंबी होती है।
ठीक ऐसे ही को.लख., जिसके संकरण का काम कोयंबटूर और बीज को विकसित करने की लंबी प्रक्रिया लखनऊ शोध संस्थान में पूरी की गई है। इसके अलावा को.से. 11453, गन्ने की इस किस्म का संकरण कोयंबटूर और इसको विकसित सेवर ही गन्ना शोध संस्थान में किया गया है।
यू.पी. 9530 का संकेत?
गन्ने के किस्म यू.पी. 9530, का संकेत यह है कि इसके बीज के संस्करण का काम उत्तर प्रदेश और बीज को विकस करने का काम भी उत्तर प्रदेश में ही किया गया है, इसलिए इस किस्म का नाम बिल्कुल अलग ही होता है। ठीक इसी प्रकार ही अगर किसी किस्म के नाम की शुरुआत को.पीवी. से होती है, इसका मतलब यह है कि इसके संकरण का काम कोयंबटूर और बीज को विकसित करने की प्रक्रिया पंतनगर में की गई है।
गन्ने की किस्म को. 05011 को विकसित करने और संकरण की प्रक्रिया दोनों ही कोयंबटूर गन्ना शोध संस्थान में ही की गई होती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।