पेट्रोल एवं डीजल का नया विकल्प      Publish Date : 19/10/2024

                       पेट्रोल एवं डीजल का नया विकल्प

                                                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

कंप्रैस्ड बायोगैस, एक बहुत ही ज्वलनशील पदार्थ होता है। इसका प्रयोग वाहन चलाने और खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है। यह गैस बायोमास से तैयार की जाती है, यहां बायोमास का अर्थ कृषि अपशिष्ट, मवेशियों का गोबर, शुगरकेन प्रैसमड, नगरनिगम के ठोस अपशिष्ट तथा सीवेज उपचार संयंत्र के अपशिष्ट आदि के माध्यम से उत्पन्न हुई गैस से है। इस गैस में लगभग 60 प्रतिशत तक मीथेन, 40 से 45 प्रतिशत तक कार्बन डाइऑक्साइड तथा हाइड्रोजन सल्फाइड का भाग होता है।

                                                          

जब बायोगैस में से कार्बन डाइ-ऑक्साइड, जल वाष्प् तथा हाइड्रोजन सल्फाइड को पृथक किया जाता है और फिर इसे कंप्रैस्ड किया जाता है तो सीबीजी यानी कि कंप्रैस्ड बायोगैस की प्राप्ति होती है, इस गैस में 90 प्रतिशत मात्रा मीथेन गैस की होती है।

इससे उत्पन्न गैस का उपयोग ऑटोमोटिव, इंडस्ट्री और कमर्शियल क्षेत्रों में सीएनजी के स्थान पर किया जा सकता है। इस गैस के उत्पादन और उपयोग से कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, प्रदूषण में कमी, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों में कमी और किसानों अतिरिक्त लाभ भी हो सकेगा।

हाल ही में ग्वालियर में पैट्रोलियम सैक्टर में अग्रणी कंपनी इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के नेतृत्व में आदर्श गौशाला एवं गोबर आधारित सीबीज संयंत्र अर्थात कंप्रैस्ड बायोगैस संयंत्र की स्थापना की गई है।

10,000 गायों की गौशाला में हुई प्लांट की शुरूआत

                                                     

इस मौके पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रकृति के नियामों के अनुसार काम करने से मानव का सामाजिक जीवन और प्रकृति दोनों ही संतुलित रहते हैं, और इसलिए ही भारत सरकार के द्वारा गोबर धन नामक योजना लाई गई है।

उन्होनें इस बात पर खुशी जताई कि ग्वालियर में लगभग 10,000 गायों की देखरेख इस गौशाला में की जा रही है और इसकी पहल पर ही यह सीबीजी संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, जिससे वेस्ट टू वैल्थ की थीम भी सार्थक हो सकेगी।

यह संयंत्र 31 करोड़ की लागत से बनेगा

इस अवसर पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी एवं धमेंद्र प्रधान और इंडियन ऑयल कार्पोरेशन की टीम को भी धन्यवाद प्रेषित किया, जिन्होने 31 करोड़ रूपये की लागत वाली इस परियोजना को ग्वालियर में आरम्भ करने का निर्णय लिया।

श्री तोमर ने आगे कहा कि अगले वर्ष तक इस संयंत्र के काम शुरू करने के बाद यह परियोजना स्वच्छ भारत की दृष्टि से भी अहम और सार्थक रहेगी। यह परियोजना गोबर धन योजना की पहल के रूप में कार्य करेगी। इसके साथ ही यह योजन जैविक खेती को बढ़ावा देगी और प्रदूषण को समाप्त करने की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगी। इस योजना के माध्यम से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे तो विभिनन गौशालाएं भी आत्मनिर्भर हो सकेंगी। अब नगर निगम भी अपने वाहनों में इससे उत्पन्न होने वाले ईंधन का उपयोग कर सकेगा और इसके साथ ही यह हमारे समाज एवं पर्यावरण को भी लाभ प्रदान कर सकेगी।

                                                      

श्री तोमर ने कहा कि इस समय जो जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर जाने की बात कही जा रही है उस दिशा में भी इसके माध्यम से सहायता प्राप्त होगी। भारत सरकार का पैट्रोलियम मंत्रालय सीबीजी के रूप में ईंधन के नए विकल्पों की तलाश कर रहा है।

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए पैट्रोलियम मंत्रालय के द्वारा जैव ईंधन के क्षेत्र में वर्ष 2030 तक 20 प्रतिशत तक की वृद्वि प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, हालांकि इस समय सीमा को कम करके अब वर्ष 2025 तक ही सीमित कर दिया गया है।

सीबीज की शुरूआती कीमतें 46 रूर्प्ये होगी, जिसपर 5 प्रतिशत जीएसटी जो कि लगभग 2.30 रूपये होगा, लगाया जाना है। इस प्रकार से सीबीजी की प्रारम्भिक कीमत 48.30 रूपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से तय की गई है। 

  

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।