वन प्राणी सप्ताह के दौरान होंगा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन Publish Date : 03/10/2024
वन प्राणी सप्ताह के दौरान होंगा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
सोसाइटी ऑफ़ ग्रीन वर्ल्ड एंड सस्टेनेबल एनवायरमेंट के तत्वाधान से अक्षरधाम कॉलोनी में एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में दो से 8 अक्टूबर 2024 तक वन प्राणी सप्ताह के रूप में मनाने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्ष करते हुए प्रोफेसर आर एस सेंगर ने कहा वन प्राणियों की उपस्थिति तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती हैं। हमारी समृद्धि सांस्कृतिक परंपरा में बानो बन प्राणियों वृक्ष ऑन एवं विद लैंड्स सहित समस्त प्राकृतिक संसाधनों को समयगत रूप से संरक्षित करने का विधान है। उत्तर प्रदेश की सरकार वन प्राणियों व उनके प्रकृति वास के संरक्षण व संवर्धन एवं मानव वन जीव संघर्ष के निवारण हेतु प्रतिबद्ध है।
डॉ आर एस सेंगर ने बताया इसी क्रम में इस वर्ष उत्तर प्रदेश सरकार में 36.5 करोड़ से अधिक पौधों का रोपण तथा जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र की शुरुआत गोरखपुर रेंज में की गई है। राष्ट्रीय पशु बाघ एवं राष्ट्रीय धरोहर हाथी तथा उनके प्रकृति आवास के संरक्षण हेतु रानीपुर टाइगर रिजर्व एवं तराई हाथी रिजर्व की स्थापना के साथ ही टाइगर रिजर्व, दो हाथी रिजर्व का प्रबंध तथा गंगा डॉल्फिन को राज्य जलीय जीव घोषित किया गया है।
नदियों सहित समस्त वेटलैंड्स को प्रदूषण मुक्त करना और कार्बन की पोषण के माध्यम से प्रदेश के कृषकों की आय में वृद्धि एवं विद्यमान वनों का संरक्षण राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। वनों क्षेत्र में राज्य सरकार के द्वारा किए गए अभिनव प्रयासों के फलस्वरूप प्रदेश के हरित आवरण में काफी वृद्धि हुई है।
सोसाइटी ऑफ़ ग्रीन वर्ल्ड फॉर सस्टेनेबल एनवायरमेंट के कोषाध्यक्ष कार्तिकेय ने उपस्थित सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा राष्ट्रीय पशु बाघ की संख्या प्रदेश में 173 से बढ़कर अब 205, राष्ट्रीय धरोहर हाथी की संख्या 265 से बढ़कर 372 होने के साथ ही राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन एवं राज्य पक्षी सारस की संख्या में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा वैश्विक तापमान व जलवायु परिवर्तन की दर न्यूनतम करने एवं वर्ष 2070 तक देश को कार्बन न्यूट्रल बनाने हेतु वृद्धि स्तर पर वृक्षारोपण हुआ विद्यमान वनों की सुरक्षा के साथ-साथ वन्य प्राणियों एवं उनके प्रकृति आवास का संरक्षण व संवर्धन बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि हानिकारक कीटों का जैविक नियंत्रण, बीजों के मिश्रण के माध्यम से प्राकृतिक पुनरूत्थान में सहायता और प्राकृतिक संतुलन स्थापित करने एवं लावारिस पशुओं के शवों का भक्षण कर वन्य प्राणी पर्यावरण को स्वस्थ रखने में अपेक्षित योगदान प्रदान करते हैं।
सोसाइटी ऑफ़ ग्रीन वर्ल्ड फॉर सस्टेनेबल एनवायरमेंट के सदस्य डॉक्टर राजेश सिंह ने कहा वन प्राणियों के संरक्षण व संवर्धन हेतु प्रदेश के द्वारा एक राष्ट्रीय उद्यान, 26 वन्य जीव विहार, गिर टाइगर रिजर्व, दो हाथी रिजर्व और एक कन्वेंशन रिजर्व का प्रबंधन किया जा रहा है। वन प्राणियों के प्रकृति आवास को पुनर्स्थापित करने की दिशा में इन संरक्षित क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के माध्यम से वन्य प्राणी संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहे हैं।
डॉक्टर अमित सिंह ने संबोधित करते हुए कहा की प्रसन्नता का विषय है कि वन प्राणियों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां जनमानस को उपलब्ध करवा कर वन प्राणी संरक्षण में जन सहयोग प्राप्त करने हेतु वन प्राणी सप्ताह 2 से 8 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस अवसर पर पूरे प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही साथ समिति के द्वारा भी लोगों को जागरूक करने और अन्य जनजागरण के प्रोग्राम करके इसके प्रति जागरूक किया जाएगा।
हमारे सौरमंडल में पृथ्वी एकमात्र ग्रह है जहां जीवन के लक्षण पाए जाते हैं। पृथ्वी पर विद्यमान जीवन को बनाए वह बचाए रखने की दिशा में अपना योगदान देना प्रत्येक प्रदेशवासी का संवैधानिक, नैतिक एवं सामाजिक कर्तव्य व दायित्व है। संपूर्ण विश्व आज जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न प्रतिकूल प्रभावों के चलते उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए विवश है। इन चुनौतियों का सामना करते हुए पर्यावरण मित्र जीवन शैली तथा लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट के मूल मंत्र को अपना कर वर्ष 2070 तक कार्बन न्यूट्रल देश बनाने की दिशा में प्रयास करने का दायित्व हम सभी लोागें का है। वन प्राणी संरक्षण सप्ताह जैसे आवश्यक कार्यक्रम इस दिशा में योगदान देने हेतु प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करते हैं।
डॉक्टर दिव्यांशु सिंह ने सभी से अनुरोध करते हुए कहा कि वन प्राणी सप्ताह के अवसर पर आसपास पाए जाने वाली रंग बिरंगी तितली तितलियों, पक्षियों, भौरों, मेंढक एवं मधुमक्खियों जैसे अन्य प्राणियों की गतिविधियों का अध्ययन कर वन प्राणी के प्रति स्नेह श्रद्धा व प्रशंसा का भाव उत्पन्न कर उनके संरक्षण को जीवन शैली का अनिवार्य अंग बनाए जाने की आवश्यकता है।
इस दौरान बैठक में अरुण सिंह, शशांक कुमार, अशोक कुमार, विनय और दिनेश आदि के सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।